
मेरा फेमिनिस्ट जॉय: साहित्य के माध्यम से नारीवादी सोच और समझ
अब मैं समाज में पितृसत्ता के खिलाफ़ बोलने लगा हूं। जब भी कोई मिसोजिनिस्ट या सेक्सिस्ट बातें कर रहा होता है या रही होती है, मैं उनका विरोध करने लगता हूं। नारीवादी साहित्य को पढ़कर मेरे विरोध और तर्कों को मजबूती मिली है।