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प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझती महिलाओं की आपबीती

महिलाओं को अपने यौन और प्रजनन अधिकारों के बारे बोलना ही चाहिए। आखिर क्यों महिला की इच्छा और उसकी खुशी को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है?

‘औरत क्यों आदमी से नियंत्रित है? वह क्यों मारपीट सहन करती है? मासिकधर्म के समय उसे अशुद्ध क्यों समझा जाता है? अगर वो बच्चा न जन पाए तो क्यों लोग उसे धिक्कारते हैं?  अगर यौन रिश्ते बनाने में तकलीफ है तो क्या उसे व्यक्त नहीं कर सकती है? बच्चा जनने या न जनने का निर्णय खुद क्यों नहीं ले सकती? क्या यह उसका अपना शरीर है या नहीं? आप बोलती क्यों नहीं है? महिला जगत लिहाज़ समिति (मजलिस) द्वारा इंदौर शहर की बस्तियों में चलाये जा रहे ‘महिला प्रजनन स्वास्थ्य’ शिविर के दौरान सुभद्रा महिलाओं के एक समूह को संबोधित करती हुई बोली|

प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझती महिलाओं की आपबीती
तेईस साल की सपना अपने बच्चों के साथ इंदौर शहर में अपनी कॉलोनी में I सपना चार बच्चों की माँ है I

बाईस साल की रमा बहुत नाराज़ थी क्योंकि उसके साथ कल रात जो हुआ| वो बोली ‘कुत्ता भी कुतिया की मर्ज़ी के बिना सम्बन्ध नहीं बनाता| लेकिन आदमी तो जानवर से भी गया गुजरा है| जब मैंने अपने पति के साथ सोने के लिए मना किया तो उसने मुझे गालियाँ दी| ‘तुम किसी और के साथ भी सोती हो| बाहर भी तुम्हारा कोई पति है, छिनाल…|’

प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझती महिलाओं की आपबीती
बाईस साल की रमा* कुछ महिलाओं के साथ शाम के समय अपनी कॉलोनी में इंदौर में I

इसी बीच जब मैंने पच्चीस साल की आशा से पूछा कि क्या आप अपने पति से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बारे में बोल पाते हैं| उसने जबाब दिया ‘मुझे मरना है क्या? गालियाँ खानी है क्या? मुझे मालूम है इस दुनिया में मैं अपने हिसाब से नहीं चल सकती |

सविता बारह साल की हुई ही थी कि उसकी शादी कर दी गयी क्योंकि उसके माहवारी शुरू हो गए थे| वो बोली ‘शादी हुए एक साल हुआ ही था कि आस पड़ोस के लोग और रिश्तेदार मुझे टोकने लगे की अभी तक मैंने बच्चा नहीं किया| मुझे तो ये सब समझ नहीं आया| मैंने अपने पति से बोला की अगर मेरा बच्चा नहीं हुआ तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे? उन्होंने कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है| अचानक एक दिन बहुत दर्द हुआ, चक्कर आये| और कुछ महीने बाद मेरा पहला बच्चा हुआ उस समय मैं पंद्रह साल की थी| और बीस साल की उम्र तक मैं तीन बच्चों की माँ बन चुकी थी| मैंने तय किया कि मैं नसबंदी करा लूंगी क्योंकि मेरे पति का तो कोई भरोसा नहीं कब पीकर आ जाएँ और फिर एक और बच्चा हो जाए|

छब्बीस वर्ष की रजनी* महिला प्रजनन स्वास्थ्य शिविर के दौरान मेडिकल चेक अप कराती हुई, इंदौर शहर की एक बस्ती में I
छब्बीस वर्ष की रजनी* महिला प्रजनन स्वास्थ्य शिविर के दौरान मेडिकल चेक अप कराती हुई, इंदौर शहर की एक बस्ती में I

“47  फीसद लड़कियों की शादी भारत में 18 साल की उम्र के पहले ही हो जाती है|”

