मल्टीमीडियाइन्फोग्राफिक्स अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के टेकओवर के बाद, पढ़िए क्या कहना हैं वहां की महिलाओं का, क्या हैं उनकी चिंताएं और डर!

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के टेकओवर के बाद, पढ़िए क्या कहना हैं वहां की महिलाओं का, क्या हैं उनकी चिंताएं और डर!

सहरा करीमी, अफगानी फिल्म निर्माता

“अगर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया तो वे मेरी कला पर प्रतिबंध लगा देंगे। मैं और अन्य फिल्ममेकर उनकी हिट-लिस्ट में अगले ही नंबर पर हो सकते हैं। बस कुछ हफ्तों में, तालिबान कई स्कूलों को नष्ट कर देगा और अब फिर से 20 लाख लड़कियों को मजबूरी में स्कूल से बाहर निकालना पड़ेगा।”

आयशा (बदला हुआ नाम), न्यूज एंकर और राजनीतिक टॉक शो होस्ट

“कई सालों तक मैंने एक पत्रकार के रूप में काम किया, अफगानी लोगों, खासकर अफगानी महिलाओं के लिए आवाज़ उठाने का, लेकिन अब हमारी पहचान को नष्ट कर दिया गया है और हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो हमें ये सब झेलना पड़ रहा है। पिछले 24 घंटों में, हमारी ज़िंदगी बिल्कुल बदल गई है। हम अपने ही घरों में बंद हो गए हैं और मौत हमें हर पल डराती है।”

वहीदा सद्दागी, परदिस हाई स्कूल की 11वीं की छात्रा

“मैं अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं। अब वह धुंधला ही नज़र आ रहा है। अगर तालिबान की सत्ता आती है तो मैं अपना अस्तित्व खो दूंगी।”

महबूबा सेराज, अफगान महिला नेटवर्क की संस्थापक

“दुनिया ने अफगानिस्तान के साथ जो किया, इसके लिए उसको शर्म आनी चाहिए। अफगानिस्तान में जो हो रहा है ये अफगानिस्तान को 200 साल पीछे कर देगा।”

काबुल यूनिवर्सिटी की एक छात्रा

“मैंने अफगानिस्तान के दो सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से एक साथ दो डिग्रियां पूरी कर ली हैं। मुझे नवंबर में ही ग्रेजुएट हो जाना चाहिए था। लेकिन जब आज मैं घर पहुंची, तो सबसे पहले मैंने और मेरी बहनों ने अपनी आईडी, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट छिपाए। अब ऐसा लग रहा है कि मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, उसे जला देना होगा।”

एक अफगानी महिला जज

“तालिबान को हमारे ठिकानों के बारे में पता है। उन्होंने अपनी ज़रूरत की सारी जानकारियां पहले ही इकट्ठा कर ली हैं। इसलिए हमारे पास छिपने या रहने का कोई रास्ता नहीं है।”

नसरीन सुल्तानी, काबुल में सरदार-ए-काबुली गर्ल हाई स्कूल की प्रिंसिपल

“मैं बहुत दुखी हूं। जब मैं सारी लड़कियों के देखती हूं, तो मैं अब और भी परेशान हो जाती हूं। मैंने कोशिश की, फिर भी हम महिलाओं को इस दयनीय स्थिति से बाहर नहीं निकाल पाए। तालिबान मुझे धमकाते हुए ही आया है और उन्होंने मुझे मारने की धमकी दी है। मैंने फिर भी लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की कोशिश की।”

एक अफगानी महिला पत्रकार

“मेरे शहर में तालिबान का कब्ज़ा होने के बाद मुझे अपने घर और जिंदगी के लिए उत्तरी अफगानिस्तान की ओर भागना पड़ा। मैं अभी भी भाग रही हूं और मेरे लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। पिछले हफ्ते तक मैं एक पत्रकार थी। आज मैं अपना नाम भी नहीं लिख सकती और यह भी नहीं कह सकती कि मैं कहां से हूं और कहां हूं। मेरी पूरी जिंदगी कुछ दिनों में खत्म हो जाएंगी।”

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