समाजकानून और नीति स्टॉकिंग के अपराध को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता ?

स्टॉकिंग के अपराध को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता ?

किसी के द्वारा किसी का पीछा करने वाले को नुकसान पहुंचाना या डर पैदा करने के गलत इरादे से लगातार और बार-बार पीछा करना स्टॉकिंग कहलाता है।

एक लड़के ने मोतीबाग में रहने वाली 16 साल की लड़की का पीछा किया और एक रोज़ उसके सिर पर कुल्हाड़ी से वार करके उसे मार डाला। आमतौर पर जैसा हम समझते हैं और फिल्मों में देखते हैं कि किसी का पीछा लड़का तब करता है जब वह किसी को प्यार करता है। एक मायने में इज़हार के तौर पर इसे फिल्मों में देखा जाता है मगर क्या यह सच में ऐसा है। किसी का पीछा करना एक अपराध है जिसे स्टॉकिंग कहा जाता है। इसे अपराध की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि यह सामने वाले के मन में डर का भाव पैदा करता है उसे मानसिक रूप से तोड़ देता है। यहां तक की पीड़ित हर वक्त इसी डर में रहती है कि कही कोई उसका पीछा ना कर रहा हो।ऐसे में जब इस तरह की घटना सामने आती है तो यह डर सताने लगता है कि कही कोई उसके साथ कुछ कर ना दे।

किसी के द्वारा किसी का पीछा करने वाले को नुकसान पहुंचाना या डर पैदा करने के गलत इरादे से लगातार और बार-बार पीछा करना स्टॉकिंग कहलाता है यानि की एक ऐसी स्थिति जिसमें लड़का लड़की का पीछा करता है और उस पर दवाब बनाता है कि लड़की उससे बात करें या जैसा वह चाहता है उस हिसाब से व्यवहार करें ।  कैंब्रिज शब्दकोश के अनुसार स्टॉकिंग किसी का अवैध रूप से पीछा करने और समय की अवधि में देखने का अपराध  है। जिस पितृसत्तात्मक परिवेश में हम रहते हैं वहां पहले से ही लड़कियों पर कई सामाजिक दबाव होते हैं जिसमें अगर यौन हिंसा या उत्पीड़न का कोई मामला सामने आता है तो परिवार उसे अपनी ‘इज्ज़त’ पर तमाचा समझता है। कई बार यह भी नहीं समझा जाता कि गलती लड़की की नहीं है। लड़की की गलती मानते हुए उसे यह कहा जाता है कि तुम्हें वहां नहीं जाना चाहिए था, इस तरह से नहीं बात करनी चाहिए थी या फिर यह सब नहीं पहनना चाहिए था।

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स्टॉकिंग दरअसल एक शुरुआत होती है उस भयावह घटना की जो इस हद तक खतरनाक हो सकती है कि उसमें पीड़ित की हत्या भी कर दी जाती है। स्टॉकिंग भी एक तरह का यौन उत्पीड़न ही है। कई बार यह उत्पीड़न हिंसा का रूप ले लेती हैं, इसीलिए हमें पहले ही सावधान होने की ज़रूरत है ताकि एक छोटी सी बात लगने वाली घटना बड़े उत्पीड़न का रूप ना ले ले। अक्सर इन मामलों को हम टाल-मटोल कर देते हैं । आज के समय में स्टॉकिंग डिजिटल भी होती है जिसमें सोशल मीडिया या किसी भी इलैक्ट्रॅानिक डिवाइस के ज़रिए  किसी पर नज़र रखी जाती है और फिर बाद में लड़की को परेशान किया जाता है। इसके अलावा अगर कोई आपका पीछा कर रहा है आपके मना करने बाद भी आप पर नज़र रख रहा है तो वह भी स्टॉकिंग कहलाती है। हाल ही में दिल्ली का एक मामला सामने आया था जिसमें एक जिम ट्रेनर ने फेसबुक पर शीतल ठाकुर के नाम से फेक अकाउंट बनाकर उसके ज़रिए 100 से ज्यादा लड़कियों को दोस्त बनाने के बाद गंदे वीडियो और कई भद्दे मैसेज करके परेशान किया।

कोई मायने नही रखता कि आप कॉलेज, स्कूल की विद्यार्थी हैं, हाउसवाइफ हैं या कोई कामकाजी महिला हैं कभी भी किसी को भी कही भी स्टॉक किया जा सकता है और स्टॉक करने वाला व्यक्ति कोई भी हो सकता है। कई बार महिलाएं स्टॉकिंग की घटना को इसलिए रिपोर्ट नही करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पुलिस कुछ नहीं करेगी।

