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#GBVInMedia अभियान क्या है?
#GBVInMedia फेमिनिज़म इन इंडिया द्वारा चलाया जाने वाला वह अभियान है जो बताता है कि लैंगिक हिंसा के मुद्दे पर कैसे संवेदनशीलता के साथ कवरेज की जानी चाहिए। इस अभियान के तहत फेमिनिज़म इन इंडिया (हिंदी) एक ऐसी टूलकिट लेकर आया है जो लैंगिक हिंसा की मीडिया कवरेज को संवेदनशील और समावेशी बनाने की ओर एक प्रयास है। इस रिपोर्ट को जारी करने का मुख्य उद्देश्य है कि इसका इस्तेमाल कर मीडिया लैंगिक हिंसा के मुद्दे को बिना किसी पूर्वाग्रह के, संवेदनशीलता के साथ कवर कर सके। मीडिया लैंगिक हिंसा के मुद्दे पर जिस तरह की भाषा, हेडलाइंस, तस्वीरों आदि का इस्तेमाल करता आ रहा है, वे क्यों असंवेदनशील हैं, कैसे वे लैंगिक हिंसा के सर्वाइवर्स के प्रति एक रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा दे रहे हैं, इन सब बातों पर विचार किया जाए।
लैंगिक हिंसा की कवरेज और हिंदी मीडिया: टूलकिट जो बताती लैंगिक हिंसा पर संवेदनशील रिपोर्टिंग कैसे करें
लैंगिक हिंसा के प्रति रूढ़िवादी सोच को चुनौती देने में मीडिया की कवरेज की हिस्सेदारी बेहद अहम है। लैंगिक हिंसा को खत्म करने के लिए सर्वाइवर्स की आवाज़ को आगे बढ़ाना, उनके न्याय के लिए वकालत करना, उनकी सामाजिक, आर्थिक, लैंगिक आदि पहचान को केंद्र में रखते हुए, उनके साथ हुई हिंसा को कवर करना मीडिया की ज़िम्मेदारी है। मीडिया लोगों की सोच को प्रभावित करने का एक सशक्त माध्यम है। ऐसे में मीडिया संवेदनशीलता से लैंगिक हिंसा को कवर करके यह तय कर सकता है कि यह कितना अहम मुद्दा है।
हालांकि, जब हम लैंगिक हिंसा के परिपेक्ष्य में भारतीय मीडिया, ख़ासकर मेनस्ट्रीम मीडिया की कवरेज देखते हैं तो उनकी कवरेज में हमें रूढ़िवादी, पितृसत्तात्मक सोच की झलक दिखाई देती है। ऐसे में लैंगिक हिंसा को खत्म करने, इसके प्रति लोगों की रूढ़िवादी सोच को बदलने में मीडिया जितनी अहम भूमिका निभा सकता है, वैसा होता नज़र नहीं आता।
लैंगिक हिंसा पर संवेदनशील रिपोर्टिंग कैसे की जाए इस मुद्दे पर अलग-अलग भाषाओं, ख़ासकर अंग्रेज़ी में पहले से ही कई गाइडलाइंस, टूलकिट और रिपोर्ट्स मौजूद हैं। लेकिन हिंदी में इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट की गैरमौजूदगी हमेशा रही है। इसी कमी को पूरा करने के लिए फेमिनिज़म इन इंडिया हिंदी ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
इस अभियान के तहत अब तक हमने क्या किया?
#GBVinMedia अभियान की शुरुआत फेमिनिज़म इन इंडिया ने साल 2015 में की थी। इसके बाद साल 2019 में अंग्रेज़ी में हमने लैंगिक हिंसा और मीडिया पर एक टूलकिट जारी की जिसका उद्देश्य भी लैंगिक हिंसा की कवरेज को संवेदनशील बनाना था।
यह टूलकिट लैंगिक हिंसा के ख़िलाफ़ 16 दिवसीय अभियान के दौरान 9 दिसंबर को एक ऑनलाइन इवेंट में जारी की गई थी। इस टूलकिट को तैयार करने से पहले हमने हिंदी मेनस्ट्रीम मीडिया की तीन प्रमुख वेबसाइट्स और तीन प्रमुख अख़बारों की ख़बरों का विश्लेषण किया। इस दौरान हमने अप्रैल 2022 से जून 2022 तक इन तीन वेबसाइट्स और अख़बारों की लैंगिक हिंसा पर आधारित ख़बरों का विश्लेषण किया। इसमें इन तीन वेबसाइट्स की 145 ख़बरें और अख़बारों की 360 ख़बरें शामिल थीं। लैंगिक हिंसा से जुड़ी इन 505 ख़बरों का विश्लेषण हमने मुख्य रूप से भाषा, ख़बर में इस्तेमाल की गई तस्वीर, शीर्षक, लैंगिक हिंसा को लेकर मीडिया की पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच आदि के आधार पर किया।
फेमिनिज़म इन इंडिया ने अपने कैंपेन #GBVinMedia के तहत ऐसी तस्वीरों का संकलन तैयार किया है जिन्हें आप बलात्कार, यौन हिंसा, लैंगिक हिंसा से जुड़ी खबरों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इन सभी तस्वीरों के पास CC-BY 4.0 license है जिनका स्वामित्व फेमिनिज़म इन इंडिया के पास है। आप इन तस्वीरों को कमर्शियल या नॉन-कमर्शियल उद्देश्यों के तहत इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, आपको तस्वीर का साभार फेमिनिज़म इन इंडिया को देना होगा।
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