समाजकानून और नीति चंद्राणी मुर्मू : बेरोज़गारी से कम उम्र की सांसद बनने का सफर

चंद्राणी मुर्मू : बेरोज़गारी से कम उम्र की सांसद बनने का सफर

चंद्राणी मुर्मू केवल 25 साल की है औऱ वह बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर क्योंझर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी है औऱ सदन पहुंची हैं।

नवीन पटनायक औऱ उनकी पार्टी ने 17 लोकसभा में दो ऐसे काम कर दिए है जिसके लिए राजनीतिक इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया है, जहां संसद में अभी तक महिलाओं के 33 फीसद आरक्षण को लेकर सांसद एक मत नहीं हो पाए है, वहीं नवीन पटनायक की पार्टी ने 17 वीं लोकसभा में 33 फीसद महिला सांसदों को भेजा है। इसके साथ ही, उनके इस फैसले ने देश को उसकी सबसे कम उम्र की महिला सांसद के रूप में चंद्राणी मुर्मू को भारी बहुमत से जीत दी है।

चंद्राणी मुर्मू केवल 25 साल की है औऱ वह बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर क्योंझर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी है औऱ सदन पहुंची हैं। यह सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। महिलाओं का संसद में पहुँचना तो खास है ही लेकिन मुर्मू का अनुसूचित जाति से आना और जीतना अपने आप में बेहद खास है। उन्होनें लोकसभा चुनाव में दो बार के सांसद रहे अनंत नायक को 67,822 के अंतर से हराया है। बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में अपने एमपी शकुंलता लागुरी का टिकट काटकर चंद्राणी मुर्मू को टिकट दिया।

लोकसभा चुनाव से पहले वह भुवनेश्वर स्थित एसओए विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी थी औऱ नौकरी ढूंढ रहीं थी।

चंद्रानि मुर्मू का जन्म 16 जून 1993 को हुआ था, उनके पिता संजीव मुर्मू सरकारी विभाग में कार्यरत है औऱ उनकी माता ऊर्वशी सोरेन पूर्व मुख्यमंत्री हरिहरन सोरेन की बेटी है। लोकसभा चुनाव से पहले वह भुवनेश्वर स्थित एसओए विश्वविद्यालय से बी-टेक यानी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी थी औऱ नौकरी ढूंढ रहीं थी। उनका कहना है, लोकसभा चुनाव में टिकट मिलना औऱ जीतना एक खूबसूरत सपने जैसा लगता है। उन्होनें राजनीति में आने के बारे में कभी नहीं सोचा था। उन्होंने बताया कि 31 मार्च को अचानक उनके मामा ने फोन करके पूछा कि क्या वह चुनाव लड़ सकती है। वो एक पढ़ी-लिखी उम्मीदवार भी ढूंढ रहे थे। शायद मैं पार्टी को इस काबिल लगी, इसलिए मुझे चुना गया।

उन्होनें अपने इंटरव्यू में यह भी बताया कि सबसे युवा सांसद होने की मुझे बहुत खुशी है और ये मेरी जिंदगी का गौरवान्वित करने वाला पल है। इसका संपूर्ण श्रेय मैं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को देना चाहूँगी क्योंकि उन्होंने मुझे ये मौका दिया है। वह आदिवासी समुदाय से आती है औऱ चाहती है कि आदिवासी समुदाय शिक्षा से वंचित है औऱ वह ज्यादातर शिक्षा पर ही काम करना चाहती है। उनका ये भी मानना है कि हर इलाके के विकास के लिए लोगों का जागरूक होना बहुत ज़रूरी होता है। राजनीति में जिस तरीके का व्यवहार महिलाओं के साथ किया जाता है, उसका सामना मुर्मू ने भी डटकर किया। राजनीति में घटिया व पुरूषवादी मानसिकता के कारण महिलाओं को बहुत कुछ झेलना पढ़ता है। उनके मतदान के ठीक पहले उनका अश्लील वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। इसके बारे में वह बताती है, मेरे लिए चुनावी प्रचार बिल्कुल भी आसान नहीं था। वो उतार-चढ़ाव वाले दिन थे। उस वीडियो से मुझे बहुत हैरानी हुई थी लेकिन आखिर में जीत सच की ही होती है।

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17 वीं लोकसभा चुनाव मे 78 महिलाएं जीतकर संसद पहुँची है जो अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है। ओडिशा सरकार ने सही मायने में वो कर दिखाई जो कोई दूसरी पार्टी नहीं कर पाई। उनके कारण 33 फीसद महिलाओं की भागीदारी संसद में हो पाई और साथ ही देश को सबसे कम उम्र की सांसद भी भेंट स्वरूप में मिली।

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तस्वीर साभार : प्रभात खबर

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