चौदह साल की उम्र में विवाहित और पंद्रह साल की उम्र में पहले बच्चे को जन्म दिया| आज 40 साल की राजूबाई सात ‘जीवित’ और दो ‘मृत’ बच्चों की माँ है — ‘जब मैं नौवें महीने के गर्भ से थी तो मेरे छटवें बच्चे की मृत्यु हो गयी थी| एक दिन मुझे बहुत दर्द हुआ और जैसे ही मैं आराम करने के लिए कुर्सी पर बैठने वाली थी कि बच्चा पेट से खिसक के निचे फर्श पर सिर के बल गिरा और तुरंत मर गया | मैं तो पांचवां बच्चा होने बाद ही नसबंदी करना चाहती थी लेकिन ससुर ने कहा ‘ये सब पाप है| नसबंदी वगैरह नहीं करानी|’ लेकिन नौवां बच्चा होने के बाद मैं बस थक गयी थी| एक दिन अस्पताल जाकर पांच –छह औरतों के साथ मैं भी जबरजस्ती लेट गयी और नसबंदी करा ली।

शिल्पा चाय बना रही है और उसका दो साल का बच्चा कृष्णा उसके आस पास खेल रहा है, इंदौर शहर की एक बस्ती में I

दो महीने पहले ही इक्कीस साल की शिल्पा का आठ महीने का बच्चा गुजर गया| उसके दिल की धड़कन रुक गयी थी| शिल्पा से मैंने पूछा आप ठीक तो हैं न? उसने कहा ‘बच्चे तो मरते ही हैं| मेरी पड़ोसन पूजा के चार बच्चे मर गए|’ पूजा के पहले तीन बच्चे तो उसके दो महीने के गर्भ में ही गुजर गए थे| चौथा बच्चा समय से पहले सातवें महीने में पैदा हुआ वो बस एक दिन ही जीवित रहा और गुजर गया| डॉक्टर ने पूजा को सलाह दी की अब वो कम से कम तीन से चार साल गर्भ धारण न करे| नहीं तो उसकी जान भी जा सकती है|

प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझती महिलाओं की आपबीती
सुनीता अपने बच्चे को गोदी लिए घर के लिए पानी ले जा रही है, इंदौर शहर की बस्ती में I

‘हम औरतें बिना काम किये अपना जीवन नहीं चला सकते| हमें घरवार, बच्चे भी सँभालने हैं और बाहर जाकर पैसे भी कमाने हैं| बच्चे को पेट में रखना बहुत कठिन है उस समय न ही ठीक से खाना मिल पाता है और न ही कोई देखभाल| जिसकी वजह से बच्चा जनने में बहुत समस्या आती है| शरीर टूट जाता है|’

बीस वर्ष की गारू अपने दो महीने के बच्चे को स्तनपान करा रही है इंदौर मंडल के जुनापानी गाँव में I

पच्चीस साल की सुमन ने अपनी निजी ज़िन्दगी की एक बात बताई ‘मेरा पति मुझपर शक करता है क्योंकि मेरी ‘टॉयलेट की जगह’ (योनि) थोड़ी फ़ैल गयी है| वो आये दिन मुझे गालियाँ देता है कि मैं और आदमियों के साथ सोती हूँ| मेरी योनि इतनी कैसे फ़ैल गयी?’ लेकिन सुमन अपने पति को समझाने में असमर्थ है कि उसकी पिछली डिलीवरी के समय डॉक्टर ने उसकी योनि को साइड से थोडा काटा था ताकि बच्चे को माँ की योनि से निकलने में आसानी हो जाए (इस प्रक्रिया को एपिसियोटमी कहते हैं)| कभी-कभी योनि प्राकृतिक रूप से इतनी नहीं फ़ैल पाती की बच्चे का सर और कन्धा आसानी से निकल सके उसमे से| डिलीवरी के दौरान सुमन इतने दर्द में थी डॉक्टर ने काटी हुई जगह को सिला भी नहीं| बल्कि दर्द में सुमन ने डॉक्टर को तेज़ लात भी मार दी थी |

प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझती महिलाओं की आपबीती
किरण अपने बच्चे के साथ चाय बना रही है अपने घर में, इंदौर शहर की बस्ती में |

