समाजख़बर यूपी का ‘क्राइम कैपिटल’ बन रहे हाथरस में यौन उत्पीड़न के सर्वाइवर के पिता की हत्या

यूपी का ‘क्राइम कैपिटल’ बन रहे हाथरस में यौन उत्पीड़न के सर्वाइवर के पिता की हत्या

हाथरस की वीडियो भारतीय समाज में यौन उत्पीड़ित महिलाओं के सामने मौजूद चुनौतियां बयां कर रहा था, जिसमें एक बेटी अपने पिता के क़त्ल का इंसाफ़ मांग रही है।

मार्च 1, 2021 वह तारीख़ जिस दिन उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की राजधानी बन रहे हाथरस में अम्बरीश नाम के एक 50 साल की आदमी की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना का संज्ञान तब लिया गया जब सोशल मीडिया पर मृतक की बेटी का वीडियो वायरल होना शुरू हुआ। हाथरस से आया वीडियो भारतीय समाज में यौन उत्पीड़ित महिलाओं के सामने मौजूद हज़ार तरीके की चुनौतियां बयां कर रहा था। इस वीडियो में एक बेटी अपने पिता के क़त्ल का इंसाफ़ मीडियाकर्मियों के सामने हाथ फैलाकर मांग रही थी। उसके आंसू रुकने का नाम नहीं लेते। उसकी चीखें थमने का नाम नहीं लेतीं। वह बार-बार सिर्फ यह कह रही है थी, “प्लीज़, मुझे इंसाफ़ दे दो।” पूरा मामला जानने पर मालूम चलता है कि क्यों भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश कहा जाता है। हाथरस में महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे एक के बाद एक अपराधों की कड़ी में यह नया मामला जुड़ गया है।

घटना 1 मार्च 2021, सोमवार को हाथरस के गांव नौजारपुर, शाम 4 बजे की है जब अम्बरीश नाम के 50 साल के आदमी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उसका जुर्म? उसका जुर्म था, ढाई साल पहले अपनी बेटी के साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराना। साल 2018 में अम्बरीश ने अपनी बेटी के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में गौरव शर्मा नाम के व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। गौरव को तब गिरफ्तार कर लिया गया था मगर एक महीने बाद ही वह ज़मानत पर बाहर आ गया था। तबसे गौरव, सर्वाइवर के परिवार को परेशान कर रहा था और अम्बरीश से शिकायत वापस लेने के लिए कह रहा था, मगर अम्बरीश ने शिकायत वापस नहीं ली। द टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक़ हाथरस के एसपी विनीत जैसवाल का कहना है कि बीते 1 मार्च की दोपहर अम्बरीश की दोनों बेटियां गांव के ही एक मंदिर गई थी। वही पर आरोपित की पत्नी और आंटी भी मौजूद थी। उन सभी में एक तीखी बहस हो गई जिसके बाद आरोपित गौरव और अम्बरीश दोनों वहां पहुंच गए। गौरव और अम्बरीश में भी काफी बहस हुई। उसके बाद गौरव ने अपने घर के कुछ और लोगों को बुलाया और अम्बरीश की गोली मारकर हत्या कर दी। एसपी ने आगे बताया कि अम्बरीश को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

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इस घटना में शामिल सभी लोगों के अलग-अलग बयान सुनने को मिल रहे हैं। द हिन्दू में छपी खबर के मुताबिक अलीगढ़ के इंस्पेक्टर जनरल पियूष मोरदिया की माने तो अम्बरीश का शव खेत से बरामद किया गया। वहीं, अपने पिता का शव अपने कंधे पर उठाकर उनके दाह संस्कार के बाद यौन उत्पीड़न की सर्वाइवर, अम्बरीश की बेटी ने मीडिया से बात करते हुए एक अलग बयान दिया। उन्होंने बताया कि, “मेरे पापा ने चार लोगों के खिलाफ 16 जुलाई 2018 को यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि वे लगातार मेरा उत्पीड़न कर रहे थे। उस वक़्त मुख्य आरोपित, गौरव शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था मगर वह ज़मानत पर छूट गया था। तबसे गौरव, उसके परिवार वाले और तीन बाकी आरोपित, मेरे परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे थे। उन्होंने लगातार मेरा यौन शोषण करना भी जारी रखा। गौरव ने दो दिन पहले कई निवासियों की मौजूदगी में मेरे पापा को जान से मारने की धमकी दी थी।” सर्वाइवर ने पुलिस को दर्ज कराई एफ़आईआर में पुलिस के बयान से अलग घटनाओं का ज़िक्र किया है।

