मेरा नाम वांशिक पाल है| दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज की छात्रा हूँ| दिल्ली में ही हमेशा से रही हूँ, तो दिल्ली की गलियों को ही देखा है, लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है की अभी तक पूरी दिल्ली नहीं देखी| बात करें मेरे बारें में तो अभी तक मुझे इतना ही पता है, जितना मेरे आधार कार्ड पर फिट हो सकें| अपने बारें में कभी इतनी गहराई में सोचनें का मौका ही नहीं मिला, क्योंकि अभी तक के सारे फैसले घरवालों ने लिए है| अब सोचती हूँ, तो लगता है जैसे अभी तक तो कुछ किया ही नहीं है| बाकी पेंटिंग करना, गाने सुनना, किताबें पढ़ना और छोटे बाल रखना मेरे कुछ शौक है| हर जगह गलतियाँ करना जैसे मेरा एक मात्र काम है| बाकी ज़िंदगी में कुछ नया सीखने की कोशिश में लगी रहती हूँ, लेकिन उनसे बोर भी बहुत जल्दी हो जाती हूँ| सिनेमा देखना, गानों के साथ गाने गाना और आस पास की कहानियों को अपने फोन में रखना जैसे एक मात्र प्यार है| बाकी हर एक बात पर “क्यों?” पूछना पसंद करती हूँ|