समाजख़बर किसान आंदोलन के दौरान हुई निम्नस्तरीय ट्रोलिंग और समाज की संकीर्ण सोच

किसान आंदोलन के दौरान हुई निम्नस्तरीय ट्रोलिंग और समाज की संकीर्ण सोच

किसानों के इस प्रदर्शन का समर्थन करने वाले लोगों ने तरह-तरह से ट्वीट कर किसान आन्दोलन को अपना समर्थन दे रहे लोग जमकर ट्रोल हुए|

9 अगस्त 2020 से देशभर के किसान, विवादास्पद तरीके से बने ‘तीन कृषि कानूनों’ के खिलाफ दिल्ली में दाखिला देने वाली प्रधान सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी सरकार से मांग है कि सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले। उनका कहना है कि इन तीन कानूनों के लागू होने से मंडी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी, जिस कारण उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं मिलेगी। इस पर सरकार कहती है कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के कल्याण के लिए लाये गये हैं। सरकार का कहना है कि इन क़ानूनों के आने से किसानों का कल्याण निश्चित है तो किसान कहते हैं कि हम सरकार द्वारा नियोजित ऐसा कल्याण नहीं चाहते हैं। फ़िलहाल, सरकार और किसान दोनों ही अपने-अपने फैसले पर अडिग हैं और उनके बीच गतिरोध जारी है। पूरा देश भी इसी कारण दो पालों में बंटा हुआ है। एक पाला वो जिनका किसानों द्वारा किये जा रहे इस विरोध प्रदर्शन को पूरा समर्थन प्राप्त है जबकि दूसरा वो जो किसानों की इस पूरी मुहिम को खालिस्तान से प्रेरित करार दे रहा है।

किसानों के इस प्रदर्शन का समर्थन करने वाले लोगों ने तरह-तरह से अपना समर्थन जताया। इस बीच ट्वीट कर किसान आन्दोलन को अपना समर्थन दे रहे लोग जमकर ट्रोल हुए। किसी ने किसान आन्दोलन का समर्थन कर रहे लोगों को आतंकवादी कह डाला तो किसी ने महिला समर्थकों को रेप की धमकी दे डाली। भारतीयों के निम्नस्तरीय ट्वीट्स ने इन्टरनेट की दुनिया में हल्ला तो तब मचा दिया जब रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग, मीना हैरिस, मिया खलीफ़ा और अमांडा सेर्नी सरीखी जैसी कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने अपने ट्विटर अकाउंट से किसान आन्दोलन के समर्थन में कुछ ट्वीट्स कर दिए। मामले ने तूल तब पकड़ा जब रिहाना ने सीएनएन द्वारा दिल्ली के कुछ इलाकों में किसान आन्दोलन के दौरान बैन इंटरनेट सेवाओं के बारे में करी गयी एक खबर को शेयर करते हुए लिखा कि ‘हम क्यों इस बारे में बात नहीं कर रहे?” (Why aren’t we talking about this?!” #FarmersProtest”) उनका इतना कहना था कि ट्विटर पर भूचाल आ गया। यहां तक कि भारत के विदेश मंत्रालय को भी एक स्टेटमेंट जारी कर आम जनमानस को झूठी ख़बरों से बचने और देश को जोड़े रखने की नसीहतें देनी पड़ीं।

