मेरा नाम नाज़ परवीन है। मैं बीए ऑनर्स की द्वितीय वर्ष की छात्रा हूं। मुझे लिखना पढ़ना और नयी-नयी चीजें सीखना बहुत पसंद है। मुझे रिपोर्टिंग करना भी बेहद पसंद है।
जब उर्मिला पवार की आत्मकथात्मक रचना ऐदान पहली बार प्रकाशित हुई, तो इससे समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से बेचैनी की लहरें उठी। एक दलित महिला के रूप में, पवार ने अपने जीवन के अनुभवों के बारे में लिखा, उन्हें अंतरंग और स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का साहस किया। यही वह बिंदु था जहां से जाति, समाज के खिलाफ दलित कथाएं दुनिया के लिए स्पष्ट हो गईं।
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।