बनारस से दूर करधना गाँव की रहने वाली वंदना ने सामाजिक और आर्थिक संघर्ष के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की और एक स्वयंसेवी संस्था में क्षेत्र समन्विका के पद पर कार्यरत है। वंदना अपनी लेखनी के ज़रिए गाँव में नारीवाद, जेंडर और महिला मुद्दों को उजागर करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।