तस्वीर साभार : twitter.com

इसके बाद देशभर के जाने-माने सेलेब्रिटी खिलाड़ियों और कलाकारों ने सरकार की नसीहतों से इत्तेफाक रखते हुए #IndiaAgainstPropaganda के साथ ट्वीट किये। फिर क्या था, अपने तथाकथित आदर्शों को देखते हुए, भारत के आम जनमानस ने भी अपने देश को बाहरी ताकतों से बचाने का दारोमदार सँभाल लिया। मगर इस मामले ने नैतिकता से मुँह तब मोड़ लिया जब रिहाना की छवि पर उंगली उठाने वालों का ट्विटर पर तांता लग गया। राइट विंग के समर्थक और ट्रोल्स ने न सिर्फ उनके कैरेक्टर पर उंगली उठाई बल्कि एक स्तर और नीचे गिरकर 2009 में क्रिस ब्राउन द्वारा किये गये रिहाना के शारीरिक शोषण को सही करार दिया। बता दें कि क्रिस ब्राउन को कथित मामले में 5 साल का प्रोबेशन, एक साल तक घरेलू हिंसा के बारे में परामर्श सेवा और 6 महीने की सामाजिक सेवा करने की सज़ा मिली थी। क्रिस ब्राउन के दोषी साबित हो जाने के बावजूद भारतीयों का यह कहना कि रिहाना इस शोषण के लायक थीं, उनकी खराब मानसिक स्थिति को बखूबी दर्शाता है। क्रिस ब्राउन ट्विटर पर इस दौरान ट्रेंड कर रहे थे और रिहाना की कथित मामले में बुरे हाल में खिंची तस्वीर भारतीय नागरिकों के हाथों मज़ाक का पात्र बन रही थी। यह ट्रोलिंग का सिलसिला यहीं नहीं थमा। भारत के इस्लामोफोबिक लोगों ने यहाँ पर भी रिहाना के नाम में इस्लामिक एंगल ढूँढना चाहा। लिहाज़ा बहस इस बात की भी थी कि ‘रिहाना’ और ‘रेहाना’ में सही नाम कौन सा है। यही नहीं उनकी एक तस्वीर को बदलकर वायरल भी किया गया। इस कथित तस्वीर में वो मूलतः एक स्टेडियम में वेस्ट इंडीज़ का हौसला बढाने के लिए वेस्ट इंडीज़ का झंडा लिए खड़ी हैं। लेकिन राइट विंग/ट्रोल्स ने इसमें वेस्ट इंडीज़ का झंडा बदलकर पाकिस्तान का झंडा दिखाया और फिर इसे यह साबित करने के लिए वायरल करा कि रिहाना मुसलमान हैं जिस कारण (भारत के मौजूदा हाल के अनुसार) वे भारत में फूट ही डालेंगी। इसके बाद नंबर आया रिहाना के चरित्रहनन का। उनके चरित्र को सही या गलत ठहराने की ज़िम्मेदारी भी ट्रोल्स ने अपने मत्थे ले ली। और इसका नेतृत्व किया देश की मशहूर नायिका कंगना रनौत ने।

किसानों के इस प्रदर्शन का समर्थन करने वाले लोगों ने तरह-तरह से अपना समर्थन जताया। इस बीच ट्वीट कर किसान आन्दोलन को अपना समर्थन दे रहे लोग जमकर ट्रोल हुए।

मेरा हमेशा ही यह मानना रहा है कि एक ऐसे देश में जहाँ के लोग खेल और फिल्मों के पीछे पागल हैं और जहाँ हीरो-हिरोइन के कपड़े तो क्या उनकी हेयर-स्टाईल भी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में व्यापक स्तर पर बात चीत का मुद्दा रहती है, वहां सभी बड़े सेलेब्स के संजीदा मुद्दों बयान बहुत मायने रखते हैं। ऐसे में कंगना ने कई ऐसे आपत्तिजनक ट्वीट किये जिन्हें पढकर यकीन नहीं होता कि ऐसे महिला विरोधी बयान एक महिला के ही है। कंगना ने रिहाना के ट्वीट के जवाब में उन्हें ‘फूल’ (मूर्ख), ‘डमी’ (नकली), ‘पोर्न सिंगर’ इत्यादि विशेषणों से परिभाषित किया। एक ट्वीट में तो उन्होंने अपनी परंपरागत परिधान पहने और रिहाना की उनके पॉप शो से ली गयी एक तस्वीर को तौलते हुए खुद को संस्कारी और रिहाना को चरित्रहीन बताने की भरपूर कोशिश करी। एक महिला का परिधान उसका चरित्र कभी तय नहीं कर सकता। उसे क्या पहनना है या क्या नहीं पहनना है, यह बेहद निजी चुनाव है। मगर हमारे पितृसत्तात्मक समाज ने महिलाओं के इस चुनाव का दारोमदार भी खुद ही के कन्धों पर ले रखा है। जब एक समाज में महिला की ब्रा या उसकी ब्रा का स्ट्रैप दिखना उसके चरित्र पर सवालिया निशान लगा देता है, तो उसकी कीमत रिहाना, ग्रेटा, मीना, स्वरा, तापसी, अमेंडा, या मेरे आपके जैसी तमाम स्वच्छंद महिलाओं को चुकानी पड़ती है। यह वो कीमत है जो भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में एक महिला को खुद की राजनीतिक राय खुले तौर पर रखने पर चुकानी पड़ती है। फिर लेफ् या राईट विंग मायने नहीं रखता। कंगना को भी अपनी राय रखने पर भारत के आम जन मानस से वही गैर ज़िम्मेदाराना, महिला विरोधी ट्वीट देखना, सुनना पड़ता है जो स्वरा भास्कर को।

