‘आदर्श महिला’ की रूढ़िवादी तस्वीर दिखाता भारतीय सिनेमा और समाज में उसकी चाहBy Nandini Raj 5 min read | Oct 15, 2025
ऐलिस गाइ-ब्लाचे: सिनेमा की पहली महिला निर्देशक और भुला दी गई विरासतBy Saurabh Khare 6 min read | Sep 12, 2025
हिंदी फिल्मों में माँ–बेटी का बदलता रिश्ता: संस्कार, संघर्ष और दोस्तीBy Jyoti Kumari 6 min read | Aug 29, 2025
अमीरबाई कर्नाटकी: गायन और अदाकारी की मिसाल|#IndianWomenInHistoryBy Savita Chauhan 5 min read | Aug 14, 2025
सवर्ण नजरिए से ‘जातिवाद’ को दिखाती बॉलीवुड को क्यों बदलने की जरूरत है?By Sonali Rai 5 min read | Jun 5, 2025
क्यों हमें सिनेमा के गढ़े गए ‘आदर्श माँ’ के मिथक को नकारने की ज़रूरत हैBy Savita Chauhan 7 min read | May 5, 2025
मनोरंजन बनाम संवेदनशीलता: फिल्मों में मानसिक स्वास्थ्य का चित्रणBy Priti Kharwar 7 min read | Apr 30, 2025
फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं और हाशिये के समुदायों की कम भागीदारी पर सवाल क्यों ज़रूरी है?By Savita Chauhan 7 min read | Apr 3, 2025
मेरा फेमिनिस्ट जॉयः सिनेमा, नाटक और रोज़मर्रा की बातचीत में कला के माध्यम से जीवन को देखनाBy Saurabh Khare 5 min read | Feb 21, 2025
महिलाओं के संघर्ष और आकांक्षाओं को आवाज़ देते एक फिल्मकार श्याम बेनेगलBy Rupam Mishra 6 min read | Jan 9, 2025
‘गीली पुच्ची’: जाति, जेंडर और यौनिकता की परतें उधेड़ती एक कहानीBy Savita Chauhan 4 min read | Jan 6, 2025
गाइड से क्वीन तक: सिनेमा में महिलाओं की यात्रा के बदलते मायनेBy Pragya Bahuguna 6 min read | Sep 20, 2024
पारंपरिक समाज में एक महिला की व्यक्तिगत आज़ादी की लड़ाई दिखाती है फिल्म ‘परमा’By Atika Sayeed 6 min read | Sep 2, 2024
अभिनेता रंजीत का ऑनर क्राइम को माता-पिता का प्यार बताना ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक मानसिकता है! By Shehnaz 5 min read | Aug 16, 2024