मेरा नाम स्वास्तिका उरमलिया है। मैं, वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हूं। साहित्य मेरे लिए केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टियों को समझने और बदलने का भी माध्यम है। मैं जेंडर की समावेशी और संवेदनशील अवधारणा में विश्वास रखती हूं और यही चेतना मेरे लेखन में भी परिलक्षित होती है। मेरी रचनात्मक कोशिश यही रहती है कि भाषा के माध्यम से हाशिये पर खड़े अनुभवों और आवाज़ों को स्थान मिल सके।