Minakshi Metta
मेरा नाम मीनाक्षी हूं। मैं 2006 से दलित आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हूँ और महिला, आदिवासी, दलित और मजदूर अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर एनजीओ सेक्टर में काम कर चुकी हूँ। मेरा उद्देश्य हाशिए पर रह रहे समुदायों की आवाज़ को प्रकट करना और उनके मुद्दों को सामने लाना है। एक कवि और लेखिका के रूप में, मैं सामाजिक मुद्दों पर लेखन करती हूँ, विशेषकर उन विषयों पर जो हाशिए पर रह रहे समूहों, महिलाओं, धर्म और जाति के जटिल मुद्दों को छूते हैं। अपनी कविताओं के माध्यम से मैं इन समूहों के संघर्ष और उनकी ताकत को प्रदर्शित करने का प्रयास करती हूँ। इसके अलावा, मुझे पारंपरिक लोक कला जैसे मधुबनी और वरली पेंटिंग में गहरी रुचि है, जो सांस्कृतिक और सामाजिक कहानियों को व्यक्त करने का एक माध्यम बनती हैं। मुझे वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का भी शौक है, जो मेरी अभिव्यक्ति को सशक्त बनाते हैं। वर्तमान में मैं चरखा से जुड़ी हूँ, जहाँ अपनी लेखन क्षमताओं को निखारने का अवसर पा रही हूँ। इसके साथ, मैं Wavye Foundation के दलित महिला नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी भाग ले रही हूँ।