बाबा साहब आंबेडकर के इस पत्र में एक पिता हैं, एक पति हैं जो अपनी पत्नी और बच्चों के लिए फिक्रमंद हैं। वहीं एक सामाजिक चिंतक भी है जिनके दिमाग में समाज सुधारने की ललक घर किए है। वह अद्भुत प्रेमी हैं। उन्हें बीवी-बच्चों से भी प्रेम है और समाज की चिंता भी है।