समाजख़बर हाउडी मोदी : ‘सब अच्छा होता’ अगर भव्य आयोजन के बाहर लगे ‘हक़’ के नारे भी सुने जाते

हाउडी मोदी : ‘सब अच्छा होता’ अगर भव्य आयोजन के बाहर लगे ‘हक़’ के नारे भी सुने जाते

अमेरिका के ह्यूस्टन में जैसे ही एनआरजी स्टेडियम में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के बाहर प्रदर्शनकारियों ने कार्यक्रम स्थल में इकट्ठा होना शुरू कर दिया।

बीते रविवार को अमरीका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम का रंगारंग और भव्य आयोजन क़रीब पूरी दुनिया की मीडिया में छाया रहा। हाउडी मोदी कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में पचास हज़ार से ज्यादा लोगों को संबोधित किया। कई अमरीकी सांसदों, सेनेटरों, गवर्नरों, मेयरों और कारोबारियों के सामने हुआ हाउडी मोदी का मेगा शो की टैग लाईन थी – “साझा स्वप्न, सुनहरा भविष्य।” ये किसी रॉक कंसर्ट से कम नहीं था। इसमें लोगों का मेला था, ख़ूब चकाचौंध थी, और थी नारेबाज़ी – मोदी! मोदी! स्टेडियम में मौजूद इन लोगों ने कुछ इसी अन्दाज़ में प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया।

हाउडी मोदी कार्यक्रम का हर नज़ारा सभी अख़बार और टीवी चैनल की सुर्ख़ियाँ बटोर रहा है। इसमें सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियो में है प्रधानमंत्री मोदी का हाउडी मोदी का जवाब। जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में सब कुछ अच्छा है। उन्होंने इसे बड़े ही रोचक अंदाज में हिंदी के अलावा कई भाषाओं में कहा – ‘भारत में सब अच्छा है।

दोनों देश के प्रधानमंत्री इस साझा मंच से कई उद्देश्यों को साधने की कोशिश कर रहे थे – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना क़द ऊँचा करना, अपने समर्थकों में अपनी दमदार पहचान को मज़बूती से पेश करना, प्रतिद्वंद्वी देशों को संदेश देना, चुनावी फ़ायदे के लिए राजनीतिक पकड़ बनाना, द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार, कारोबार, रक्षा और निवेश से जुड़े मुद्दों पर समझ बढ़ाना और चीन, रूस, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर अच्छे समझौतों के लिए माहौल बनाना और आतंकवाद पर लगाम लगाना।

चमकदार हाउडी मोदी इवेंट के बाहर हक़ की आवाज़

हाउडी मोदी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

बाक़ी जब दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के संयुक्त रूप में यह आयोजन किया जा रहा है तो ऐसे में कार्यक्रम की भव्यता का सुर्ख़ियो में होना लाज़मी है। पर काश जितनी सुर्ख़ियो में इस कार्यक्रम का चमकता पहलू सबके सामने आया उसी चमक से दूसरा पहलू भी सुर्ख़ियो में आता तो शायद बात ही कुछ और होती। ख़ैर आइए जानने की कोशिश करते हैं उन पहलुओं को जिसे मीडिया की सुर्खी न बनाने का भरकस प्रयास किया गया।

अमेरिका के ह्यूस्टन में जैसे ही एनआरजी स्टेडियम में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों ने प्रवेश करना शुरू किया, वैसे ही कार्यक्रम के बाहर भारतीय-अमेरिकियों के प्रदर्शनकारियों ने कार्यक्रम स्थल में इकट्ठा होना शुरू कर दिया। इसके लिए ह्यूस्टन पुलिस ने कार्यक्रम स्थल के आसपास सख्त बैरिकेड्स का बक़ायदा बंदोबस्त कर दिया।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे आयोजन बेशक देश के लिए गर्व का विषय हो सकते है, अगर इसमें लोकतंत्र की असल परिभाषा का सम्मान हो।

प्रदर्शनकारियों ने उन्हें विरोध स्वरूप झंडे दिखाए। एनआरजी स्टेडियम में कार्यक्रम को संबोधित कर हवाईअड्डा लौटने के दौरान ट्रंप को एकबार फिर कुछ प्रदर्शनकारियों का सामना करना पड़ा जिनके हाथों में कश्मीरी अलगाववादी झंडे थे। प्रदर्शनकारियों ने पीएम मोदी की तस्वीरें हाथ में पकड़ी हुईं थी जबकि एक समूह ड्रम बजा रहा था। प्रदर्शन के ज़रिए लोगों ने भारत में मॉब लिंचिंग, कश्मीर मुद्दे, मानवाधिकार के मुद्दे और महिला सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों के ख़िलाफ़ अपना विरोध किया।

अमेरिका में पीएम नरेंद्र मोदी के हाउडी मोदी इवेंट को लेकर देश में राजनीति तेज हो गई है। मंच से पीएम नरेंद्र मोदी के ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ बोलने को लेकर कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा है कि ऐसा कहना विदेश नीति का उल्लंघन है। पीएम मोदी के ‘सब ठीक है’ कहने पर भी कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए कश्मीर का मुद्दा उठाया है। विरोध करने वाले एक संगठन हिंदुज फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि ‘हिंदू आस्था के नामपर अल्पसंख्यकों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएँगे।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे आयोजन बेशक देश के लिए गर्व का विषय हो सकते है, अगर इसमें लोकतंत्र की असल परिभाषा का सम्मान हो। क्योंकि जब आयोजन विपक्ष को नज़रअन्दाज़ कर सिर्फ़ अपने पक्ष में किया जाए तो बेशक ये विशेष व्यक्ति या विचारधारा के लिए ठीक लगता है, लेकिन लोकतंत्र के नामपर ये तनिक भी नहीं फबता है। मौजूदा समय में राजनीति से नदारद विपक्ष के इस दौर में हर वो नागरिक विपक्ष है जो देशहित की, लोकतंत्र की और मानवाधिकार की बात करता है क्योंकि उसे सत्ता के पक्ष से अपने लिए कोई आवाज़ नहीं सुनाई देती है। साथ ही, महिला सुरक्षा पर बढ़ते ख़तरे, कुपोषण, आर्थिक मंदी, माब लिंचिंग और मानवाधिकारों की हिंसा के बढ़ते स्तर के बाद भी अगर हमारे देश के प्रतिनिधि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मंच से दुनिया जो यह कहते हैं कि ‘सब अच्छा है।’ तो ऐसे में हमें अपने भविष्य और चुनाव क्षमता के बारे में गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है।

और पढ़ें : बीएचयू की छात्राओं का प्रदर्शन और प्रधानमन्त्री का रूट परिवर्तन


तस्वीर साभार : economictimes

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content