मल्टीमीडियाइन्फोग्राफिक्स इस्मत चुग़ताई की ये कहानियां जो सबको पढ़नी चाहिए

इस्मत चुग़ताई की ये कहानियां जो सबको पढ़नी चाहिए

इस्मत चुग़ताई उर्फ ‘उर्दू अफ़साने की फर्स्ट लेडी’ ने अपनी रचनाओं में स्त्री मन की जटिल गुत्थियां को बखूबी दिखाया है। महिलाओं की कोमल भावनाओं को जहां उन्होंने उकेरा, वहीं उनकी गोपनीय इच्छाओं की परतें भी खोलीं। इस्मत ने समाज को बताया कि महिलाएं सिर्फ हाड़-मांस का पुतला नहीं, उनकी भी औरों की तरह भावनाएं होती हैं। वे भी अपने सपने को साकार करना चाहती हैं। आज हमारी इस पोस्टर सीरीज़ में पढ़िए इस्तम चुग़ताई की ऐसी ही छह कहानियों के बारे में।

1- लिहाफ़

इस्मत चुगताई की लिखी यह विवादास्पद कहानी ‘लिहाफ़’ आज़ादी से बहुत पहले साल 1941 में ‘अदब-ए-लतीफ़’ में छपी थी। उनके लेखन में नारी देह का वर्णन किसी पुरुष की वासना भरी नज़र के लिए किसी वस्तु के रूप में चित्रित ना होकर एक स्वतंत्र अस्तित्व के रूप में किया गया है।

2- चौथी का जोड़ा

यह कहानी है एक मां और उसकी दो बेटियों के इर्द-गिर्द रची गई है। चौथी का जोड़ा एक मां की अपनी दो जवान बेटियों की शादी को लेकर उस उत्सुकता और इंतज़ार की कहानी है, जिसमें शादी का जोड़ा कफन में तब्दील हो जाता है। इस्मत चुग़ताई ने इस कहानी में यह दिखाया है कि किस तरह पितृसत्तात्मक सोच शादी के लिए अपनी बेटियों को अंधविश्वास के कुएं में झोंक देता है।

3- एक शौहर की ख़ातिर

इस्मत चुग़ताई की यह कहानी एक व्यंग्य है जो समाज के उस पहलू की बात करती है जिसमें एक औरत की पहचान उसके पति के ही इर्द- गिर्द ही टिकी है। यह कहानी दिखाती है कि पितृसत्तात्मक सोच की जड़ें इतनी गहरी हैं कि एक औरत के लिए भी दूसरी औरत का अस्तित्व उसके पति तक ही सीमित है।

4- घरवाली

यह कहानी शादी के बंधन में बंधे मिर्ज़ा और लाजो की है जिसमें लाजो अपनी शारीरिक जरूरतों और इच्छाओं को लेकर खुले मिजाज़ की है। वहीं, उसका पति मिर्ज़ा लाजो को पितृसत्तात्मक समाज की एक ‘अच्छी महिला’ की परिभाषा में ढालने की कोशिश करता रहता है। यह कहानी समाज की एक ‘आदर्श महिला’ की परिभाषा की अवहेलना करने के साथ- साथ शादी की संस्था पर सवाल उठाती है।

5- पेशा

इस्मत चुग़ताई की कहानी पेशा यह दिखाती है कि कैसे पितृसत्तात्मक समाज की सोच की वजह से एक महिला दूसरी महिला के प्रति नफरत का भाव रखती है और पितृसत्तात्मक समाज की बनाई हुई सामाजिक संरचना को बरकरार रखती है। इस कहानी में बताया गया है कि किस प्रकार पितृसत्तात्मक समाज ने ‘अच्छी और बुरी औरत’ की अपनी सुविधानुसार एक परिभाषा तय कर दी है।

6- गेंदा

यह कहानी भारतीय पितृसत्तात्मक समाज की बुनी हुई जाति व्यवस्था और विधवा औरतों पर लगाई जानेवाली पाबंधियों के बारे में बात करती है। इसी के साथ इस्मत चुग़ताई की कहानी गेंदा दो महिलाओं की दोस्ती को दिखाती है।

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