मौजूदा समय में हर देश-समाज विकास की दौड़ में भाग रहा है और इस रेस में अपना देश भी कहीं पीछे नहीं है| अपनी विशालता से साथ भारत की प्रगतिशीलता कायम है, जो अपने आप में किसी अचम्भे से कम नहीं है| लेकिन वो कहते है न कि हर सिक्के के दो पहलू होते है, इसी तर्ज पर अपने देश के इस विकास के भी दो पहलू है एक तरफ तो हम तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ रहे है, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के ग्राफ में लगातार गिरते जा रहे है जिसका नतीजा ये हुआ है कि कई तरह की जानलेवा बिमारियों के घेरे में हमारे देश की आबादी आ रही है| अगर बात की जाये एचआईवी और एड्स की तो इस बीमारी में हम विश्व के तीसरे स्थान पर है| भारत में करीब इक्कीस लाख लोग एचआईवी से पीड़ित है|
क्या है एचआईवी और एड्स?
एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफीसिअन्सी वायरस) एक वायरस है जो आपके शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे हमारे शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में कठिनाई होती है और यही एचआईवी एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएन्सी सिंड्रोम) का कारण बनता है।
एड्स शब्द एचआईवी संक्रमण के सबसे आखिरी चरणों को दर्शाता है। एड्स लोगों को प्रभावित करने वाली अधिकांश स्थितियों में से एक अवसरवादी संक्रमण होता हैं जो आमतौर पर स्वस्थ लोगों को प्रभावित नहीं करता हैं। एड्स से पीड़ित लोगों में यह संक्रमण अक्सर गंभीर होते हैं और कभी-कभी घातक होते हैं क्योंकि एचआईवी की वजह से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी तबाह हो जाती है कि हमारा शरीर संक्रमण से लड़ नहीं पाता है।
एचआईवी पॉजिटिव का मतलब एड्स नहीं
इन सबमें एकबात जो सकारात्मक है वह यह कि जो लोग एचआईवी से संक्रमित पाए जाते है उनके साथ यह जरूरी नहीं कि उन्हें एड्स हो। एचआईवी का पता करने का एकमात्र तरीका परीक्षण (टेस्ट) है। दवा के साथ, एक स्वस्थ जीवनशैली और नियमित स्वास्थ्य देखभाल, एचआईवी से संक्रमित लोगों की सहायता कर सकता है और इससे लंबे समय तक अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन को बनाए रख सकते हैं।
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महिलाओं की हिचकिचाहट से बढ़ता संक्रमण
आमतौर पर यह देखा गया है कि एचआईवी और एड्स से पीड़ित मनुष्यों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की अपेक्षा अधिक है। लेकिन एचआईवी के मामलों में से एकतिहाई मामले महिलाओं में पाए जाते हैं। एचआईवी के इस पहलू पर हमें समाज में मौजूद अवहेलना को देखते हुए महिलाओं पर इसके प्रभाव के बारे में सोचना ज़रूरी है। संक्रमित पुरुष साथी से असुरक्षित सम्भोग (अनसेफ सेक्स) महिलाओं में संचरण की आम वजह है। हमारे सामाजिक परिवेश में महिलाएं, ख़ासतौर पर युवा और नवविवाहितों में यह मुद्दा ज्यादा संवेदनशील हैं क्योंकि वे सेक्स के लिए मना करने से या अपने साथी से कंडोम का इस्तेमाल करने का आग्रह करने से हमेशा हिचकिचाती है। इससे उनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। महिलाओं में एचआईवी के शुरुआती लक्षण अक्सर अस्पष्ट और आसानी से भ्रमित करने वाले होते हैं। अगर वे ध्यान नहीं देती है तो महिलाओं के लिए एक सामान्य फ्लू और एचआईवी के शुरुआती लक्षण एक जैसे ही दिखाई देते है।
एड्स के धूमिल लक्षण
अधिकतर लोगों को एचआईवी से संक्रमित होने पर पहले पहल कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। वायरस के संपर्क में आने के एक या दो महीने के बीच कुछ लोगों को फ्लू जैसी बीमारी हो सकती है। ये लक्षण आमतौर पर एक महीने के अंदर गायब हो जाते हैं।
