स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य इमरजेंसी गर्भनिरोधक कितनी सुरक्षित है? आइए जानें !

इमरजेंसी गर्भनिरोधक कितनी सुरक्षित है? आइए जानें !

अगर आप इमरजेंसी गर्भनिरोधक को आम गर्भनिरोधक की तरह लगातार लेती रहतीं हैं तो इसके कुछ गंभीर दुष्प्रभाव/साइड इफेक्ट्स आपको झेलने पड़ सकते हैं।

भारत में क़रीब 45 मिलियन महिलाएँ आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग नहीं करती हैं। आज भी कहीं न कहीं सुरक्षित यौन संबंध की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही अधिक है। इसके लिए वे कई तरह की दवाइयों का उपयोग करती हैं जिनसे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 45 मिलियन महिलाएँ आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग नहीं करती हैं। इनमें से 31 मिलियन महिलाएँ तो किसी भी तरह के गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल नहीं करती हैं और लगभग 14 मिलियन महिलाएँ पुराने तरीकों पर निर्भर रहती हैं। आधुनिक तरीकों से तुलना करें, तो इन पुराने तरीकों में गर्भवती होने की संभावना 3 गुना ज़्यादा होती है। ऐसी स्थिति में, कई शहरों में लाखों महिलाएँ इमरजेंसी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती तो हैं, लेकिन असल में, इमरजेंसी गर्भनिरोधक को लेकर जागरुकता उतनी नहीं है जितनी पहली नज़र में दिखाई देती है।

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों तक तो इमरजेंसी गर्भनिरोधक की पहुंच आज भी बेहद सीमित है। वैसे भी इमरजेंसी गर्भनिरोधक दवाइयों की केवल एक स्ट्रिप क़रीब सौ रुपए तक की होती है जो कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग की महिलाओं के लिए काफी बड़ा मूल्य है। यहाँ तक कि साधारण गर्भनिरोधक दवाइयों तक भी उनकी पहुंच कम ही है और शायद इसी कारण से आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों की जनसंख्या वृद्धि भी तेज़ी से होती है।

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इसीलिए इमरजेंसी गर्भनिरोधक शहरी इलाकों के एक वर्ग विशेष की महिलाओं तक ही सीमित है, जो सामान्यतः शिक्षित होती हैं लेकिन जागरुकता की कमी के चलते उन्हें भी इमरजेंसी गर्भनिरोधक के उपयोग और दुष्प्रभावों के सम्बंध में अधिक जानकारी नहीं होती है। बल्कि इससे जुड़े ऐसे अनेक भ्रम हैं जो महिलाओं के बीच आम हैं।

सबसे आसान और पुराना तरीका

इमरजेंसी गर्भनिरोधक (आई पिल्स) अनचाहे गर्भ से बचने का सबसे आसान और पुराना तरीका माना जाता रहा है लेकिन क्या आप जानती हैं कि यह कैसे काम करती है ? यह पिल आपके शरीर में लिवोनोगेस्ट्रल प्रोजेस्टिन हार्मोन को पैदा करती है जो शरीर में होने वाले फर्टिलाइज़ेशन को रोक देता है।

हमें यौन शिक्षा को लेकर चुप्पी तोड़ने की और इससे जुड़ी सही जानकारियों का लगातार प्रसार करने की सख्त ज़रूरत है।

क्या आप इसे रोज़ ले सकती हैं ?

जवाब है, नहीं ! इसे आई पिल या इमरजेंसी गर्भनिरोधक कहा ही इसीलिए जाता है क्योंकि यह सिर्फ आपात स्थितियों के लिए है जब आपके पास कोई और तरीका न हो।

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क्यों और कैसे अलग है यह साधारण गर्भनिरोधक पिल से ?

आई पिल (1.5 mg) में लिवोनोगेस्ट्रल का डोज़ एक आम गर्भनिरोधक पिल से क़रीब 50 गुना ज़्यादा होता है। इसका मतलब, कि एक आई पिल क़रीब 50 पिल्स के बराबर है। इसीलिए आई पिल को दो या तीन महीनों में सिर्फ एक बार ही लिया जाना चाहिए। असुरक्षित सम्बन्ध होने 72 घंटों के अंदर आप इमरजेंसी गर्भनिरोधक ले सकती हैं।

इसके साइड इफेक्ट्स

अगर आप इमरजेंसी गर्भनिरोधक को आम गर्भनिरोधक की तरह लगातार लेती रहतीं हैं तो इसके कुछ गंभीर दुष्प्रभाव/साइड इफेक्ट्स आपको झेलने पड़ सकते हैं। ज़्यादा आई पिल्स खाने से आपको उल्टियाँ होना, पेट दर्द, सिर दर्द, अनियमित मासिक धर्म, कमज़ोरी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आई पिल को दो या तीन महीनों में सिर्फ एक बार ही लिया जाना चाहिए।

कई शहरों में लाखों महिलाएँ इमरजेंसी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती तो हैं, लेकिन असल में, इमरजेंसी गर्भनिरोधक को लेकर जागरुकता उतनी नहीं है।

इमरजेंसी गर्भनिरोधक से जुड़े भ्रम

सुरक्षित यौन संबंध के लिए यह विकल्प नहीं। जैसा कि बताया गया है, इमरजेंसी गर्भनिरोधक को लगातार नहीं लिया जाना चाहिए। लेकिन आई पिल का उपयोग करने वाली बहुत सारी महिलाओं को यह भ्रम रहता है कि इससे उन्हें सुरक्षा मिलेगी। जबकि असुरक्षित यौन संबंध के बाद आई पिल लेने के बावजूद एचआईवी, सिफिलिस, गोनोरिया जैसी बीमारियों का खतरा बना ही रहता है।

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ज़रूरी है बात करना

यहाँ चिंता की बात यह भी है कि जिन युवा लड़कियों को यौन शिक्षा नहीं मिली होती, वे इंटरनेट या कहीं और से सुनी – सुनाई जानकारी पर निर्भर हो जाती हैं और आई पिल का उपयोग कर लेती हैं। यह उनकी सेहत के लिए खतरा तो है ही, साथ ही इससे भारतीय समाज में यौन शिक्षा को लेकर जो असहजता और जागरुकता की कमी है, उसके बारे में भी पता चलता है।

ज़ाहिर है कि हमें यौन शिक्षा को लेकर चुप्पी तोड़ने की और इससे जुड़ी सही जानकारियों का लगातार प्रसार करने की सख्त ज़रूरत है।

Also read in English: Problems With The I-Pill And Lack Of Awareness About Contraception


तस्वीर साभार : www.nhs.uk

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