अबॉर्शन करवाना एक महिला का मूलभूत अधिकार है और यह नारीवादी आंदोलन की एक प्रमुख मांग रही है। अनचाहे और असुरक्षित अबॉर्शन और गर्भधारण दोनों ही महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पितृसत्तात्मक समाज में जहां महिलाओं का अपने शरीर और प्रजनन पर कोई अधिकार नहीं है ऐसे में अनचाहे गर्भधारण महिलाओं के शोषण का एक और ज़रिया बन चुके हैं। राजनीतिक और सामाजिक प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से भाग लेने में सक्षम होने के लिए, महिलाओं के पास अपने शरीर पर नियंत्रण होना चाहिए।