स्वास्थ्यमानसिक स्वास्थ्य पॉडकास्ट : पी फॉर पैरेंटिंग में जानें कैसे रखें कोविड के दौरान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल

पॉडकास्ट : पी फॉर पैरेंटिंग में जानें कैसे रखें कोविड के दौरान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल

SRM के P फॉर पैरेंटिंग पॉडकास्ट में अनुभा और अंजलि ने चर्चा कि है कि कोरोना के समय में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें।

SRM के P फॉर पैरेंटिंग पॉडकास्ट के पहले एपिसोड में होस्ट अनुभा और अंजलि ने इस बात पर चर्चा कि है कि कोरोना के इस दौर में हम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें। पॉडकास्ट की शुरुआत में अंजलि अनुभा से यह सवाल पूछती हैं कि उनका कोरोना टाइम कैसा बीत रहा है। अनुभा कहती हैं कि बहुत ही मुश्किल जा रहा है। तब अंजलि कहती हैं कि कोरोना के कारम लागू हुए लॉकडाउन में काफी बदलाव हो रहे हैं। घर का काम बढ़ गया है, बच्चों में बहुत सारे बदलाव आ रहे हैं। वहीं, अनुभा के मुताबिक कोविड की वजह से बच्चों का घर से बाहर निकलना बंद हो गया है, स्कूल जाना बंद हो गया है, दोस्तों से मिलना-जुलना बंद जो गया है, सब कुछ बहुत ही बदल सा गया है। अंजलि भी यही कहती हैं कि जो बच्चे पहले स्कूल से भागते थे वे भी अब वापस स्कूल जाना चाहते हैं। वे अपनी क्लास में, लाइब्रेरी में, प्लेग्राउंड में, पार्क में जाना चाहते हैं। इस पॉडकास्ट में आगे विस्तार से चर्चा की गई है कि आखिर कोविड-19 ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे असर डाला है और कैसे हम इस महामारी के दौर में उनके मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं।

पॉडकास्ट की होस्ट में से एक अंजलि कहती हैं कि इस समय सबसे बड़ी चुनौती है, हर दिन नए विचारों के साथ आना ताकि बच्चों की ऊर्जा सकारात्मक तरीके से काम में लगाई जा सके। ख़ास तौर पर उन बच्चों के लिए जिनकी उम्र 10 साल से कम है। इस समस्या पर अनुभा बताती हैं कि वह तो अब सुपर मॉम बन गई हैं। बच्चों के साथ वह पेंटिंग करती हैं, क्रिकेट खेलती हैं, योग करती हैं, कुकिंग करती हैं। वहीं, अंजलि कहती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल है अपनी बेटी आरोही के लिए वक़्त निकालना क्योंकि उनकी न्यूक्लियर फैमिली है। इससे निपटने के लिए उन्होंने आरोही को हर उस काम में अपने साथ रखना शुरू कर दिया जो भी वह करती हैं। जैसे कि अगर किचन का काम कर रही होती तो हैं आरोही को भी किचन के काम में शामिल कर लेती हैं। इसकी वजह से आरोही की भी कुकिंग में रूचि बढ़ने लगी है। इसके साथ ही साथ, कोरोना के बाद से वे लोग किचन गार्डनिंग भी करने लगे हैं। ये सुनकर अनुभा ने बताया कि उनकी बेटी सारा ने भी कुकिंग सीखी है। उसने बताया कि जॉइंट फैमिली में रहने की वजह से उसे इसकी तो कोई चिंता नहीं होती कि कहीं उसके बच्चे बोर तो नहीं हो रहे। लेकिन जो समस्या उसने झेली वह यह थी कि कैसे बच्चों का एक रूटीन सेट किया जाए। कोरोना के बाद स्कूल बंद हो गए। छुट्टियां ही छुट्टियां हो गई थी। उठने का, पढ़ने का, खाने का, सोने का कोई तय वक्त नहीं था। इसीलिए अनुभा ने अपने बच्चों का रूटीन सेट किया।   

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वहीं, दूसरी और, आरोही जो अंजलि की अकेली बेटी है बताती हैं कि इसी वजह से उन्हें दिनभर आरोही के साथ एक बच्चे की तरह रहना होता था ताकि आरोही बोर न हो। यही नहीं, पहले आरोही हर दिन पार्क जाती थी। लेकिन कोरोना की वजह से वह बंद हो गया, इसलिए अब वह उसी समय पर अपने कजंस / दोस्तों को वीडियो कॉल करती है। अंजलि कहती है कि अब सबसे बड़ी समस्या जो वह झेल रही हैं, वह है आरोही के व्यवहार में आने वाला बदलाव। छोटी-छोटी बातों पर वह गुस्सा हो जाती है। इसलिए अंजलि अनुभा से पूछती हैं कि क्या उनके बच्चों में भी ऐसा कोई बदलाव हो रहा है? अनुभा के बच्चों के साथ भी ऐसा हो रहा है। इसीलिए वह यह कहती हैं कि ये बहुत ही ज़रूरी है कि बच्चों को कोरोना के बारे में जो भी जरूरी जानकारी वह देनी जरूरी है, इससे कोरोना को लेकर उनका डर कम होगा। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो वह कोरोना को लेकर कुछ भी सोचने लगेंगे और डरने लगेंगे। वैसे भी और लोग उन्हें इस महामारी के बारे में कुछ और बताए उससे बेहतर यही है कि हम उन्हें सही जानकारी दे। इसी के साथ अनुभा यह भी कहती हैं कि इस दौरान बच्चों को ये महसूस करवाना ज़रूरी है कि हम उनके साथ हैं।

अंजलि कहती हैं कि इस समय सबसे बड़ी चुनौती है हर दिन नए विचारों के साथ आना ताकि बच्चों की ऊर्जा सकारात्मक तरीके से काम में लगाई जा सके। ख़ास तौर पर उन बच्चों के लिए जिनकी उम्र 10 साल से कम है।

अनुभा बताती हैं कि कोरोना की वजह से अब वे अपने बच्चों से देर तक बातें करती हैं। इस कोरोना के दौर में वे अपने बच्चों से अलग अलग विषयों पर बातें करती है जैसे कि कभी खुद के बचपन के बारे में, कभी उनके बचपन के बारे में, कभी किसी कार्टून के बारे में। ऐसा करने से उनकी और उनके बच्चों के बीच की बॉन्डिंग और भी अच्छी हो गई है। अंजलि बताती है कि वे भी आरोही के साथ ऐसा करती है। इन सब के साथ, अनुभा ये कहती हैं कि वह यह सुनिश्चित करती हैं कि उनके बच्चे अपने दोस्तों से जुड़े रहें। अनुभा कहती हैं कि सबसे अच्छी बात जो उन्होंने कोरोना के दौरान की थी, वह थी अपने बच्चों की देखभाल करना और उन्हें यह महसूस कराना कि वह हमेशा उनके आसपास हैं। अंजलि कहती हैं कि इस दौरान घर में सकारात्मकता सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। किसी भी प्रकार का नकारात्मक वातावरण बच्चों के लिए अच्छा नहीं है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए यह बहुत आवश्यक है।

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तस्वीर साभार : SRM Podcast

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