मेरा नाम प्रीति है। मैं दिल्ली से हूँ। मैंने जे.एन.यू. से हिंदी विषय में मास्टर किया है। वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय से 'हिन्दी के नारीवादी उपन्यासों में स्त्री-मुक्ति की अवधारणा: मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों के संदर्भ में'' विषय पर शोध कर रही हूं। मैं एक लेखक बनना चाहती हूं। मुझे नारीवादी बहसों और अवधारणाओं के विषयो पर पढ़ना-लिखना पसन्द है।
संविधान सभा में हम उन प्रमुख पंद्रह महिला सदस्यों का योगदान आसानी से भुला चुके है या यों कहें कि हमने कभी इसे याद करने या तलाशने की जहमत नहीं की| तो आइये जानते है उन पन्द्रह भारतीय महिलाओं के बारे में जिन्होंने संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है|
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।