जब हम आज़ादी की बात करते हैं, तो हमारे मन में अक्सर सबसे पहले देश की स्वतंत्रता, सामाजिक बंधनों से मुक्ति और बाहरी दुनिया से जुड़ी स्वतंत्रता का ख्याल आता है। लेकिन असली आज़ादी सिर्फ बाहर की नहीं होती। यह वो अहसास है, जो हमें हमारे जीवन के हर छोटे-बड़े फैसले खुद से लेने का अधिकार देता है। चाहे वह करियर हो, व्यक्तिगत जीवन हो या फिर हमारे सपने हो। हर निर्णय पर हमारी अपनी मुहर होनी चाहिए। मेरे लिए इस आज़ादी का अनुभव मेरे परिवार के सहयोग से जुड़ा रहा, जिसने न केवल मुझे अपने सपनों का पीछा करने का हौसला दिया, बल्कि अपने रास्ते खुद बनाने की
ताकत भी दी।
जब भी मैं अपने जीवन की तरफ देखती हूं, तो मुझे महसूस होता है कि मेरे हर फैसले में मेरे परिवार का अटूट समर्थन रहा है। चाहे वो मेरे करियर से जुड़े अहम मोड़ रहे हों या व्यक्तिगत जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय। मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया और मेरी ताकत बनें। उन्होंने मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं एक लड़की हूं और इसलिए मेरे फैसले सीमित या नियंत्रित होने चाहिए। यह वो आज़ादी थी जो इस लोकतांत्रिक देश में कई लड़कियों को नहीं मिलती है और इसी ने मुझे अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का मौका दिया।
अपने सपनों को पूरा करने की आज़ादी का यह एहसास जब असल जिंदगी में मिलता है, तब यह एक सशक्तिकरण का अनुभव होता है। मेरे जीवन के अबतक के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन एक चीज़ जो हमेशा स्थिर रही, वह था मेरे परिवार का अटूट समर्थन। जब 12वीं के बाद मैंने नर्सिंग को करियर के रूप में चुना, यह पूरी तरह से मेरा अपना निर्णय था। लेकिन कुछ समय बाद मुझे यह महसूस हुआ कि नर्सिंग में मेरी रुचि नहीं है और मैंने इसे छोड़ने का फैसला किया। यह एक मुश्किल निर्णय था, क्योंकि समाज और रिश्तेदारों की अपेक्षाएं कुछ और थीं। लेकिन मेरे परिवार ने मेरे फैसले का आदर किया और मुझे बिना किसी दबाव के मेरे नए करियर की तरफ बढ़ने का मौका दिया।
जब मैंने नर्सिंग छोड़कर मास कम्युनिकेशन में दाखिला लिया, तब कई लोगों ने सवाल उठाए। कुछ ने कहा कि दो साल की मेहनत बेकार हो गई। मेरे करीबी रिश्तेदारों ने मेरे परिवार को ताने भी दिए कि “उसने दो साल बर्बाद कर दिए” लेकिन मेरे पापा ने मुझे सिर्फ एक बात कही, “जो ऐसा सोचते हैं, वो गलत हैं। हमें तुम पर पूरा भरोसा है।” मेरे लिए यह शब्द जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा बने।
समाज की बातें और मेरा आत्मविश्वास
जब कोई अपनी दिशा बदलता है, तो समाज के ताने और आलोचनाएं अक्सर रास्ते का हिस्सा बन जाते हैं। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। जब मैंने उत्तराखंड छोड़कर दिल्ली में मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई शुरू की, तो लोगों ने कहा कि मैं अपना समय और मेहनत बर्बाद कर रही हूं। वे चाहते थे कि मैं “सुरक्षित” करियर में रहूं। लेकिन मेरी स्वतंत्रता ने मुझे अपने सपनों के पीछे जाने का साहस दिया, चाहे रास्ते में कितनी ही चुनौतियां क्यों न हों।
