समाजख़बर नेपाल का जेन ज़ी रिवोल्यूशन: सोशल मीडिया बैन से सत्ता परिवर्तन तक

नेपाल का जेन ज़ी रिवोल्यूशन: सोशल मीडिया बैन से सत्ता परिवर्तन तक

बीते दिनों नेपाल के जेन ज़ी युवाओं ने नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ, ‘हामी नेपाल’ नाम की एक युवा केन्द्रित गैर-लाभकारी संस्था के नेतृत्व में, सड़क से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार ख़त्म करो', 'सोशल मीडिया नहीं भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध लगाओ' जैसे नारों के साथ सड़कों पर केपी शर्मा ओली सरकार के विरोध में आंदोलन किया।

बीते दिनों नेपाल के जेन ज़ी युवाओं ने नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ, ‘हामी नेपाल’ नाम की एक युवा केन्द्रित गैर-लाभकारी संस्था के नेतृत्व में, सड़क से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार ख़त्म करो’, ‘सोशल मीडिया नहीं भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध लगाओ’ और ‘हमारे टैक्स तुम्हारी रईसी’ जैसे नारों के साथ सड़कों पर केपी शर्मा ओली सरकार के विरोध में आंदोलन किया। साथ ही इस आंदोलन में सोशल मीडिया पर भी हैशटैग नेपोकिड और नेपोबेबी जैसे ट्रेंड भी चल रहे थे। सोशल मीडिया के माध्यम से जेन ज़ी युवाओं ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से यह उजागर किया कि, जहां आम नेपाली युवा शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं नेताओं के बच्चे विदेशों में बेहतर जीवन जी रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकार के भ्रष्टाचार का खुलकर विरोध किया। 

द वीक पत्रिका के मुताबिक, हामी नेपाल संस्था (एनजीओ) के 36 वर्षीय अध्यक्ष सुदान गुरुंग के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ युवाओं का विरोध प्रदर्शन, एक शांतिपूर्ण आंदोलन के तौर पर नेपाल की राजधानी काठमांडू से शुरू हुआ। धीरे-धीरे यह आंदोलन एक हिंसात्मक आंदोलन में बदल गया। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें कुल 19  लोगों की जान गई और लगभग 4,000 लोग घायल हुए। जेन ज़ी आंदोलन में हुई हिंसा के चलते नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार का तख्तापलट हो गया, जिसके चलते केपी शर्मा ओली को अपने प्रधानमंत्री पद से कई अन्य बड़े नेताओं के साथ इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद युवाओं ने खुद नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देश संभालने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति के रूप में सुशीला कार्की को चुना। 

सोशल मीडिया के माध्यम से जेन ज़ी युवाओं ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से यह उजागर किया कि, जहां आम नेपाली युवा शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं नेताओं के बच्चे विदेशों में बेहतर जीवन जी रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकार के भ्रष्टाचार का खुलकर विरोध किया।

‘जेन ज़ी’ और ‘जेन ज़ी आंदोलन’ का मतलब

जेन ज़ी का साफ शब्दों में मतलब ऐसे नौजवानों से हैं जो साल 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं। इन लोगों को ‘जेनरेशन ज़ूमर्स’ या ‘जेन ज़ी’ कहते हैं। इस पीढ़ी के युवा सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय हैं। नेपाल सरकार के खिलाफ युवाओं का यह आंदोलन जेन ज़ी आंदोलन और जेन ज़ी रिवोल्यूशन के नाम से मशहूर होने का कारण है, कि इस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से  30 साल से कम उम्र के नेपाली युवा कर रहे थे, जिनमें से कई स्कूल या कॉलेज की ड्रेस में ही आंदोलन का हिस्सा बने, जिनकी उम्र 15 से 25 साल के बीच थी। यह आंदोलन औपचारिक रूप से किसी राजनीतिक दल और विचारधारा से संबंधित नहीं था। इसका नेतृत्व साल 2015 में स्थापित युवा केंद्रित गैर लाभकारी संस्था ‘हामी नेपाल’ कर रहा था।   

नेपाल की जेन ज़ी सोशल मीडिया रेवोल्यूशन के पीछे के असल मुद्दे 

तस्वीर साभार : BBC

द हिन्दू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिनों केपी शर्मा ओली की सरकार ने 4 सितंबर 2025 को नेपाल में कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये थे। इनमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे चर्चित सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म शामिल थे। बीबीसी के मुताबिक, इन सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध को लेकर सरकार का कहना था, कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने तय समय सीमा यानी एक सप्ताह के अंदर स्थानीय स्तर पर पंजीकरण, ग्रीवांस  अधिकारियों की नियुक्ति और चिह्नित सामग्री को हटाने का पालन करने में देरी की थी।