एचआइवी से संक्रमित हमारे शरीर की जैसे-जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली बिगड़ती जाती है, वैसे-वैसे और भी कई शारीरिक समस्याएं सामने आने लगती है। ज्यादा गंभीर लक्षण कई सालों बाद भी दिखाई नहीं देते है और इस दौरान शरीर में वायरस सक्रिय रहता है, साथ ही, संपर्क में आने वाले अगले इंसान को लगातार संक्रमित करता रहता है|
एड्स के शुरू होने से पहले कई लक्षणों के ज़रिए इसे पहचाना जा सकता है –
- शारीरिक ऊर्जा में कमी या थकान महसूस होना,
- वजन घटना
- अक्सर हल्के बुखार जैसा लगना और रात को पसीना आना
- लगातार मुहं में संक्रमण
- त्वचा पर चकत्ते या परतदार त्वचा
- कम समय तक कोई बात याद रहना
यूँ तो एड्स के अधिकतर लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक जैसे ही होते हैं लेकिन एचआईवी वाले महिलाओं में कुछ लक्षण अलग हो सकते हैं जैसे कि –
- योनि में संक्रमण
- अन्य योनि संक्रमण जैसे कि बैक्टीरियल वेजिनोसिस; सामान्य यौन संचारित बीमारियों (एसटीडी) जैसे गोनोरिया, क्लैमाडिया औरट्राइकोमोनीसिस; ह्यूमन पपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण जो सर्विकल कैंसर को जन्म दे सकते हैं; पैल्विकसूजनरोग (पीआईडी)
- महिलाओं के प्रजनन अंगों और मासिकधर्म चक्र में बदलाव, जैसे मासिकधर्म नहीं होने के संक्रमण
महिलाओ के लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि एचआईवी संक्रमण फैलता कैसे है और इससे बचने के क्या उपाय है?
एचआईवी एक संक्रमित व्यक्ति से रक्त, वीर्य, योनि द्रवया स्तनपान के ज़रिए फैलता है।उल्लेखनीय है कि वायरस की प्रबलता वीर्य के बाद खून में सबसे ज्यादा है। अनुमानित तौर पर 85 फीसद एचआईवी संक्रमण संभोग यानी कि सेक्स की वजह से एक-दूसरे तक पहुँचता है| एचआईवी संचरण के लिए सबसे ज्यादा जोखिम असुरक्षित यौन व्यवहार है। इसके अलावा इस्तेमाल की गयी सुई से खून के ज़रिए सीधे एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुंचता हैं।
वर्तमान समय में एचआईवी और एड्स के लिए कोई सटीक ईलाज उपलब्ध नहीं है| एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों को आजीवन दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है और इसका सबसे अच्छा उपचार कई प्रिस्क्रिप्शन दवाओं का संयोजन हैं। इन दवाओं में एंटी वायरल उपचार, प्रोटीज अवरोधक और अन्य दवाएं शामिल हैं जो एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। एचआईवी के साथ रहने वाले लोग ठीक से भोजन करने, कसरत करने और पर्याप्त नींद लेने जैसी चीजें करके स्वस्थ रह सकते हैं।
एचआईवी के साथ जीने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए जिससे उनके आने वाले बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके। समय से किये गए उपचार से एचआईवी-पॉजिटिव मां वायरस के असर को अपने बच्चे से एक फीसद से भी कम कर सकती है।
एचआईवी के सन्दर्भ में सही जानकारी का होना ज़रूरी है, नकि अंधविश्वासों और अफवाहों से प्रभावित होने की ज़रूरत है। कुछ बातें हमारे जीवन को सरल बना सकती है, जैसे कि एचआईवी त्वचा के माध्यम से फैलता नहीं है- छूने से, हाथ मिलाते हुए, गले लगाने या चुंबन से। चूंकि एचआईवी बहुत लंबे समय से शरीर के बाहर नहीं रह सकता है, यह शौचालय की सीट, सार्वजनिक नल से पानी पीने से, दरवाज़े, खाने के बर्तन, पीने के चश्मे या भोजन से नहीं फैल सकता है। लार, आँसू, पसीना और मूत्र, खांसी, छींकने, रोने, भूमि के खेल या पानी के खेल से किसी को भी प्रभावित करने के लिए पर्याप्त वायरस नहीं होता है। मच्छरों के माध्यम से एचआईवी फैलाने वाले दुनियाभर में कोई भी ज्ञात मामले नहीं हैं।
Also read in English: HIV/AIDS Prevention And Control Bill (2014): An Insight
यह लेख ‘My Therapy’ टीम की तरफ से अभिजीत घोष ने लिखा है|
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