समाजपर्यावरण पर्यावरण को बचाने के लिए उल्लेखनीय है इन महिलाओं के काम

पर्यावरण को बचाने के लिए उल्लेखनीय है इन महिलाओं के काम

विकास की दौड़ में पर्यावरण को पीछे छोड़ते इंसानों की भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी हुए जिन्होंने पर्यावरण को बचाए रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

इंसानों ने अपने विकास के साथ-साथ प्रकृति का दोहन भी खूब किया। विकास की दौड़ में पर्यावरण को पीछे छोड़ते इंसानों की भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी हुए जिन्होंने पर्यावरण को बचाए रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इस लेख के जरिए हम आपको कुछ ऐसी महिला शख्सियतों से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिनका काम पर्यावरण के लिए समर्पित है।

1- सुमैरा अब्दुलालिक

तस्वीर साभार: Asian Age

मदर टेरेसा पुरस्कार से सम्मानित सुमैरा एक जानी-मानी महिला पर्यावरणविद हैं। सुमैरा ने ध्वनि प्रदूषण और रेत खनन जैसी समस्याओं के खिलाफ आवाज बुलंद की है। भारत में इन्हें इनके कामों के चलते ‘शोर मंत्री’ के नाम से भी जाना जाता है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सुमैरा ने कानून का सहारा लेते हुए अपनी कानूनी लड़ाईयों के जरिए पर्यावरण को संरक्षित करने का कार्य किया है। साथ ही इन्होंने गैर सरकारी संगठन ‘आवाज़ फाउंडेशन‘ की साल 2006 में स्थापना भी की है। साल 2003 में सुमैरा ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ बंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसका फैसला उनके हक में रहा था। कोर्ट ने अपने फैसले में अस्पतालों ,स्कूलों ,अदालतों धार्मिक स्थलों ,के आसपास 100 मीटर तक फैले साइलेंस जोन का सीमांकन करने का निर्देश दिया गया। इसके बादसाल 2006,साल 2007 साल 2010 से लेकरसाल 2017 तक ऐसे कई वर्षों में सुमैरा ने मुंबई में ध्वनि प्रदूषण के लिए अलग-अलग काम किए। सुमैरा ने अवैध रूप से चल रहे रेत खनन का कानूनी तौर पर विरोध किया था। उनके खनन मामले को सामने लाने के बाद मुंबई में कई क्षेत्रों में अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई भी की गई।

2- सालुमरादा थिम्मका

तस्वीर साभार: Indian Express

110 वर्ष की सबसे वृद्ध पर्यावरणविद सालुमरादा उम्र के इस पड़ाव में भी प्रकृति से अपना प्रेम बनाए हुए हैं। कर्नाटक के तुमकुर ज़िले की निवासी सालुमरादा पेड़ों को ही अपनी संतान मानती हैं। सालुमरादा को वृक्ष माता के नाम से जाना जाता है। ‘वृक्ष माता’ सालुमरादा का बरगद के पेड़ों से विशेष जुड़ाव है। एक साधारण गरीब परिवार की महिला होने के बावजूद वह अकेले ही वृक्ष रोपण कर उनकी देखभाल करती हैं। 100 वर्ष से अधिक आयु की सालुमरादा ने 400 से ज्यादा बरगद के पेड़ लगाए हैं इसके साथ ही 8,000 से अधिक अन्य वृक्ष भी लगाए हैं। हाल ही में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री के सम्मान से नवाज़ा गया है।

3- नोर्मा अल्वरेस

तस्वीर साभार: Wikipedia

गोवा से संबंध रखने वाली नोर्मा पेशे से वकील होने के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। नोर्मा ने पर्यावरण संरक्षण के लिए’ गोवा फाउंडेशन’ समूह की स्थापना की थी। नोर्मा को पर्यावरण के लिए काम करने के लिए साल 2001 में गोवा सरकार ने यशदामिनी पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसी कड़ी में साल 2002 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री के चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार से नोर्मा को नवाज़ा गया था। गोवा में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नोर्मा ने कई याचिकाएं दायर की और खनन के खिलाफ काम किए।

4- अमला रुईया

तस्वीर साभार: Mina Guli

साल 1999 से 2000 में टीवी में अमला ने राजस्थान के गांव में सूखे की खबर देखी जिसके बाद वह काम करने राजस्थान पहुंच गई। उन्होंने वहां आकार चैरिटेबल ट्रस्ट फाउंडेशन की सहायता से गांव में चेक डैम का निर्माण करवाया था जिसके बाद गांव की सूरत ही बदल गई गांव में पानी की समस्या दूर हुई और गांव के लोगों का जीवन सुधर गया अमला रुइया को गांव के लोग ‘पानी माता’ कहकर बुलाते हैं। अमला ने पानी समस्या के साथ-साथ शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया और शिक्षा क्षेत्र में कई काम किए। उनके कामों के कारण उन्हें कई अवॉर्ड्स मिले। साल 2018 में उन्हें ‘इंडिया आर्ट इंटरनेशनल हृयूमन राइट्स ऑब्जर्वर अचीवमेंट’ अवार्ड प्राप्त हुआ था।

5- सीता कोलमैन

तस्वीर साभार: Wikipedia

सीता एक भारतीय रसायनज्ञ, पर्यावरणविद और उद्यमी हैं। उन्होंने प्लास्टिक इस्तेमाल से पर्यावरण पर पड़ते बुरे प्रभावों को देखा जिसके बाद उन्होंने पर्यावरण की रक्षा करने का फैसला किया। वह अब कंपनियों के साथ विचार-विमर्श कर, ज़रूरी जानकारी इकट्ठा कर आंकलन करती हैं कि किसी प्रॉडक्ट के उत्पादन से कितना पर्यावरण पर असर होता है और उस नकारात्मक प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता ह, पुनर्चक्रण प्रणाली से रोज़गार बढ़ाकर कैसे पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है। इन सभी विषयों पर वह लगातार काम कर रही हैं।


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