बढ़ते अपराधों की ज़िम्मेदारी न तो नेता लेना चाहते हैं और न ही बढ़ते अपराधों में कमी लाने के लिए सरकार कोई कारगर फैसले लेती है।

द ट्रिब्यून के मुताबिक अम्बरीश की बेटी ने गौरव शर्मा, ललित शर्मा, रहिताश शर्मा, निखिल शर्मा और दो अन्य लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराई है और साथ ही बताया कि घटना उनके आलू के खेत की है जहां वह अपने पिता, अम्बरीश के साथ काम कर रही थी। तभी गौरव शर्मा अपने साथियों के साथ एक सफ़ेद गाड़ी में आया और उनके पिता से एफ़आईआर वापस लेने के लिए कहने लगा। इसके पहले कि उनके पिता कुछ कहते, गौरव ने उनके पिता पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। हम उन्हें अस्पताल भी लेकर गS मगर वहां पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अम्बरीश की बेटी ने सासनी गेट पुलिस स्टेशन फ़ोन भी किया, मगर पुलिस ने आने की जगह उससे 112 (पुलिस कंट्रोल रूम) पर कॉल करने के लिए कहकर फ़ोन काट दिया।  

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उधर इस मामले में सत्ताधारी अपनी अपनी रानीतिक रोटियां सेंकते दिखे। द हिन्दू में छपी खबर के मुताबिक, जहां बीजेपी गौरव शर्मा की तस्वीर को समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले लोगों के साथ ट्वीट कर, आरोपित का संबंध पार्टी से जोड़ते हुए दिखी। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, “बहुत हुआ महिलाओं पर अत्याचार, अबकी बार भाजपा बाहर!।” बीजेपी ने गौरव की तस्वीर सपा के नेताओं के साथ पोस्ट करते हुए अपराधी को बरौली विधान सभा से समाजवादी पार्टी का हिस्सा बताया। इतना ही नहीं, कन्नौज से बीजेपी के सांसद सुभ्रत पाठक ने इस पूरे मामले को जाति का रंग देना चाहा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “लाल टोपी से सावधान, इस समाजवादी नेता ने हाथरस में ब्राह्मण लड़की के साथ छेड़खानी के विरोध में उसके पिता की हत्या कर दी है, ऐसे अपराधियों का समाजवादी पार्टी समर्थन करती है, जो जितना बड़ा अपराधी वह उतना बड़ा समाजवादी।” वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए गौरव शर्मा की तस्वीर अलीगढ़ से बीजेपी के विधायक सतीश गौतम के साथ ट्विटर पर पोस्ट करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार अपराधियों को शह दे रही है।

हमारे यहां एक महिला के साथ उत्पीड़न की खबर आते ही राजनेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप करने का चलन है। बढ़ते अपराधों की ज़िम्मेदारी न तो नेता लेना चाहते हैं और न ही बढ़ते अपराधों में कमी लाने के लिए सरकार कोई कारगर फैसले लेती है। साल 2018 में हुए उत्पीड़न का खामियाजा सर्वाइवर और उसके परिवारवाले साल 2021 तक उठा रहे हैं। जहां उत्पीड़न के आरोपी ज़मानत पर रिहा हो आज़ाद घूम रहे हैं, सर्वाइवर रो-रोकर इन सुस्त, दीमक खाए हुए संस्थानों के आगे हाथ फैलाकर न्याय मांग रही है। देश की सरकारें उन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का दंभ भरती हैं जो आज भी यौन हिंसा की सर्वाइवर महिलाओं को न्याय दिलाने में आठ साल तक का वक़्त लगा देते हैं। ऐसी घटनाएं घट जाती हैं और नेता इनपर लगाम कसने की बजाय उसे जाति का या धर्म का रंग देकर राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं। मामला भी या तो रफा दफा हो जाता है या तो कोर्ट/पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते काटते सर्वाइवर/शोषित के घरवालों की चप्पलें घिस जाती हैं। जो बच जाता है वह सिर्फ अफ़सोस, अफ़सोस दलित जाति में या अल्संख्यक समुदाय में पैदा होने का। अफ़सोस एक लड़की के रूप में पैदा होने का और यही आज के समय का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण सच है। 

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तस्वीर : फेमिनिज़म इन इंडिया

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