नेपाल में बहुत हद तक रोजगार व्यापार और टुरिज़म पर भी निर्भर करता है। जिसमें सोशल मीडिया की एक अहम भूमिका रहती है। इतना ही नहीं टुरिज़म का देश की अर्थव्यवस्था में अच्छा योगदान हैं। इसके चलते ही साल 2019 में नेपाल टुरिज़म विभाग ने खुद इसे बढ़ाने के लिए विज़िट नेपाल ईयर 2020 सोशल मीडिया कैम्पैन भी शुरू किया था।

इस पर नेपाल सरकार की संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए कहा था, कि उसने नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण को सभी गैर-पंजीकृत सोशल मीडिया साइटों को तब तक निष्क्रिय करने का आदेश दिया है, जब तक कि वे पंजीकृत नहीं हो जाती हैं। जेन ज़ी के सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए सोशल मीडिया बैन के अलावा भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर नेपोकिड्स और नेपोबेबी हैशटैग के साथ ट्रेंड किया था। यह सब एक बड़े और मुख्य मुद्दे बनकर सामने आए। बर्लिन स्थित निगरानी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में नेपाल एशिया और दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक है। साल 2024 में जारी इस सूचकांक के अनुसार नेपाल 180 देशों में 108 वें स्थान पर था। 

भारत में रहने वाले नेपाली युवाओं ने सोशल मीडिया बैन पर विरोध जताया

तस्वीर साभार : राखी यादव

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ जेन ज़ी आंदोलन को लेकर दिल्ली में पढ़ाई करने वाले 23 वर्षीय नेपाल के ईश्वरदेश पांडे का कहना है, ”नेपाल में बहुत हद तक रोजगार व्यापार और टुरिज़म पर भी निर्भर करता है। जिसमें सोशल मीडिया की एक अहम भूमिका रहती है। इतना ही नहीं टुरिज़म का देश की अर्थव्यवस्था में अच्छा योगदान हैं। इसके चलते ही साल 2019 में नेपाल टुरिज़म विभाग ने खुद इसे बढ़ाने के लिए विज़िट नेपाल ईयर 2020 सोशल मीडिया कैम्पैन भी शुरू किया था। इससे सोशल मीडिया की अहमियत को समझा जा सकता है।”

मेरे जैसे हजारों बच्चे नेपाल से बाहर अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए रहते हैं। सरकार के इस अचानक सोशल मीडिया बैन ने हमारे ईजी कम्युनिकेशन (आसानी से बातचीत)  को मुश्किल बना दिया था। ताकि वह अपने प्रशासनिक फेलियर को छुपा सके।

आगे वह कहते हैं, “सरकार सोशल मीडिया पर बैन करके हमारी आवाजों को दबाना चाहती थी, जिससे उनके भ्रष्टाचार के काम सामने ना आ सके। मैंने और मेरे बहुत से दोस्तों ने देश से बाहर होकर ऑनलाइन और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अपने इस जेन ज़ी आंदोलन को पूरा सपोर्ट किया।” दिल्ली में रहकर सीए फाइनल ईयर की तैयारी करने वाली 21 वर्षीय नेपाली स्टूडेंट आरती यादव कहती हैं, “मेरे जैसे हजारों बच्चे नेपाल से बाहर अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए रहते हैं। सरकार के इस अचानक सोशल मीडिया बैन ने हमारे ईजी कम्युनिकेशन (आसानी से बातचीत)  को मुश्किल बना दिया था। ताकि वह अपने प्रशासनिक फेलियर को छुपा सके। वैसे यह आंदोलन मेरे हिसाब से सिर्फ सोशल मीडिया बैन को लेकर नहीं था बल्कि नेपोबेबी के सफल जीवन और हम जैसे नेपाली युवाओं के शिक्षा और रोजगर के लिए हर दिन के संघर्ष को दिखाने के लिए था और सही था।”  

बीबीसी में छपे डेटा रिपोर्ट-ग्लोबल डिजिटल इनसाइट्स के हिसाब से, नेपाल के करीब 55 प्रतिशत लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा मौजूद है और इसमें से 50 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। नेपाल के युवा बड़ी संख्या में बेहतर अवसर की तलाश में विदेश जा रहे हैं। साल 2021 की जनगणना के अनुसार, लगभग 30 लाख नेपाली विदेश में रहते हैं। लाखों नेपाली पड़ोसी देश भारत के छोटे-बड़े शहरों में रहकर काम करते हैं। इस पर दिल्ली में साल 2022-24 में रहकर पढ़ाई कर चुकी 28 वर्षीय पूजा गुप्ता, जो अभी दुबई में रहकर जॉब कर रही हैं उनका कहना है, “सरकार को सोशल मीडिया बैन की जगह देश में युवाओं के रोजगार पर काम करना चाहिए था ताकि नेपाली युवा देश में रह कर कुछ अच्छा कर सके और उन्हें दूसरे देशों में रोजगार के लिए न जाना पड़े।” 

