इतिहास नसरीन मोहम्मदीः भारत की पहली ऐबस्ट्रैक्ट महिला चित्रकार #IndianWomenInHistory

नसरीन मोहम्मदीः भारत की पहली ऐबस्ट्रैक्ट महिला चित्रकार #IndianWomenInHistory

नसरीन मोहम्मदी आधुनिक भारतीय चित्रकारों में से एक प्रमुख नाम हैं। इन्हें भारत के बीसवींं शताब्दी के प्रमुख कलाकारों में से एक माना जाता है। वह पेंटिंग और फोटोग्राफी में पूरी तरह पारंगत थीं। वह भारतीय कला के क्षेत्र में आधुनिक कला को लानेवाली पहली कलाकारों में से एक थीं।

नसरीन मोहम्मदी आधुनिक भारतीय चित्रकारों में से एक प्रमुख नाम हैं। इन्हें भारत के बीसवीं शताब्दी के प्रमुख कलाकारों में से एक माना जाता है। वह पेंटिंग और फोटोग्राफी में पूरी तरह पारंगत थीं। वह भारतीय कला के क्षेत्र में आधुनिक कला को लानेवाली पहली कलाकारों में से एक थीं। नसरीन मोहम्मदी खासतौर पर अपनी काली-सफेद रेखाओं यानी ब्लैक एंड वाइट लाइन के चित्र बनाने के लिए चर्चित थीं। प्रकाश और छाया को वह अपने काम में एक अलग तरीके से दिखाती थीं। हर कलाकार को अपनी सहूलियत के अनुसार अलग-अलग उपकरण पसंद आते हैं। नसरीन का पसंदीदा माध्यम कागज और पेंसिल थे।

नसरीन मोहम्मदी का जन्म 1937 में कराची पाकिस्तान (ब्रिटिश भारत) में हुआ था। वह सुलेमानी बोहरा परिवार के आठ बच्चों में से एक थी। वह बहुत छोटी थी तब इनकी मां का देहांत हो गया था। पिता ने इनका पालन-पोषण किया। उनके पिता के अन्य व्यावसायिक उपक्रमों के अलावाएक फोटोग्राफी उपकरणों की दुकान भी थी। सन 1944 में भारत-पाक विभाजन के बढ़ते तनाव के बीच उनका परिवार मुंबई में आकर बस गया। नसरीन मोहम्मदी का परिवार बहुत संपन्न परिवार था, जिस कारण उन्हें उस समय में बहुत विशेषाधिकार प्राप्त हुए थे।

और पढ़ेंः मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए इस लेख को पढ़ने के लिए क्लिक करें

केवल सोलह साल की उम्र में वह पढ़ाई के लिए लंदन चली गई थीं। वहां उन्होंने साल 1954 से साल 1957 तक ‘सेंट मार्टिन स्कूल ऑफ आर्ट्स‘ में अपनी पढ़ाई की। कुछ समय के बाद छात्रवृत्ति लेकर उन्होंने साल 1961 से साल 1963 के बीच पेरिस में पढ़ाई की। पेरिस में उन्होंने प्रिंटमेकिंग एटेलियर में भी काम किया। भारत वापिस लौटने के बाद मुंबई में वह ‘भूलाभाई इंस्टीट्यूट फॉर द आर्ट्स‘ से जुड़ीं। इस दौरान उन्हें कई समकालीन भारतीय कलाकारों से मिलने का मौका मिला। इसमें वी.एस. गायतोंडे, एम.एफ. हुसैन और तैयब मेहता शामिल हैं। नसरीन बस्ट्रैक्ट चित्रकारी से बहुत प्रभावित हुई थी, और गायतोंडे ने उनके गुरु के तौर पर उनका मार्गदर्शन किया।

नसरीन मोहम्मदी आधुनिक भारतीय चित्रकारों में से एक प्रमुख नाम हैं। इन्हें भारत के बीसवीं शताब्दी के प्रमुख कलाकारों में से एक माना जाता है। वह पेंटिंग और फोटोग्राफी में पूरी तरह पारंगत थीं। वह भारतीय कला के क्षेत्र में आधुनिक कला को लानेवाली पहली कलाकारों में से एक थीं।

