

मेरा नाम दया है और मैं उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के बघाड़ गांव से हूं। मैं एक कृषक परिवार से हूं। मैंने बचपन से अपनी मां से खेती के काम को सीखा और इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया है। मैंने अल्मोड़ा से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की है और साथ ही एक जेंडर फेलोशिप भी की है। पिछले 6-7 वर्षों से मैं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर काम कर रही हूं। लगभग 5.5 वर्षों तक मैंने उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में असंगठित क्षेत्र की कामगार महिलाओं (जैसे कृषि, घरेलू कामगार, घर खाता कामगार) और युवाओं के साथ उनके मुद्दों और अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया है। उत्तराखंड एक पर्यटन राज्य है, ऐसे में महिलाओं को पर्यटन क्षेत्र में रोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें अपना होमस्टे खोलने व संचालित करने का प्रशिक्षण देना भी मेरे कार्य का हिस्सा रहा है। पिछले एक वर्ष से मैं हिमाचल प्रदेश में रहकर वहां के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में जेंडर से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही हूं। इसके अंतर्गत मैंने क्वियर समुदाय के अधिकारों और ट्रांसजेंडर पर्सन प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के विषय में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया है। मैंने स्कूल, डिग्री कॉलेज, आईटीआई, होटल मैनेजमेंट संस्थान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता आदि के साथ विभिन्न स्थानों पर एक प्रशिक्षक के रूप में ट्रेनिंग सेशन लिए हैं।
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