समाजराजनीति इलेक्शननामा: भारत में चुनाव का इतिहास

इलेक्शननामा: भारत में चुनाव का इतिहास

इलेक्शननामा के पीछे मक़सद ये था कि चुनाव में कौन जीत या हार रहा है से हटकर इस पर चर्चा हो कि इस चुनाव में कौन से मुद्दे हैं, ये चुनाव इतना अहम क्यों है, भारत में लोकसभा चुनाव का इतिहास क्या रहा है और नार्थ ईस्ट के राज्यों में चुनाव के दौरान क्या कुछ हो रहा है.

भारत की एक बड़ी आबादी के लिए रेडियो एक लम्बे समय तक मनोरंजन के साथ साथ सुचना और शिक्षा का माध्यम रहा है। सुदूर गांवों और छोटे शहरों रहने वाले ज़्यादातर लोग इस सदी के आरंभ तक देश दुनिया की ख़बरों से रेडियो के ज़रिये ही वाक़िफ़ हो पाते थे। फिर टी वी और केबल तक घर घर तक पहुँचने की और इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के विस्तार की वजह से रेडियो की अहमियत घटती गयी, बल्कि ये कहना ज़्यादह बेहतर होगा कि रेडियो सिर्फ़ मनोरंजन का माध्यमम बनकर रह गया, जिसमें एफ एम चैनल्स की बड़ी भूमिका कही जा सकती है। नतीजा ये हुआ कि रेडियो चैनल्स तो ख़ूब खुले लेकिन समसामयिक मुद्दे (Current Affairs) लगभग ग़ायब हो गया। इसी बीच टीवी चैनल्स में चर्चा के नाम पर Cockfight होने लगा, जहाँ किसी विषय पर चर्चा से ज़यादा ‘हंगामा’ दिखने लगा। ऐसे में पिछले कुछ वर्षों रेडियो प्रेमियों और विभिन्न मुद्दों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए पॉडकास्ट एक अहम माध्यम बन कर उभरा। लेकिन इसके साथ सबसे बड़ी समस्या ये है या था कि ज़्यादहतर पॉडकास्ट अंग्रेज़ी में हैं।

इसीलिए सुनो-इंडिया ने अंग्रेज़ी के साथ साथ क्षेत्रीय भाषाओं (तेलगू और तमिल) में भी अपना शो शुरू किया ताकि ज़्यादह से ज़्यादह लोगों तक पहुंचा जा सके। इसी कड़ी में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दि वायर उर्दू के साथ मिलकर हिंदुस्तानी (आमतौर पर बोली जाने वाली उर्दू और हिंदी ) में “इलेक्शननामा” के नाम से एक सीरीज़ शुरू किया। जिसको दि वायर उर्दू के एडिटर महताब आलम ने प्रस्तुत किया। इसके पीछे मक़सद ये था कि चुनाव में कौन जीत या हार रहा है से हटकर इस पर चर्चा हो कि इस चुनाव में कौन से मुद्दे हैं, ये चुनाव इतना अहम क्यों है, भारत में लोकसभा चुनाव का इतिहास क्या रहा है और नार्थ ईस्ट के राज्यों में चुनाव के दौरान क्या कुछ हो रहा है. इसके लिए हमने हरेक फिल्ड के एक्सपर्ट से बात किया। हम चाहते तो थे कि बहुत सारे मुद्दों पर बात हो और विस्तार में बात को लेकिन समय, एक्सपर्ट्स और साधन के अभाव में ऐसा नहीं कर पाये। इसके बावजूद हम कुछ अहम्  मुद्दों पर विस्तार के साथ बातचीत करने में कामयाब रहे।

हमने सीरीज़ की शुरुआत, भारत में चुनाव के इतिहास से की और इसपर विस्तार से बातचीत किया कि आज़ाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव कैसा हुआ था।  दूसरे एपीसोड में हमने ये जानने की कोशिश कि वोटिंग को अनिवार्य बनाना कितना सही या ग़लत होगा। इसके लिए हमने भारत के पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. एस वाय क़ुरैशी के साथ साथ सी एस डी एस के निदेशक प्रोफ़ेसर संजय कुमार से बात की। तीसरा एपिसोड नार्थ ईस्ट में चुनाव और वहां के मुद्दों के बारे में था। चौथे एपिसोड में हमने युवाओं के मुद्दों और बेरोज़गारी के विषय पर विस्तार से चर्चा की। सात में से चार चरण के चुनाव हो जाने के बाद पांचवें एपिसोड में हमने इसपे चर्चा की लोकसभा का परिणाम कैसा हो सकता है. इसके लिए हम चुनाव विश्लेषक आशीष रंजन से बात किया।  

23 मई को रिजल्ट आने के बाद, उसके अगले दिन हम चुनाव परिणाम और उससे भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ेगा इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो कि सुनो इंडिया और दि वायर उर्दू के फेसबुक पेज पर 8 बजे रात को सुना जा सकेगा।  इस चर्चा में सुनो इंडिया की सह-संस्थापक पद्मा प्रिया और दि वायर उर्दू के महताब आलम बातचीत करेंगे। साथ ही हमारा अगला एपिसोड भी चुनाव के परिणाम और आगामी सरकार की चुनातियों पर केंद्रित होगा। 

और पढ़ें : इस लोकसभा चुनाव से क्यों गायब थे महिलाओं से जुड़े मुद्दे


Mahtab Alam is a Delhi based multi-lingual journalist and writer. Currently, he is Executive Editor of The Wire Urdu. He writes on issues related to politics, law and literature.

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