खुद को ‘फेमिनिस्ट वेडिंग’ का टैग देती शादियां आखिर कितनी फेमिनिस्ट हैं?By Rakhi Yadav 7 min read | Nov 18, 2025
क्यों चिंताजनक है भारत में ‘पारंपरिक पत्नी’ यानी ट्रैडवाइफ़ का बढ़ता चलन?By Shehnaz 6 min read | Sep 15, 2025
औरतों की पहचान को कैसे चुनौती देती है ‘शादी’ की पितृसत्तात्मक संस्थाBy Renu Kumari 4 min read | Oct 13, 2022
शादी पर केरल हाई कोर्ट की टिप्पणी रूढ़िवादी सोच का करती है प्रदर्शनBy Pooja Rathi 4 min read | Sep 12, 2022
भारत में नौकरीपेशा लड़कियां नहीं होती हैं शादी के लिए पहली पसंद: स्टडीBy Pooja Rathi 6 min read | Jul 21, 2022
“शादी कर दो लड़का सुधर जाएगा” इस बेतुकी सोच से कब निकलेगा हमारा पितृसत्तात्मक समाजBy Pooja Rathi 5 min read | Dec 7, 2021
पितृसत्ता की नींव पर टिकी शादी की संस्था ज़िंदगी का अंत और इकलौता लक्ष्य नहीं हैBy Renu Gupta 5 min read | Jun 22, 2021
शादी पर मलाला के एक बयान से क्यों तिलमिला गया पितृसत्तात्मक समाजBy Pooja Rathi 5 min read | Jun 8, 2021
लड़कियों के सभी अंगों का ‘ठीक’ होना पितृसत्तात्मक समाज के लिए क्यों ज़रूरी है ?By Ritika Srivastava 4 min read | Jan 7, 2021