‘ट्रोलिंग’ एक्शन का एक ऐसा रिएक्शन, जो हर उस व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुकी है जो इंटरनेट खासकर सोशल मीडिया इस्तेमाल करता है| जो भी व्यक्ति खुलकर अपने विचारों को सोशल मीडिया पर प्रस्तुत करने की कोशिश करता है, उसे किसी न किसी तरीके से ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। देखा जाए तो एक तरह से ये आलोचनाओं का नया तरीका अब लोगों की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुका है| ऐसे में सिलेब्रिटीज का ट्रोलिंग से बचना अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। संविधान के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो सबको है, लेकिन जिस रूढ़ीवादी और पितृसत्तात्मक समाज में हम जी रहे हैं, उसमें चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, हर जगह महिलाएं ही सबसे ज्यादा उत्पीड़ित और प्रभावित होती हैं। आये दिन हम हस्तियों की ट्रोल किये जाने की खबर से वाकिफ होते रहते हैं| हाल ही में, सोशल मीडिया की एक पोस्ट के माध्यम से ‘दंगल’ और ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से पहचान बनाने वाली 18 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री ज़ायरा वसीम ने फ़िल्मी दुनिया छोड़ने की बात कही तो उनके इस फ़ैसले पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा|
ज़ायरा वसीम ने बीते रविवार को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से यह घोषित किया कि वे अपने काम से खुश नहीं है और एक्टिंग फील्ड छोड़ रही हैं क्योंकि यह उनके धर्म के आड़े आ रहा है। ज़ाहिर है कि उनका यह निर्णय पूरी तरह व्यक्तिगत है, लेकिन इस पर लोगों की अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
असली सवाल यह उठते हैं कि क्या 18 वर्ष की एक बालिग लड़की को खुलकर अपने करियर के फैसले लेने का अधिकार नहीं है?
पहले तो वसीम के फैंस को लगा कि शायद उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स हैक कर लिए गए हैं| लेकिन बाद में वसीम ने स्पष्टीकरण देकर बताया कि यह जानकारी गलत है और वह पूरी तरह अपने अकाउंट्स की ज़िम्मेदारी लेती हैं। इसके बाद तो जैसे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की आंधी आन पड़ी। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं जब ज़ायरा वसीम सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हुईं है। साल 2017 में वसीम ने हवाई जहाज़ में अपने साथ हुए उत्पीड़न का किस्सा सोशल मीडिया पर साझा किया था, तब भी ट्रोलर्स की भीड़ ने उन्हें बुरी तरह घेर लिया था।
ज़ायरा के इस फ़ैसले पर बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक तरफ जहां लोग ज़ायरा वसीम के इस कदम को केवल एक “पब्लीसिटी स्टंट” बताते हुए उनकी कड़ी निंदा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो उनके इस निजी फैसले का सम्मान करते हुए उनको भविष्य की शुभकामनाएं दे रहे हैं।
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एक्ट्रेस रवीना टंडन ने तो ट्वीट कर वसीम को ‘प्रतिगामी विचार रखने वाला’ तक कह दिया, जिसे बाद में हटाकर टंडन ने बताया कि उन्हें अपने पहले ट्वीट पर खेद है। हालांकि बॉलीवुड में अभिनेत्रियों के साथ ट्रोलिंग का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। हाल ही में हुए मी टू मूवमेंट को भारत में जब तनुश्री दत्ता ने बढ़ावा देते हुए अपने यौन उत्पीड़न की जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा लोगों तक पहुंचाई, तब ट्रोलर्स का आक्रोश छप्पर फाड़कर उनके ऊपर बरसा। अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी ट्रोलिंग से अनछुई नहीं है, नज़ारा यह है कि उनके हर पोस्ट पर ट्रोलर्स की लाइन लगी रहती है। इसी के साथ ही सोनम कपूर, कैटरीना कैफ, कंगना राणावत जैसी न जाने कितनी ही अभिनेत्रियां रोज़ाना ट्रोलिंग से जूझती हैं।
एक अच्छे पहलू पर नज़र डाली जाए तो रज़ा मुराद, तनुश्री दत्ता, डेज़ी शाह व करणवीर बोहरा जैसे अन्य हस्तियों ने वसीम के इस निर्णय का स्वागत किया। बहुत लोगों से कुछ अन्य पक्ष भी देखने को मिल रहे हैं जैसे कि ज़ायरा वसीम ने अपना यह निर्णय किसी दबाव में आकर लिया है जो व्यक्तिगत रूप से उनका नहीं है, या फिर उनका एक्टिंग करियर को धर्म से जोड़ना गलत है। मीडिया में वसीम का यह फैसला पूर्णतः धर्म के नाम पर एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन चुका है। बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों पर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। ज़ायरा वसीम को न जाने कितने ही सवालों में घेरा जा रहा है। अब तो राजनीतिक लोग भी अपनी टिप्पणियां देने से नहीं चूक रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस सांसद मिलिंद देवरा एवं शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी जैसे राजनेताओं ने इस विषय पर ट्वीट के जरिए अपने विचार सामने रखें। बेशक जायरा वसीम महिला होने के कारण अपने इस निर्णय पर दूसरों के लिए सरल निशाना बन गई है।
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खैर, इन ढेरों प्रतिक्रियाओं के बीच इस विवाद को गहराई से समझा जाए तो असली सवाल यह उठते हैं कि क्या 18 वर्ष की एक बालिग लड़की को खुलकर अपने करियर के फैसले लेने का अधिकार नहीं है? वह अदाकारा जो लाखों लोगों के लिए रोल मॉडल है, क्या उन्हें अपने निर्णय फेंस एवं फॉलोअर्स से साझा नहीं करने चाहिए? वसीम को अगर लगता है कि वह अपने मज़हब से दूर हो रही है, तो क्या इसे गलत नज़रिए से देखा जाना चाहिए? क्या एक व्यक्ति के निजी फैसले को इतना उछालना सही है? इन सभी सवालों का जवाब देना आसान नहीं है, लेकिन समाज के कटु सत्य और तथ्य समझकर हम अपनी विचारधारा पर एक बार गहन चिंतन ज़रूर कर सकते हैं।
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तस्वीर साभार : Telegraph India