मल्टीमीडियाइन्फोग्राफिक्स तस्वीरों में: समाज की पितृसत्तात्मक सोच को लड़कियों के मोबाइल के इस्तेमाल से आज भी दिक्कत है

तस्वीरों में: समाज की पितृसत्तात्मक सोच को लड़कियों के मोबाइल के इस्तेमाल से आज भी दिक्कत है

1. हाल ही में उत्तर प्रदेश की महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी ने माता- पिता को लड़कियों को मोबाइल ना देने की नसीहत दी है। मीना कुमारी की मानें तो लड़कियों के साथ होनेवाले यौन हिंसा की वजह मोबाइल है। उनका यह भी मानना है कि लड़कियां फोन पर लड़कों से बात करती हैं और ‘भाग’ जाती हैं। लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है, इससे पहले भी देश के अलग- अलग राज्यों में खाप पंचायतों द्वारा लड़कियों पर मोबाइल इस्तेमाल को लेकर रोक लगाई गई है।

2. मई 2017 में, उत्तर प्रदेश के मडोरा गांव में खाप पंचायत ने महिलाओं पर घर से बाहर मोबाइल के इस्तेमाल पर बैन लगाया था और इसका उल्लंघन करने पर 21,000 रुपए का जुर्माने का प्रावधान रखा था। खाप पंचायत का यह मानना था कि मोबाइल फोन की वजह से लड़कियां लड़कों से बात कर अपने घर से ‘भाग’ जाती हैं।

3. साल 2015 में, राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के कनाना गांव की खाप पंचायत ने गांव की लड़कियों पर मोबाइल और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था। वहीं, साल 2017 में भी राजस्थान के धौलपुर गांव की एक पंचायत ने माता -पिता को लड़कियों को मोबाइल फोन ना देने और उन पर नज़र रखने की सलाह दी थी। पंचायत के मुताबिक, मोबाइल का इस्तेमाल करके लड़कियां भारतीय संस्कृति को बर्बाद कर रही हैं।

4. साल 2010 में, उत्तर प्रदेश के लांक गांव में सभी जाति और समुदाय की पंचायतों ने अविवाहित लड़कियों के मोबाइल इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था। उनके मुताबिक, उनका यह फैसला लड़कियां को अपने प्रेमी के साथ भागने से रोकेगा। साल 2016 में, उत्तर प्रदेश के जादवड़ गांव के गुर्जर समाज की पंचायत ने लड़कियों के जींस पहनने और मोबाइल फोन रखने पर यह दावा करते हुए प्रतिबंध लगाया था कि इससे लड़कियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और ये यौन हिंसा की घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है।

5. साल 2018 में, हरियाणा की एक ग्राम पंचायत ने यह दावा किया था कि मोबाइल फोन के कारण ही लड़़कियां ‘भागने’ में कामयाब हो पाती हैं। इसलिए पंचायत ने 5000 की आबादी वाले गांव की सभी लड़कियों पर मोबाइल के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था।

6. साल 2019 में, गुजरात के बनासकांठा के जलोल गांव में सामुदायिक बैठक ने अविववाहित लड़कियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तोमाल पर बैन लगाने का फैसला सुनाया था। यह फैसला सुनाने के साथ- साथ यह भी ऐलान किया गया था कि किसी भी अविववाहित लड़की का मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना एक अपराध होगा। इसके अलावा अगर कोई लड़की अपने माता-पिता की मर्ज़ी के बिना शादी करती है तो लड़की के पिता को 1.5 लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा।

7. लड़कियों के घर से ‘भागने’ और उनके साथ होने वाली यौन हिंसा का कारण मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं बल्कि हमारे पितृसत्तात्मक समाज की दमनकारी सोच है।

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