कई मामलों में ऐसा देखा जाता है कि लड़की का परिवार आवाज़ उठाता है लड़के के विरोध में लेकिन उन्हें लगता है कि वह बातों से समझ जाएगा इसलिए बात को बहुत हल्के में टाल दिया जाता है। यही हुआ दिल्ली के मोतीबाग इलाके में जब 16 साल की एक लड़की जो 11वीं कक्षा की छात्रा थी उस पर एक लड़के (21) ने कुल्हाड़ी से हमला कर उसे जान से मार दिया। दरअसल लड़की ने अपने पापा से इस बात की शिकायत की थी कि एक लड़का उसका पीछा करता है जिस पर लड़की के पिता ने लड़के को धमकाते हुए उसको चांटा मार दिया था इसी बात से गुस्साए लड़के ने अपना गुस्सा लड़की की हत्या कर निकाला। लड़की के पिता ने अपनी बेटी के लिए जो आवाज़ उठाई वह सराहनीय है लेकिन काफी नहीं। उन्होंने सोचा भी नही होगा कि उनकी बेटी की हत्या की जा सकती है। हम पुलिस स्टेशन जाने से डरते हैं। कई लोग सोचते हैं कि छोटी-सी बात है और कई लोग इज्ज़त की चादर ओढ़कर रहते हैं। लेकिन हमें यह समझने की ज़रूरत है कि पुलिस स्टेशन वे लोग नही जाते जिनकी कोई इज्ज़त नहीं होती बल्कि वे लोग जाते हैं जो लड़ना जानते हैं, अपना हक समझते हैं और वहीं समझदार नागरिक कहलाता है। संविधान में शामिल हमारे अधिकार आसमान के तारे जैसे नहीं हैं, उनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि कोई घटना इतने बड़े अपराध में तब्दील ना हो सके और सभी सुरक्षित भी रहें।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में  स्टॉकिंग के 9,438 केस भारत में रिपोर्ट किए गए थे। इसका मतलब औसतन हर 55 मिनट में एक स्टॉकिंग का केस रिपोर्ट किया गया। स्टॉकिंग लड़कियों के बीच सबसे मामूली होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं में से एक है लेकिन अगर हम अपने आस-पास नजर डाल कर देखें तो समझ आएगा कि कितनी लड़कियां रिपोर्ट कराती हैं। साल 2014 से स्टॉकिंग के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

आज के समय में कोई व्यक्ति अगर आपका पीछा करता है तो उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है जिसमें जमानत कराई जा सकती है लेकिन अगर कोई बार-बार आपका पीछा करता है तो उसे पांच साल तक की गैरज़मानती सजा होगी।

क्या कहता है हमारा कानून?

लगातार इस तरह के अपराधों की बढ़ती संख्या के कारण न्यायमूर्ति वर्मा समिति द्दारा पारित 2013 के संशोधन अधिनियम के बाद स्टॉकिंग को एक अपराध माना गया था। गौरतलब है कि आपराधिक कानूनों में संशोधन से पहले स्टॉकिंग शब्द का इस्तेमाल सीधे तौर पर नही किया गया था। इसे धारा 354 और धारा 509 के तहत महिला की विनम्रता का अपमान माना जाता था। साल 2013 से  पहले स्टॉकिंग के लिए विशेष रूप से कोई कानून नहीं था। इसे बलात्कार और यौन उत्पीड़न की धाराओं में शामिल किया गया था जिसके पीछे विशेष कारण यह है कि स्टॉकिंग जैसे मामलों को कोर्ट रूम में साबित करना बहुत आसान नहीं होता। जहां तक कोई जाना नहीं चाहता क्योंकि यह समाज की नज़रों में ज्यादा बड़ी बात नही होती थी। लेकिन आईपीसी की धारा 354डी के तहत स्टॉकिंग के अंतर्गत सजा का प्रावधान कर दिया है। ऐसे कई उदाहरण है हमारे सामने है जिसकी शुरुआत तो स्टॉकिंग से हुई लेकिन बात बलात्कार और हत्या तक पहुंच गई।

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आज के समय में कोई व्यक्ति अगर आपका पीछा करता है तो उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है जिसमें जमानत कराई जा सकती है लेकिन अगर कोई बार-बार आपका पीछा करता है तो उसे पांच साल तक की गैरज़मानती सजा होगी। इतना सख्त कानून होने के बावजूद मौजूदा हालात लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल नज़र आता है। आईपीलीडर्स की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में श्री देउ बाजू बोडके बनाम महाराष्ट्र राज्य में बॅाम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला की आत्महत्या से हुई मौत के मामले की जांच की, जिसने दावा किया कि उसकी आत्महत्या का कारण आरोपी द्वारा लगातार उत्पीड़न और पीछा करना था। काम के दौरान आरोपी हमेशा उसका पीछा करता था और उससे शादी करने की जि़द करता था। उच्च न्यायालय ने माना कि आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप के अलावा धारा 354 डी के तहत भी आरोप दर्ज किए जाने थे।

कोई मायने नही रखता कि आप कॉलेज, स्कूल की विद्यार्थी हैं, हाउसवाइफ हैं या कोई कामकाजी महिला हैं कभी भी किसी को भी कही भी स्टॉक किया जा सकता है और स्टॉक करने वाला व्यक्ति कोई भी हो सकता है। कई बार महिलाएं स्टॉकिंग की घटना को इसलिए रिपोर्ट नही करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पुलिस कुछ नहीं करेगी। स्टॉकिंग की कई वजह हो सकती हैं जिनसे घबराने की जरूरत नहीं हैं। अगर आप के मन में डर हैं और आप सीधेतौर पर शिकायत करके नज़र में नही आना चाहती तो ऐसा स्थिति में आप राष्ट्रीय महिला आयोग में पीछा करने के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकती हैं जिसके बाद आयोग पुलिस से बात करके मामले पर काम करता है। इसके अलावा ज्यादा प्रयोग किए जाने वाले सोशल मीडिया एप जैसे व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया साइट्स भी 36 घंटे के अंदर आपकी शिकायत पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

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तस्वीर साभार : Legalshala

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