मेरे लिए यह एहसास बहुत खास था कि मेरे परिवार ने कभी मुझे किसी भी फैसले में रोक-टोक नहीं की। जबकि मेरे कई दोस्त ऐसे माहौल में बड़े हुए, जहां उन्हें अपने फैसले खुद लेने का मौका ही नहीं मिला। मेरी एक करीबी सहेली ने मुझसे एक बार कहा था, “मेरे परिवार ने कभी मुझे खुद सोचने का मौका नहीं दिया। वो हमेशा मेरे फैसले लेते हैं”। मुझे यह समझ आया कि मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि मुझे अपने जीवन के फैसले लेने की पूरी स्वतंत्रता मिली है। हालांकि खुद के जीवन के फैसले लेना का अधिकार हर इंसान के पास होना चाहिए लेकिन हमारे समाज में लैंगिक भूमिकाओं के चलते इस तरह का मौका मिलना एक विशेषाधिकार जैसा लगता है।
स्वतंत्रता और मानसिक संतुलन
मेरे जीवन की यह आज़ादी सिर्फ मेरे करियर तक सीमित नहीं रही। इसका असर मेरे मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर भी पड़ा। जब आपके पास अपने फैसले खुद लेने की शक्ति होती है, तो इसका असर आपके पूरे व्यक्तित्व पर दिखता है। आप न केवल अपने निर्णयों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं, बल्कि आपको यह एहसास भी होता है कि आप अपने जीवन की दिशा तय कर सकते हैं। मेरे मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास को इस स्वतंत्रता ने मजबूती दी। जहां मेरे कई दोस्त अपने परिवार की अपेक्षाओं के बोझ तले दबे हुए थे, मैं अपने जीवन की राह खुद चुनने में सक्षम थी। इस कारण मैं हर नई चुनौती का सामना बिना किसी डर के कर सकी।
नई पीढ़ी की आज़ादी की परिभाषा
आज की पीढ़ी के लिए आज़ादी का मतलब केवल करियर का चुनाव या शादी के फैसले तक सीमित नहीं है। यह वह स्वतंत्रता है जहां हम खुद अपनी जिंदगी की दिशा तय कर सकते हैं। आज के युवाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी शर्तों पर जीवन जी सकें और अपनी पहचान खुद बना सकें। लेकिन यह सफर हर किसी के लिए आसान नहीं होता। आज भी समाज में ऐसी कई लड़कियां हैं जिन्हें अपने सपनों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मेरे कुछ दोस्तों की कहानियां इसका उदाहरण हैं। उन्होंने
अपनी जिंदगी में कभी भी अपने फैसले खुद नहीं लिए। यह अनुभव मुझे इस बात का एहसास कराता है कि मेरे पास जो आज़ादी है, वह एक दुर्लभ उपहार है।
व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में स्वतंत्रता
मेरा सफर यह साबित करता है कि जब आपको अपनी पसंद के काम करने की स्वतंत्रता मिलती है, तो आप न केवल अपने पेशे में सफल होते हैं, बल्कि आपके व्यक्तिगत जीवन में भी एक सुकून और संतोष होता है। मैंने नर्सिंग छोड़कर मास कम्युनिकेशन में अपना करियर चुना और यह मेरे लिए एक सही निर्णय साबित हुआ। दिल्ली आकर पढ़ाई करना, अपने फैसले खुद लेना और अपने सपनों का पीछा करना- यह सब मेरे जीवन के वो महत्वपूर्ण मोड़ थे, जहां मेरे परिवार ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। इस समर्थन ने मुझे न केवल सफल बनाया, बल्कि मुझे यह भी सिखाया कि जब हम अपने दिल की सुनते हैं, तो हम अपने जीवन में सच्ची संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।
आज़ादी का असली मतलब यह नहीं है कि आप केवल बाहर से स्वतंत्र हैं। इसका असली मतलब यह भी है कि आपको अपने जीवन के फैसले खुद लेने की स्वतंत्रता हो। मेरे जीवन में मुझे यह आज़ादी परिवार के समर्थन से मिली। इसने मुझे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाया और मुझे अपने जीवन में हर कदम पर मजबूती दी। मुझे उम्मीद है कि मेरे अनुभव से कई लड़कियों को यह प्रेरणा मिलेगी कि वे भी अपने सपनों के पीछे जा सकती हैं, बशर्ते उन्हें सही समर्थन और आज़ादी मिले। जब हर लड़की को अपनी पसंद के काम करने की आजादी मिलेगी, तभी हमारा समाज सही मायनों में स्वतंत्र कहलाएगा।