मल्टीमीडियावीडियो घरेलू हिंसा हमारे समाज के लिए ‘नॉर्मल’ क्यों है?

घरेलू हिंसा हमारे समाज के लिए ‘नॉर्मल’ क्यों है?

हिंसा सहने की आदत डालो, थप्पड़ पड़े तो नज़रअंदाज़ करो, हिंसा करना मर्दों की आदत है, तभी तो दुनिया में हर तीन में एक औरत जिसकी उम्र 15 साल से अधिक है, उसने अपने जीवन में हिंसा का सामना किया होता है। ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक समाज की ये ट्रेनिंग इतनी मज़बूत है कि खुद औरतों को भी लगने लगता है कि उनके साथ होनेवाली हिंसा जायज़ है। अभी हाल ही में नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का डेटा बताता है कि कि 14 राज्यों और यूनियन टेरिटरीज़ की 30 फीसदी औरतें ये मानती हैं कि कुछ परिस्थितियों में मर्दों का अपनी बीवियों को पीटना जायज़ है। ऐसे कई और आंकड़े भारत के संदर्भ में आपको मिल जाएंगे जिनसे ये साबित होता है कि घरेलू हिंसा को हमारे देश में कितना नॉर्मल माना जाता है। चलिए FII हिंदी के आज के इस वीडियो में हम जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर हमारा समाज घरेलू हिंसा को सामान्य क्यों मानता है!!

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