महिलाएं, पुरुषों से कमजोर नहीं हैं, बल्कि यह लैंगिक असमानता ऐसे सामाजिक - सांस्कृतिक मूल्यों, विचारधाराओं और संस्थाओं की देन है, जो महिलाओं की वैचारिक तथा भौतिक अधीनता को सुनिश्चित करती हैं।
अक्सर एक तरफा प्यार की कहानियों में बात न मानने पर या किसी भी रिलेशनशिप में यदि लड़का-लड़की साथ है और अलग होने पर कोई एक साथी इस बात को स्वीकार न करें और अपनापन, हक जताने के साथ-साथ डरा-धमकाकर मारने की बातें करे तो यह व्यवहार जिल्टेड लवर के तहत आता है।
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।