इंटरसेक्शनलशरीर इस मॉडल का संदेश ‘ख़ूबसूरती के नज़ारे नहीं नजरिया बदलें’

इस मॉडल का संदेश ‘ख़ूबसूरती के नज़ारे नहीं नजरिया बदलें’

सारा गेयर्ट्स तब सिर्फ दस साल की थी, जब उसे डैरमेटोसपरैक्सिस एहलर्स-डानलोस सिंड्रोम (ईडीएस) नाम का डिसआर्डर हो गया|

एक पच्चीस-छब्बीस साल की छरहरे बदन वाली सुंदर लड़की हर किसी की नज़रें अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है| उसकी बड़ी-बड़ी आँखें और सुनहरे बाल किसी का भी मन मोहने के लिए काफी होते है|

ये पढ़कर आप शायद सोचें कि मैं आपको अधेड़ उम्र की महिला की तस्वीर वाले इस लेख में किसी पच्चीस-छब्बीस साल की सुंदर युवा लड़की की सुंदरता का बखान क्यूँ कर रही हूँ भला! तो आपको बता दूँ कि तस्वीर में दिखने वाली इस महिला का नाम सारा गेयर्ट्स है जो कि कोई अधेड़ उम्र की नहीं बल्कि छब्बीस साल की युवा लड़की है और जिसके बारे में बताने से पहले सुंदरता के उन तमाम नजारों का जिक्र करना ज़रूरी है जिसकी उम्मीद हमारी नज़रें किसी भी पच्चीस-छब्बीस साल की लड़की से करती है|

झुर्रियों वाला सारा गेयर्ट्स

हो सकता है यह जानकार आपको यह अविश्वसनीय लगे और सदियों से समाज के बनाये और ख़ास आपके दिलों-दिमाग में बैठाये गये सुंदरता के मानक डगमगा जाए कि तस्वीर में दिखने वाली इस लड़की की उम्र छब्बीस साल है| लेकिन यही सच है| सारा गेयर्ट्स तब ज्यादा बड़ी नहीं सिर्फ दस साल की थी, जब उसे डैरमेटोसपरैक्सिस एहलर्स-डानलोस सिंड्रोम (ईडीएस) नाम का डिसआर्डर हो गया| त्वचा से संबंधित यह एक दुर्लभ संयोजी ऊतक विकार की समस्या है, जो शरीर में कोलेजन पैदा होनी की क्षमता को रोकती है| इस विकार से पीड़ित इंसान के शरीर में झुर्रियां पड़ने लगती है जिससे वह अपनी उम्र से कई गुना ज्यादा उम्रदराज दिखने लगता है| नतीजतन सारा का शरीर छब्बीस साल की किसी युवा लड़की के कसे बदन की बजाय सत्तर-अस्सी साल की किसी झुर्रियों वाली बूढी महिला की तरह हो गया है|

‘मेरी त्वचा मेरे लिए एक बड़ी असुरक्षा थी|’ – सारा गेयर्ट्स

सारा का कहना है कि ‘मेरी त्वचा मेरे लिए एक बड़ी असुरक्षा थी| लेकिन अब मेरा मानना है कि यह मेरी एक सबसे खूबसूरत चीज़ है| हर वो चीज जो परफेक्ट नहीं है यह इंसानी नजरिए पर निर्भर करता है और ये आपकी जीवन यात्रा और संघर्ष की कहानी बताता है|’

सुंदरता नजारे में नहीं नजरिए में होती है|

सारा मूलतः मिनेसोता से है पर वर्तमान समय में वह लॉस एंजिल्स में है| वहां वह सुंदरता को लेकर समाज में बनाये गये मानकों में बदलाव लाने के मिशन पर काम कर रही है| साल 2015 में उन्होंने पहली बार अपनी कहानी ‘लव योर लाइन्स कैम्पेन’ के एक प्रोजेक्ट जिसका शीर्षक ‘महिलाओं की अपूर्णता’ था; में भेजी थी| सारा की कहानी पर हाल ही में बर्कोफ्त टीवी की तरफ से ये विडियो तैयार की गयी है जिसे करीब दो मिलियन बार देखा गया है|

‘तुम अलग हो|’ – सारा गेयर्ट्स

सारा अपनी इन्स्टाग्राम प्रोफाइल में लिखती है कि – ‘तुम अलग हो| लोगों को ये नहीं पता कि उन्हें कैसे अपनी प्रतिक्रिया देनी है या उन्हें कैसे किसी को स्वीकारना है जो भीड़ से अलग है| वे कभी-भी उस इंसान को लेकर जोखिम नहीं लेना चाहते है जो उनके लिए फिट दिखाई नहीं देता है| नतीजतन तुम्हारी लाख अच्छाइयों के बावजूद वे लगातार कोशिश करते है कि तुम अपने आपको भद्दा और बिगड़ा हुआ महसूस करो|’

सुंदरता नजारे में नहीं नजरिए

अब इसे अपने समाज की विडंबना कहें या पिछड़ापन कि आज भी खुद को कभी विकसित तो कभी विकासशील यानी कि विकास से जोड़कर गर्व से अपना परिचय करवाने सभ्य समाज के हमलोग अभी भी सुंदरता के घिसे-पीटे-पुराने मानकों में तनिक भी विकास नहीं कर पाये है|

तुम्हारी लाख अच्छाइयों के बावजूद वे लगातार कोशिश करते है कि तुम अपने आपको भद्दा और बिगड़ा हुआ महसूस करो|

आज भी हमें कसे-शरीर, गोरी चमड़ी और तीखे नयन-नस्क में सुंदरता दिखाई पड़ती है और हमारी यह मान्यता इतनी ज्यादा कट्टर होती है कि सुंदरता के इन मानकों से इतर हम किसी भी इंसान को इंसान समझने की बजाय जानवर जैसा समझते हुए कभी उन्हें बेईज्जत करके, मजाक उड़ाकर, भेदभाव करके या फिर हिंसात्मक व्यवहार करते है|

मौजूदा समय में जब हम आये दिन रंग या शारीरिक क्षमता के आधार पर होने वाली हिंसा और भेदभाव की खबरें सुनते है तो ऐसे में सारा गेयर्ट्स का यह कदम बेहद सराहनीय और ज़रूरी लगता है| अक्सर कहा जाता है कि सुंदरता नजारे में नहीं नजरिए में होती है| इसी तर्ज पर, सारा का खुद को बेबाकी के साथ दुनिया के सामने लाना लोगों को अपने नजरिए में बदलाव लाने का सशक्त संदेश देता है, जिसका न केवल हम सभी को सम्मान करना होगा बल्कि हमें इसे अपनाना भी होगा|


और पढ़ें : पता है तुम्हें कि तुम कितनी सुंदर हो? 

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