एक नारीवादी। साहित्य और सिनेमा प्रेमी। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में परास्नातक की पढ़ाई जारी। हिन्दी साहित्य में महिलाओं और ट्रान्स समुदाय की उपेक्षित स्थिति से बेचैन। पसंदीदा शौक वेट लिफ्टिंग।
स्त्री की देह पर उसका अपना ही अधिकार नहीं है। उसकी देह पर धर्म, परिवार, बाज़ार, मीडिया और क़ानून का कब्जा है। हमारे समाज में स्त्री का शरीर उपनिवेश है और सत्ता, ताकत, राजनीति और अर्थतंत्र इसका इस्तेमाल करते हैं।
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।