समाजख़बर लाइबि ओइनम : मणिपुर की पहली महिला ऑटो चालक

लाइबि ओइनम : मणिपुर की पहली महिला ऑटो चालक

लाइबि ओइनम नाम है उस साहसी माँ का जिसने मणिपुर की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वह मणिपुर की पहली महिला ऑटो चालक हैं।

शुभिका गर्ग

जब-जब कोई महिला पहली बार पुरुषों के वर्चस्व वाले कामों में दखल देने की कोशिश करती है, तब-तब उपहास, तानों और कड़वे बोलों के साथ उसका मनोबल तोड़ने की भरपूर कोशिश की जाती है और यही सब उनके के साथ हुआ। कभी कपड़ों को लेकर छींटाकशी तो कभी मर्दों के काम के बीच घुसने के लिए ताने। वह सब सहती रही क्योंकि वह सबसे पहले एक माँ थी , दृढ़ चट्टान की मानिंद डटी रही।

लाइबि ओइनम नाम है उस साहसी माँ का जिसने मणिपुर की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वे 40 वर्ष की थीं जब उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाने का काम शुरू किया था। 

तंगहाली और आर्थिक बदहाली का आलम चरम पर था। शराबी और बीमार पति को डॉक्टर ने बेडरेस्ट की सलाह दी थी। बच्चों के साथ अक्सर भूखा ही सोना पड़ता। बच्चों के लिए ईंट भट्ठे पर भी दिन रात काम किया लेकिन स्थिति में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया। वह माँ तब व्यथित हो उठी जब खतरा बच्चों की पढ़ाई पर मंडराने लगा। पति के ऑटो रिक्शा को किराए पर चलाना शुरू किया फिर भी नतीजा सिफर। आखिरकार रूढ़िवादी बंधनों को तोड़ते हुए उन्होंने खुद ऑटो रिक्शा चालक बनने की ठान ली।  

लाइबि ओइनम नाम है उस साहसी माँ का जिसने मणिपुर की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

आखिरकार मेहनत रंग लाने लगी उनका ऑटो चल निकला। घर की डगमगाती माली हालत धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी तो, जिन दोनों बेटों को माँ के काम के कारण शर्मिंदगी महसूस होती थी वो अब अपनी माँ पर गर्व करते हुए पढ़ाई में मन लगाने लगे। अपने काम के लिए समर्पित लाइबि सशक्त हुई तो लोगों के मुँह भी बंद होने लगे। 

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लाइबि मणिपुर की पहली महिला ऑटो चालक हैं। मणिपुर के पेंगाई बाजार ऑटो स्टैंड पर वे अपने कस्टमर्स का इंतजार करती हैं। वे समय की परवाह किये बगैर अपने काम को तन्मयता से करती रहती हैं और अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। लाइबि के दो बेटों में से बड़ा बेटा ग्रेजुएशन करने के बाद IAS की तैयारी कर रहा है और छोटा बेटा चंडीगढ़ की फुटबॉल अकादमी में ट्रेंनिग ले रहा है। 

लाइबि मणिपुर की पहली महिला ऑटो चालक हैं । मणिपुर के पेंगाई बाजार ऑटो स्टैंड पर वे अपने कस्टमर्स का इंतजार करती हैं।

एक माँ ही होती है जो घर को बिखरने से बचाने का जज्बा रखती है। आज लाइबि की मेहनत से ना केवल घर की दशा सुधर गई है साथ ही पति का इलाज और बच्चों के जीवन को भी सही दिशा मिल गई है। लाइबि के प्रेरणादायक व्यक्तित्व पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई जा चुकी है जिसे पुरुस्कार भी मिल चुका है। 

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यह लेख शुभिका गर्ग ने लिखा है, जिससे इससे पहले मॉमप्रेसो में प्रकाशित किया जा चुका है।

तस्वीर साभार : thebetterindia

Comments:

  1. Rafia says:

    Heads off really inspiring personality

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