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तीस साल की किरण की पिछली डिलीवरी के दौरान उसकी योनि को डॉक्टर ने थोडा सा काटा था (एपिसियोटमी)| लेकिन काटी हुई जगह पे टाँके सही नहीं लग पाए| अब टाँके वाला धागा उसकी योनि में दर्द देता है| रिश्ता बनाने में दर्द से जान ही निकल जाती है — कहते-कहते उसके चेहरे पर दर्द उभर आया ‘अब मैं दोबारा अस्पताल नहीं जाना चाहती, पिछली बार पूरा एक महीने अस्पताल में भर्ती रही| डॉक्टर को दिखाने से अच्छा तो है ये दर्द सहना!|’

कपडे जो माहवारी के समय रक्त को साफ़ करने के लिए उपयोग किये गए थे I दोबारा उपयोग के लिए धोकर सुखाने के लिए बाथरूम के एक कोने में I

इक्कीस साल की निर्मला बोली ‘लेडीज के गंदे कपड़े बाहर नहीं डालते | ऐसे कपड़े आदमी की नज़र से छिपाकर सुखाना चाहिए धर्म बिगड़ जाता है और हमको भी शर्म आती है अगर कोई देखेगा तो| वैसे भी माहवारी का खून गंदा माना जाता है और लोग उसे जादू-टोना के लिए भी उपयोग कर लेते हैं| इसीलिए हम इन्हें टॉयलेट के अन्दर या जानवरों के बाड़े में छुपाकर सुखाते हैं ।

एक महिला आंतरिक समस्याओं के लिए दबाएँ ले रही महिला प्रजनन स्वास्थ्य शिविर के दौरान, इंदौर शहर की बस्ती में I

इंदौर शहर के छोटे इलाकों में महिला प्रजनन स्वास्थ्य शिविर लगाने वाली सुभद्रा खापर्डे ने बताया, ‘अधिकांश महिलायें आंतरिक संक्रमण जैसे योनी से सफ़ेद पानी बहना (ल्यूकोरिया), जननागों में या योनि में सूजन, गर्भाशय के मूंह में छाले, ज्यादा खून बहना आदि से ग्रसित रहती हैं और लंबे समय तक दर्द और परेशानी झेलती रहती है| इसके लिए न तो सरकारी और न ही निजी चिकित्सकों से उन्हे सही इलाज मिलता है क्योंकि वे इस बारे में बोलने से शर्माते है। हमारी संस्था उनके संक्रमित रोगों को दूर करने की दवाई भी देती है लेकिन कई बार उनके पति ही संक्रमित होते हैं और वो वमुश्किल ही डॉक्टर को दिखाते हैं| महिलाएं कुपोषित भी रहती हैं साथ-साथ शारीरिक-मानसिक– भावनात्मक कष्ट भी|’

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28 वर्ष की साधना अपनी नसबंदी के निशान दिखाती हुई I

सुभद्रा ने कहा ‘नसबंदी करवाने का दबाव भी महिला के ऊपर ही होता है| वह खुद भी नसबंदी करवाने के लिए इच्छुक हो जाती है| क्योंकि बच्चे को पेट में रखना और पालना तो उसे ही पड़ता है|

20 वर्ष की काजल अपने दो साल के बेटे अमर की आँखों में काजल लगाती हुई, इंदौर शहर की बस्ती में I

महिला प्रजनन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता सविता बोली ‘बहुत से आदमी — औरत को प्रजनन प्रणाली के बारे में कुछ भी नहीं मालूम| सुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध की भी अनदेखी करते हैं| इस बारे में पूरे समाज में चुप्पी है|

सविता ने कहा, ‘महिलाओं को अपने यौन और प्रजनन अधिकारों के बारे बोलना ही चाहिए। आदमी की इच्छा हमेशा ही संतुष्ट होना चाहिए क्या यही ज़रूरी है लेकिन क्यों महिला की इच्छा और उसकी खुशी को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है?

Also read in English: In Photos: The Many Journeys Of Pregnancy And Pain In India


यह लेख रोहित जैन ने लिखा है, जो इससे पहले मीडियम में प्रकाशित किया जा चुका है|

*कुछ महिलाओं नाम बदल दिए गए हैं| और सभी फोटोज महिलाओं के जानकारी और अनुमति के बाद ही ली गयी हैं|

तस्वीर साभार : रोहित जैन

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