मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और पिछले लगभग दस वर्षों से विकास क्षेत्र से जुड़ी हूँ। इस दौरान मैंने बतौर शिक्षिका भी काम किया है। उत्तर प्रदेश में पली-बढ़ी होने के कारण मैंने पितृसत्ता, सामाजिक भेदभाव और लैंगिक असमानता को करीब से देखा और महसूस किया है। यही अनुभव मेरे काम और दृष्टिकोण की नींव हैं। लिखना, किताबें पढ़ना और नई चीजें सीखना मुझे पसंद है। मैं मानती हूँ कि शब्द बदलाव के सबसे मजबूत औज़ार हैं—इन्हीं के सहारे मैं एक अधिक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के प्रयास में लगी हूँ।