सरकार को सोशल मीडिया बैन की जगह देश में युवाओं के रोजगार पर काम करना चाहिए था ताकि नेपाली युवा देश में रह कर कुछ अच्छा कर सके और उन्हें दूसरे देशों में रोजगार के लिए न जाना पड़े।

नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता

तस्वीर साभार : राखी यादव

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 28 मई 2008 में नेपाल गणराज्य बना और इसके बाद इसी साल जुलाई में राम बरन यादव नेपाल के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे। अगस्त में माओवादी नेता पुष्प कमल दहल ने गठबंधन की सरकार बनाई थी। साल 2015 सितंबर में नेपाल की संसद में ऐतिहासिक संविधान पारित किया गया और नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में संवैधानिक पहचान मिली। इसी साल अक्टूबर में केपी शर्मा ओली नए संविधान के तहत चुने जाने वाले पहले प्रधानमंत्री बने थे। गणतंत्र बनने के बाद भी नेपाल की राजनीति एक लंबे वक्त से मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दलों के बीच ही बनी रही है और जिसके चलते नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को साफ समझा जा सकता है।

इस विषय पर में इंडिया में रहकर सीए की तैयारी करने वाले नेपाल के 22 वर्षीय रामबाबू महतो कहते हैं, “जेन ज़ी आंदोलन में सोशल मीडिया बैन के अलावा सरकार का भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि भी अहम मुद्दे तो थे ही। इस भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के पीछे नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता है। जिसका परिणाम यह जेन जी आंदोलन और वर्तमान सरकार का तख्ता पलट  के रूप में देख सकते है। किसी भी देश की उन्नति के लिए राजनीतिक स्थिरता बहुत जरूरी है। नेपाल के विकास लिए फिर से राजतंत्र  नहीं एक स्थायी मजबूत लोकतांत्रिक सरकार और नेता की जरूरत है।” वहीं नेपाल में राजशाही को लेकर नेपाल से आने वाली आरती यादव कहती है,” मेरे माता -पिता  राजशाही को सही मानते हैं । मैंने राजशाही शासन को नेपाल में नहीं देखा और जितनी मुझे समझ है मुझे लगता है लोकतांत्रिक शासन ज्यादा सही है। जहां हर किसी को अपना नेता चुनने का पूरा अधिकार हो।”

वह नेपाल की एक बोल्ड मुख्य न्यायधीश रही हैं। उन्होंने न्यायधीश के पद पर रहते हुए बहुत से बड़े नेताओं के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर खुल कर कार्यवाही और सुनवाई की है। मुझे और मुझ जैसे बहुत से युवाओं को उन पर भरोसा है कि वह देश के लिए सही फैसले लेंगी और एक स्थायी राजनीतिक व्यवस्था कायम करेंगी।

सुशीला कार्की और जेन ज़ी की उनसे उम्मीदें

तस्वीर साभार : BBC

जेन ज़ी आंदोलन के चलते नेपाल में सत्ता के तख्ता पलट यानी सरकार गिरने के बाद, सुशीला कार्की को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नौजवानों ने चुना । नेपाल के गणराज्य बनने के कई सालों बाद एक महिला प्रधानमंत्री बनने वाली वह पहली महिला हैं । बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वह 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। वह अपने बेबाक और मजबूत व्यक्तित्व के चलते जेन ज़ी के बीच एक जाना पहचाना नाम हैं। इसके साथ उन्हें नेपाल में एक ईमानदार नेत्री के रूप में जाना जाता है। उनके अंतरिम प्रधानमंत्री चुने जाने पर दिल्ली में पढ़ाई करने वाली नेपाली स्टूडेंट आरती यादव कहती है,” वह नेपाल की एक बोल्ड मुख्य न्यायधीश रही हैं। उन्होंने न्यायधीश के पद पर रहते हुए बहुत से बड़े नेताओं के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर खुल कर कार्यवाही और सुनवाई की है। मुझे और मुझ जैसे बहुत से युवाओं को उन पर भरोसा है कि वह देश के लिए सही फैसले लेंगी और एक स्थायी राजनीतिक व्यवस्था कायम करेंगी।”

नेपाल में जेन ज़ी आंदोलन ने दिखा दिया कि युवा अब सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समाज और राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और भाई-भतीजावाद जैसी समस्याओं के खिलाफ उनका विरोध सरकार तक पहुंचा और सत्ता में बदलाव हुआ। भारत और अन्य देशों में रहने वाले नेपाली युवाओं ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिससे यह एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन बन गया। सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री बनने से युवाओं की उम्मीदों को एक नई दिशा मिली। यह आंदोलन सिखाता है कि युवाओं की भागीदारी से ही समाज और राजनीति में असली बदलाव संभव है।

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