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भारतीय शैक्षिक संस्थानों को नारीवादी बनाने की जरूरत और कहां हो रही है चूकBy Malabika Dhar 6 min read | Jan 8, 2024
सफ़दर हाशमी की ‘औरत’ जिसने भारतीय स्ट्रीट थिएटर के माध्यम से लिखी बदलाव की कहानीBy Chitra Raj 5 min read | Jan 2, 2024
अतिउपभोक्तावाद को बढ़ावा देते सोशल मीडिया के मार्केटिंग ट्रेंड्सBy Aashika Shivangi Singh 5 min read | Nov 28, 2023
कैसे औरतों को करती है प्रभावित ‘पितृसत्तात्मक सौदेबाजी’By Aashika Shivangi Singh 4 min read | Sep 29, 2023
सैंड्रा ली बार्टकी के नज़रिये से ‘फूको, स्त्रीत्व और पितृसत्ता का आधुनिकीकरण’ By Yashaswini Sharma 5 min read | Sep 11, 2023
नारीवादी ज्ञान मीमांसा के संदर्भ और भारतीय मीडिया: एक नज़र थ्योरी और अनुभवों को साथ रखते हुएBy Aishwarya Raj 10 min read | Apr 19, 2023