समाजपर्यावरण कोलकायिल देवकी अम्मा : अपने आंगन में उगाया ‘एक जंगल’

कोलकायिल देवकी अम्मा : अपने आंगन में उगाया ‘एक जंगल’

देवकी अम्मा का जंगल एक आकर्षण है, जिसके लिए उन्हें केरल सरकार ने भी 'वनमित्र पुरस्कार' से सम्मानित किया है।

बचपन से हमें एक चीज़ लगातार सिखाया गया है। वह है, ‘पेड़ लगाओ।’ पेड़ों को ‘पृथ्वी के रक्षक’ यूं ही नहीं कहा गया है। वे हवा को साफ़ रखते हैं। वातावरण को ठंडा रखकर ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ रोकने में मदद करते हैं। पानी का संरक्षण करते हैं और भू-क्षरण होने से रोकते हैं। आज भारी मात्रा में पेड़ों के काटे जाने की वजह से हमारा पर्यावरण खतरे में है। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है जो हमारे लिए बहुत हानिकारक है। सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ गया है। प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की तो बात ही अलग है। जहां बाकी की दुनिया शोध में लगी हुई है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कैसे रोका जाए और पर्यावरण को कैसे बचाया जाए, कोलकायिल देवकी अम्मा एक ऐसी इंसान हैं जिन्होंने अकेले ही एक बड़ा परिवर्तन लाया है। अपने घर के पीछे पांच एकड़ ज़मीन को उन्होंने एक घने जंगल में बदल दिया है, जिससे उनके इलाके के वातावरण में बहुत बदलाव आया है।

कोलकायिल देवकी अम्मा केरल के अलेप्पी ज़िले के मुतुकालम में रहनेवाली हैं। पेड़-पौधों में उनकी दिलचस्पी बचपन से ही रही है क्योंकि उनके दादा आयुर्वेद के वैद्य थे और उन्होंने तरह तरह की जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों से अपनी पोती का परिचय करवाया। इसी तरह देवकी अम्मा का प्रकृति से लगाव हो गया। वे कभी स्कूल नहीं गईं तो ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’, ‘कार्बन फुटप्रिंट’, ‘प्रदूषण’ जैसे भारी-भरकम शब्द तो उन्हें मालूम नहीं थे। उन्हें सिर्फ़ इतना पता था कि पेड़-पौधे हमारे लिए ज़रूरी और फायदेमंद हैं और इसलिए इन्हें कोई नुक्सान नहीं पहुंचना चाहिए।

कोलकायिल देवकी अम्मा को पेड़ों, पर्यावरण, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण के बारे में ज़्यादा जानकारी शादी के बाद ही मिली। उनके पति थे गोपालकृष्ण पिल्लै जो स्थानीय स्कूल में शिक्षक थे। गोपालकृष्ण ने ही अपनी पत्नी को पर्यावरण की रक्षा और इसमें पेड़ों की अहम भूमिका के बारे में बताया, और वे जब भी कहीं बाहर जाते थे, अपने साथ एक बीज ज़रूbर लाते थे जिसे देवकी अम्मा उनके घर के पीछे पांच एकड़ की खाली ज़मीन में बो देती थीं। 40 सालों तक देवकी अम्मा ने अपने परिवार के साथ ऐसे कई बीज बोए। खाली ज़मीन ने बगीचे का, और बगीचे ने जंगल का रूप लिया। आज देवकी अम्मा 85 साल की हैं और उनके इस जंगल में कुल मिलाकर 200 प्रकार के पेड़-पौधे हैं, जिनमें सागौन, आम, इमली, महोगनी, बांस, और पाईन भी शामिल हैं।

देवकी अम्मा का जंगल एक आकर्षण है, जिसके लिए उन्हें केरल सरकार ने भी ‘वनमित्र पुरस्कार’ से सम्मानित किया है।

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विशेषज्ञों के मुताबिक़ देवकी अम्मा का ये जंगल इतना घना है कि जब बारिश होती है तो बारिश का ज़्यादातर पानी पेड़ ही सोख लेते हैं। एक भी बूंद सीधे धरती पर नहीं पहुंचता। इससे ‘इवैपो-ट्रांसपिरेशन’ होता है। पत्तों पर गिरी बारिश की बूंदें वाष्प बनकर हवा में विलीन हो जाती हैं और बारिश के रूप में कहीं और जाकर गिरती हैं। ऐसे बारिश लगातार होती रहती है, हवा स्वच्छ रहती है, और सूखा या अकाल पड़ने की संभावना कम होती है। सिर्फ़ पेड़-पौधे ही नहीं, इस जंगल में कई तरह के पशु-पक्षियों ने भी अपना घर बना लिया है। जंगल के तालाबों में जंगली भैंसों, गायों, और बैलों ने अपनी जगह बना ली है। नीलकंठ, गजपांव, और पन्ना कबूतर जैसे पक्षियों का भी आना जाना लगा रहता है, जिनके रहने और खाने पीने का इंतज़ाम देवकी अम्मा खुद करती हैं।

इस उम्र में देवकी अम्मा के लिए एक जंगल की देखभाल करना कोई आसान काम नहीं है। ख़ासकर जब देवकी अम्मा की एक टांग भी टूटी हुई है। फिर भी अपने जंगल की देखभाल में वे कोई कसर नहीं छोड़तीं। उनकी बेटी तंगम्मा का कहना है, ‘पांच एकड़ बड़े जंगल का ख्याल रखना एक बहुत मुश्किल काम है। फिर भी अम्मा रोज़ सुबह पूरे जंगल में पैदल घूमती हैं,‌ चाहे पांच मिनट के लिए ही सही। वे अभी नए पौधे तो बहुत कम लगातीं हैं, पर हर रोज़ अपने पेड़ों से बातें ज़रूर करतीं हैं। इससे उन्हें एहसास होता है कि उनके पेड़ सही सलामत हैं।’

देवकी अम्मा का ये जंगल प्रकृति-प्रेमियों से लेकर वैज्ञानिकों तक सबके लिए एक आकर्षण है। आसपास के लोग भी अक्सर टहलने और आराम करने के लिए यहां पर आ जाते हैं। अपने काम के लिए देवकी अम्मा को केंद्रीय सरकार की तरफ़ से ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार’ और ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ मिल चुके हैं। केरल की राज्य सरकार ने भी उन्हें ‘वनमित्र पुरस्कार’ से सम्मानित किया है। इसके अलावा उन्हें स्वदेशी विज्ञान कांग्रेस द्वारा ‘भूमित्र पुरस्कार’ और अलेप्पी ज़िले से ‘सोशल फ़ॉरेस्ट्री अवॉर्ड’ से नवाज़ा गया है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी एक फ़ेसबुक पोस्ट पर उनकी सराहना की है।

आज के ज़माने में पर्यावरण की सुरक्षा हम सबके लिए एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। हमें ज़िंदा रहने के लिए हर हाल में हवा, पानी,‌और ज़मीन को खत्म या बर्बाद होने से बचाए रखने की ज़रूरत है। इस दिशा में देवकी अम्मा जैसे लोग जो काम कर रहे हैं, वह क़ाबिल ए तारीफ़ है और हमारे लिए एक प्रेरणा है। वक़्त रहते हमें अभी भी जाग जाना चाहिए और पृथ्वी को बचाने में देवकी अम्मा का सहयोग करना चाहिए।

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तस्वीर साभार : filmfreeway

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