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भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसके लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए महिला और पुरुष दोनों की सामान भागीदारी होनी चाहिए। मगर लोकतांत्रिक के साथ-साथ भारत एक पुरुष प्रधान देश भी है। ऐसे में जब एक महिला अपना स्वतंत्र पोलिटिकल स्टैंड लेती है तो हमारे देश के कुलपतियों के अहंकार पर ऐसी चोट होती है कि उन्हें बेहद निम्नस्तरीय रणनीतियों का सहारा लेना पड़ता है। रिहाना के ट्वीट को ‘पेड ट्वीट’ बताना ऐसी ही खराब रणनीति का उदाहरण है। यह घोर विडम्बना है कि यह लांछन आप उस महिला पर लगा रहे हैं जो फोर्ब्स द्वारा 2020 में जारी हुई विश्व की सबसे धनी और स्वावलंबी महिलाओं की लिस्ट में जगह रखती है। इसी तरह स्वच्छंद महिलाओं को ‘पोर्न स्टार’ सरीखी संज्ञा देकर उनके चरित्र पर आसानी से उंगली उठा देना भी इस पितृसत्तात्मक समाज की एक विशेषता है। यह इसी विशेषता का उदाहरण है कि अमांडा सर्नी को ‘Comrade Put!n’ नाम के ट्विटर यूजर द्वारा दुनिया भर में अपने न्यूड्स भेज कर जीवन यापन करने की तैयारी करने की सलाह मिलती है (Keep trying but ur entry into bollywood is officially banned so ‘thumbs up’ with sending nudes around the world to make your living)। यह ट्वीट महिलाओं को लेकर लोगों के मन में घर चुके एक बेहद आपत्तिजनक नजरिया सामने लाता है। यह दिखाता है कि किस तरह हमारा समाज आज भी एक स्वतंत्र महिला का आंकलन उसके जिस्म से ही करता है। ऐसा सरीखा एक और ट्वीट जो बहुत वायरल हुआ कहता है कि अमांडा ने ओने न्यूड्स एक किसान को भेजे थे और इस वजह से भारत में इन्टरनेट बंद पड़ गया। (Amanda Cerny DM’d a farmer her nudes and thats why the internet in india crashed.) यकीनन यह दोनों ही ट्वीट्स इस मामले में हुई बेहद निम्नस्तरीय ट्रोलिंग का उदाहरण देते हैं और दिखाते हैं कि हमारा पितृसत्तात्मक समाज आज भी बहुत महिला विरोधी है और नारीवाद की यह लड़ाई अभी बहुत लम्बी है।

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तस्वीर साभार : edtimes.in

Comments:

  1. Malabika says:

    I agree with you Shreya. I understand how difficult and tiresome and exhausting it is for thousands of women like you and me fighting patriarchy on a daily basis. More power to us 🤗

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