अमरेंद्र किशोर विकास पत्रकारिता का सुपरिचित चेहरा हैं। अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में लिखते हैं। देश के सुदूरवर्ती दुर्गम आदिवासी अंचलों में लंबे समय का प्रवास कर चुके है। ओडिशा की अनब्याही माताओं और सुंदरबन की बाघ विधवाओं की हकीकत पर लगातार लिख रहे हैं। अभी इनकी एक किताब ‘मजदूरों की मंडी कालाहाण्डी’ प्रकाशित हुई है।