साल 1972 में नसरीन मोहम्मदी बडौदा में जा बसीं। जहां उन्होंने महाराजा सयोजीराव विश्वविद्यालय में पढ़ाया और जीवनभर वहीं रहीं। वह एक स्वतंत्र महिला थीं, जिनके पास बड़ौदा में एक घर और स्टूडियो था। नसरीन मोहम्मदी अपने विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल शिक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित करती थीं। नसरीन मोहम्मदी को यात्राओं का बहुत शौक था। इस वजह से कई अलग-अलग देशों में अपने जीवन के महत्वपूर्ण दिन व्यतीत किए है। जापान, अमेरिका, बहरीन, कुवैत, ईरान आदि कई शहरों में यात्रा की। तुर्की में काफी लम्बा वक्त गुजारा।

नसरीन मोहम्मदी यात्राओं को अपनी कला में एक महत्वपूर्ण सोर्स और प्रेरणा मानती थी। नसरीन अपने साथ हमेशा एक डायरी रखती थी और अपने जीवन की हर छोटी-बड़ी घटनाओं को उसमें लिखती थीं। उनकी डायरी उनके जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को एक झलक प्रस्तुत करती हैं। उनकी डायरी के अंशों को पढ़कर ही यह अर्थ निकलता है कि वह कला के प्रति कितनी समर्पित थी और उनके जीवन का अर्थ कला ही थी।

और पढ़ेंः सालगिरह पर ख़ास : बेहतरीन और बेबाक़ चित्रकार अमृता शेरगिल से जुड़ी रोचक बातें

नसरीन मोहम्मदी को उनके काले और सफेद जे़न ड्राइंग के लिए जाना जाता है। नसरीन का मानव आकृतियों को एकरूपता में उकेरने में कम रूचि थी। वह पैटर्न में अधिक रूचि रखती थी। वह मानव आकृतियों के साथ विभिन्न पैटर्नवाले कपड़े भी अपनी कला में शामिल करती थी। कम लोग जानते है कि नसरीन को बुनाई में दिलचस्पी थी और यही वजह थी कि उनकी तस्वीरों में कई करघे और कपड़ा मशीनरी शामिल हैं। उनके शुरुआती चित्र भूरे रंग में होते थे।

नसरीन मोहम्मदी के काम को मालूम करना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि वह अपने कला के काम में कभी भी तारीख और शीर्षक नही छोड़ती थी। नसरीन मोहम्मदी जब चित्र नहीं बनाती थी तो फोटो खींचती थी जिसमें वह रेगिस्तान, विरान गली, खाली जगह को काफी खूबसूरती और यथार्थवाद से दिखाती थी। नसरीन मोहम्मदी का घर जापान के सन्यासियों जैसा था। सफेद खाली दीवार, छोटी टेबल, स्याही की दवात, पेंसिल जैसे आर्किटेक्चर के प्रयोग में आनेवाला सामान ही सिर्फ उनके घर में मौजूद था।

नसरीन मोहम्मदी ने साल 1990 में अपने जीवन की आखिरी सांस ली। कला को समर्पित जीवन से वह अपनी अलग पहचान पीछे छोड़ गई। कला के क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति इनकी शख्सियत को जानता हैं। कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान की वजह से वह एक असाधरण कलाकार हैं। उनके समकालीन पुरुष कलाकार व्यावसायिक रूप से सफर रहें, जबकि नसरीन मोहम्मदी ने खुद को सरल रेखा की चित्रकारी की जटिलता को खुद तक सीमित रखा। कला के प्रति समपर्ण ही है कि वह खराब स्वास्थ्य में भी दृढ़ संकल्प से काम करती रहीं। नसरीन मोहम्मदी एक आधुनिक और रहस्यपूर्ण कलाकार थीं। यही बात उन्हें उनके समय के अन्य कलाकारों से अलग करती है।

और पढ़ेंः मिलिए विश्वविख्यात इन 8 महिला मधुबनी कलाकारों से







Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content