समाजख़बर बीएचयू की छात्राओं का प्रदर्शन और प्रधानमन्त्री का रूट परिवर्तन

बीएचयू की छात्राओं का प्रदर्शन और प्रधानमन्त्री का रूट परिवर्तन

बीएचयू में यौन-उत्पीड़न की घटना के बाद छात्र-छात्राएं लगातार प्रदर्शन कर रहे है जिससे प्रधानमन्त्री के बनारस दौरे का रूट बदल दिया गया|

कल बनारस में देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ| वहीं परसों शाम (यानी कि 21 सितंबर) छह बजे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में तीन लड़कों ने एक छात्रा का यौन-उत्पीड़न किया| कैम्पस में भारत कला भवन के पास यह घटना हुई जहाँ से कुछ कदम की दूरी पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने छात्रा के चिल्लाने पर भी कोई कार्यवाई नहीं की| रात में ही इस घटना की जानकारी मिलते ही यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रो. गिरीशचन्द्र त्रिपाठी त्रिवेणी हास्टल में पहुंचे थे, जब छात्राओं को प्रशासन की तरफ से कोई सक्रियता नहीं दिखी तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाने निर्णय लिया|

सुबह छह बजे से सौ से अधिक छात्राएं बीएचयू गेट पर पहुंचीं और प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्राओं के समर्थन में बड़ी संख्या में छात्र भी पहुंच गए और मेन गेट पर चक्का जाम कर दिया है। इससे लंका से बीएचयू में प्रवेश ठप हो गया और लगातार प्रक्टोरियल बोर्ड के सामने युवा-छात्रों का प्रदर्शन चल रहा है। छात्राएं ‘वीसी गो बैक’ और प्राक्टोरियल बोर्ड के खिलाफ लगातार नारेबाजी कर रही हैं। उनकी मांग है कि लड़कियों पर जो प्रतिबंध लगाया जाता है, उन्हें हॉस्टल में कैद किया जाता है, वह बंद हो। साथ ही, उनकी यह मांग है कि खुद वीसी आकर मांगों को पूरा करने की बात कहें।

सुरक्षाकर्मियों ने छात्रा के चिल्लाने पर भी कोई कार्यवाई नहीं की|

प्रशासन की स्वागत-व्यवस्था में भंग

बनारस में प्रधानमन्त्री के आने की ख़ुशी में प्रशासन की तरफ से जोर-शोर से तैयारी चल रही थी| पर इसी बीच यौन-उत्पीड़न के विरोध में हजारों की संख्या में छात्राओं ने हल्ला बोलकर प्रशासन की पूरी तैयारी को भंग कर दिया, जिससे पीएम के स्वागत की तैयारी में जुटा प्रशासन इस घटना से तनाव में आ गया। बीएचयू के लंका गेट पर सुबह छह बजे से रातभर छात्राएं धरने पर बैठी रही। इस दौरान छात्राओं को मनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और वाराणसी जिला प्रशासन के कई बड़े अधिकारी पहुंचे, पर छात्राएं हटने को तैयार नहीं हुई।

छेड़खानी को लेकर बीएचयू स्थित सिंहद्वार पर प्रदर्शन कर रही छात्राओं के तेवर को देख प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी भी सहम गई। विरोध और हंगामे के हालात को भांप एसपीजी ने अंतिम वक्त पर अपनी रणनीति बदली। पीएम मोदी के रूट का डायवर्ट करने का फैसला लिया गया। मोदी के काफिले को बीच रास्ते से ही मोड़ दिया गया। बीएचयू के सिंहद्वार के बजाय पहले गांधीनगर से ही काफिले को मोड़ दिया गया। मोदी की फ्लीट साकेतनगर संकटमोचन होते हुए मानस मंदिर पहुंची। कुछ छात्राओं ने  बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं के विरोध में अपना सिर मुंडवा लिया है। छात्राओं के समर्थन में कुछ अन्य संगठन भी आ गए थे। नारेबाजी बढ़ने लगी थी। कुछ छात्र सिंहद्वार स्थित छत पर भी चढ़ गए। छात्राओं को काबू में करने के लिए भारी पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी थी।

पीएम मोदी के रूट का डायवर्ट करने का फैसला लिया गया। मोदी के काफिले को बीच रास्ते से ही मोड़ दिया गया।

बैरकेटिंग करने के साथ ही वॉटर कैनन की गाड़ियां मौके पर बुला ली गई थीं। एसपी सिटी खुद मौके पर पहुंचकर हालात पर नजर बनाए हुए थे। इस बीच में संवाद कार्यक्रम के बाद ये तय हुआ कि मोदी का काफिला इस रास्ते से नहीं गुजरेगा। सुरक्षाबलों को इस बात का डर था कि हंगामे पर उतारू छात्राओं पर अगर बल प्रयोग किया गया तो हालात बिगड़ सकते हैं।

लहर में मीडिया से खबर नदारद

प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में उनका आना अब किसी बड़े त्यौहार से कम नहीं रह गया है| सड़क-गलियाँ-मूर्तियाँ रातोंरात खड़ी कर दी जाती है| प्रशासन से लेकर मीडिया तक की तैयारी ज़ोरों पर होती है| पर इस बार प्रधानमंत्री के बनारस आगमन पर जब बीएचयू की छात्राएं प्रदर्शन पर बैठी तो स्थानीय मीडिया से इसकी खबर को ही गायब कर दिया गया| वो तो शुक्र है सोशल मीडिया का जिससे इस घटना से जुड़ी खबरों से लोग युवाओं के समर्थन में आ रहे हैं|

उल्लेखनीय है कि बीएचयू महामना की वही सर्वविद्या की राजधानी है जहाँ के अक्सर प्रधानमन्त्री छात्र-छात्राओं को संबोधित करने आते है| उन्हें विकास, समानता, देशप्रेम और ढ़ेरों आदर्शपूर्ण संदेश भी देते है| पर आज जब उसी बीएचयू की छात्राओं को अपने अधिकार-सम्मान के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा तब युवाओं के इस प्रदर्शन को प्रशासन ने अपनी लाव-लश्कर से ढककर प्रधानमंत्री का रूट डाइवर्ट कर दिया|

कुछ छात्राओं ने  बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं के विरोध में अपना सिर मुंडवा लिया है।

ऐसा नहीं है कि बीएचयू में छात्राओं से यौन-उत्पीड़न और हिंसा की यह पहली घटना है| हर दूसरे दिन अखबारों में ऐसी घटनाओं की खबरें पढ़ने को मिलती है| वहीं कई बार छात्र-छात्राएं खुद इन मुद्दों के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं, पर हर बार प्रशासन कभी उन्हें नम्बर कम देने की धमकी देकर पीछे कर लेता तो कभी उनके घरवालों से प्रेशर दिलवाकर| लेकिन इसबार स्टूडेंट्स पूरी तरह अड़ चुके है| अब देखना होगा कि क्या इसबार युवाओं का यह प्रदर्शन रंग लाते हुए न्याय का परचम लहराता है या फिर आश्वासन के नामपर एकबार फिर प्रशासन इसमें लीपापोती करता है|

और पढ़ें :‘वो लेस्बियन थी’ इसलिए बीएचयू हास्टल से निकाली गयी

Comments:

  1. Mayank Bariar says:

    Suna hai lathicharge bhi hua…napunshak prashashan

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