गणित और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को लेकर एक आम धारणा यह है कि ये लड़कों का विषय है। लड़कियों का गणित और कंप्यूटर से कोई वास्ता नहीं है लेकिन साल 1843 में ही ऐडा लवलेस ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया था। लेकिन अफ़सोस कि उन्हें वह पहचान नहीं मिली जो इस क्षेत्र में मौजूद पुरुषों को मिली। ऐडा लवलेस को दुनिया की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में जाना जाता है। चार्ल्स बैबेज ने भले ही पहले कंप्यूटर का अविष्कार किया हो लेकिन आधुनिक कंप्यूटर के आने से पहले ही ऐडा लवलेस ने कंप्यूटर प्रोग्राम लिख दिया था। वह एक गणितज्ञ और लेखिका थीं। उन्होंने 1843 में कंप्यूटर की पूरी एक सीरीज़ लिखी थी।
शुरुआती जीवन
ऐडा लवलेस का जन्म 17 मई, 1792 में इंग्लैंड के एक संपन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम लार्ड बायरन था। उनके पिता अंग्रेज़ी के एक मशहूर कवि थे। इनकी माँ का नाम ऐनाबेला मिलबैंक बायरन था। ऐडा के जन्म के कुछ महीने बाद ही उनके माता-पिता अलग हो गए थे। कुछ समय बाद उनके पिता ने हमेशा के लिए ब्रिटेन छोड़ दिया था। जब वह आठ साल की थीं तो उनके पिता की मौत ग्रीस में हो गई। ऐडा अपने पिता से कभी नहीं मिल पाई।
ऐडा लवलेस की माँ उन्हें गणितज्ञ और तर्कवादी बनाना चाहती थीं। वह ऐडा को उनके पिता से अलग व्यक्तित्व वाला इंसान बना चाहती थी। उन्होंने ऐडा को पढ़ाने के लिए निजी शिक्षक का प्रबंधन किया। ऐ़डा घर पर ही अंग्रेज़ी, इतिहास और साहित्य जैसे विषय पढ़ रही थीं लेकिन सबसे ज्यादा गणित और विज्ञान विषयों पर ध्यान दिया गया। उन्हें गणित पढ़ाने के लिए लंदन विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर, गणितज्ञ-तर्कशास्त्री ऑगस्टन डी मॉर्गन की सहायता ली गई।
ऐडा पढ़ाई में बहुत होशियार थी। मशीनों से उन्हें बहुत प्यार था। वह 12 साल की उम्र में उड़ने वाली मशीन बनाने लग गई थी। उन्होंने अपनी उड़ने वाली मशीन के पंख बनाने के लिए कई चीज़ों से पंख बनाए थे। हवाई जहाज़ के अविष्कार से बहुत पहले ऐडा ने बचपन में ही उड़ने वाली मशीन की कल्पना करनी शुरू कर दी थी।
1833 में पहली बार इनकी मुलाकात चार्ल्स बैबेज से हुई थी। उनकी मुलाकात मैरी समरविले ने करवाई थी। ऐडा की मशीनों में रुचि देखने के बाद बैबेज ने उन्हें अपने द्वारा बनाई जा रही मशीन देखने के लिए आमंत्रित किया। ऐडा को उस मशीन ने बहुत आकर्षित किया था। मशीन देखने के बाद ऐडा बैबेज से मशीन को समझने के लिए उसके ब्लूप्रिंट को मांगा। ऐडा की उम्र उस समय केवल 17 साल थी। जब उन्हें बैबेज से इंजन के काम करने के तरीके के बारे में समझाया था। ऐडा को जब भी समय मिलता था, वह बैबेज से मिलने जाती थी।
8 जुलाई 1835 में उनकी शादी विलियम किंग, 8वें बैरॉन किंग से हुई थी। शादी के बाद उन्हें ‘एर्ल लवलेस’ का टाइटल मिला इसके बाद ही उन्होंने अपने नाम के पीछे ‘लवलेस’ लगाना शुरू किया था। शादी और मातृत्व के लिए ऐडा ने अपने गणितीय अध्ययन को बीच में कुछ समय के लिए रोक दिया था। ऐडा के तीन बच्चे हुए, लेकिन जैसे ही पारिवारिक कर्तव्य पूरे हुए ऐडा लवलेस ने दोबारा पढ़ना शुरू कर दिया। हालांकि, इस बीच उनकी बैबेज से चिट्टी में बात होती रहती थी।
अपने शैक्षिक और सामाजिक स्तर के कारण वह उस समय के कई वैज्ञानिकों और अन्य क्षेत्र के मशहूर लोगों के संपर्क में आई। एंड्रयू क्रॉस, चार्ल्स बैबेज, सर डेविड ब्रेवेस्टर, चार्ल्स वेटस्टोन, माइकल फैराडे और लेखक चार्ल्स डिकेड्स से जान-पहचान द्वारा ऐडा ने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का काम किया।
चार्ल्स बैबेज ने उन्हें अपने नए प्रोजेक्ट एनाटिकल इंजन के बारे में बताया। बैबेज अपने नए प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक सहायता के लिए एक यात्रा पर गए जहां उनकी मुलाकात लुईजी फ्रेडरिको से हुई, जिन्होंने उनकी मशीन पर एक पेपर लिखा था। यह पेपर स्विस एकेडमी ने अक्टूबर 1842 में पब्लिश किया।
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1843 के बीच इटैलियन गणितज्ञ और इंजीनियर लुइजी फ्रेडरिको के लिखे लेख का ऐडा ने अंग्रेजी में अनुवाद किया। अनुवाद के दौरान ऐडा को कुछ अलग लगा तो उन्होंने अपने नोट्स लिखने भी शुरू कर दिए। लेख के साथ उन्होंने अपने नोट्स भी जारी किए थे। उन्होंने ऐनालिटकल इंजन की व्यापक व्याख्या की थी। उनके नोट्स में एनालिटिक इंजन और ऑरिजनल डिफरेंस इंजन के बीच के अंतर की व्याख्या की गई थी।
ऐडा ने विस्तृत रूप से विवरण दिया कि कैसे एनालिटिक इंजन को कंप्यूटर पर प्रोग्राम किया जा सकता है। चार्ल्स बैबेज ने एनालिटिकल इंजन का एक बहुत छोटा हिस्सा बनाया था लेकिन लवलेस के प्रयास और भी विस्तृत थे। उनके नोट्स मूल लेख से तीन गुना बड़े थे। ऐडा ने अपने नोट्स में यह भी सुझाव दिया था कि इसे केवल नंबर्स के लिए नहीं बल्कि शब्द, चित्र और संगीत के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐडा ने 1843 में अपने नोट्स में पहला कंप्यूटर प्रोग्राम लिखा। ऐडा लवलेस का यह काम दुनिया का पहला कंप्यूटर प्रोग्राम बना। पूरी दुनिया में ऐडा को पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर माना गया। उनके काम को खूब सराहा गया। वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने उनके लेखन को सहायक बताया।
17 नवंबर 1852 को महज 36 साल की उम्र में ऐडा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। कंप्यूटर की शुरुआती प्रोग्रामिंग भाषा को ‘ऐडा’ का नाम दिया गया। डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने एक लैंग्वेज सॉफ्टवेयर बनाया जिसको ‘ऐडा’ नाम दिया। यही नहीं उनके विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित में दिए महत्वपूर्ण योगदान के लिए हर साल अक्टूबर के दूसरे मंगलवार को ‘ऐडा लवलेस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
तस्वीर साभारः BBVA Openmind
स्रोतः Britannica.com