वजाइना (योनि) वॉश आज स्वच्छता और प्रसाधन का एक ऐसा उत्पाद बन गया है जिसकी बिक्री पूरे विश्व की महिलाओं में बढ़ती जा रही है। केवल वजाइना वॉश ही नहीं, बल्कि वजाइनल जेल, वजाइनल क्रीम, वजाइना डूश, वजाइना वाइप और वजाइना स्प्रे भी। इनकी सबसे ज़्यादा बिक्री चीन और अमेरिका में होती है।
हालांकि भारत में दूसरे देशों के मुकाबले इसका चलन बहुत कम है। यह चीज़ें आपके वजाइना को साफ, सुन्दर, स्वस्थ और संक्रमण मुक्त रखने के लिए बाज़ार में उपलब्ध हैं। टीवी पर इनके विज्ञापन में भी या तो प्रसिद्ध अभिनेत्रियां होती हैं या फिर वो औरतें जिन्होंने ये उत्पाद इस्तेमाल करके अपनी जिंदगी बदल दी (जैसा की विज्ञापनों में दिखाया जाता है।)। बहुत से स्त्री रोग विशेषज्ञ भी तो वजाइना की समस्याओं के लिए विभिन्न प्रकार के वॉश लिख देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि वजाइना को स्वस्थ रखने के लिए बेचे जाने वाले ये उत्पाद आपके वजाइना और उससे सम्बंधित स्वास्थ्य, दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं?
सबसे पहले तो यहाँ ‘वजाइना’ शब्द को स्पष्ट कर देना ज़रूरी है। हम जिसे आम भाषा में ‘वजाइना’ का नाम देते है, असलियत में उसे ‘वल्वा’ यानि कि ‘योनिद्वार’ कहा जाता है। ‘वजाइना’ शब्द उस पूरे अंग के लिए उपयोग किया जाता है जिसमें योनिद्वार, क्लाइटोरिस, अंदरूनी व बाहरी लेबिया, यूरेथ्रा जैसे भाग शामिल हैं। अब करते हैं वजाइना की बात। हम सभी को इस बात का ज्ञान है कि वजाइना महिलाओं का एक अभिन्न अंग है जो प्रजनन के लिए अनिवार्य है। इस विश्व में मानव वंश चलने का यह सबसे बड़ा कारण है और महिलाओं की शारीरिक गतिविधियों और समस्याओं में यह बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में जब बात आती है इसे साफ और स्वस्थ रखने की तो हमें हर पहलू को जाँच-परख कर ही आगे बढ़ना चाहिए।
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वजाइनल वॉश का इतिहास
पारम्परिक रूप से देखा जाए तो पहले की महिलाएं वजाइना को साफ रखने के लिए केवल पानी का इस्तेमाल करती थीं। उसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने दूसरे प्रकार के तरल पदार्थों का भी उपयोग किया, जो प्राकृतिक हुआ करते थे। लेकिन फिर साल 1830 में एक नया दौर आया जब लोग वजाइना को स्वच्छ रखने के लिए अलग-अलग सामग्री मिलाकर उनका परीक्षण करने लगे। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में वजाइनल डूश अमेरिका में और भी प्रचलित हुए। चूँकि उस समय कॉन्डम आसानी से उपलब्ध नहीं हुआ करते थे, लोग इसे गर्भनिरोध के रूप में देखने लगे।
कुछ कंपनियों ने उस वक़्त यह भी दावा किया कि ये उत्पाद यौन संक्रमण रोगों से बचाव में भी काम आएंगे, लेकिन यह सब धोखेबाज़ी से ज़्यादा और कुछ नहीं था। उस समय के सबसे लोकप्रिय वजाइनल डूश ब्रांड का नाम था ‘लाइज़ॉल’। यह वही लाइज़ॉल है जो आज घरों में टॉयलेट की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साल 1953 के पहले लाइज़ॉल में ‘क्रेसोल’ नाम का एक रसायन डाला जाता था जो ना जाने कितनी ही महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हुआ। उसके बाद भी कंपनी तब तक लगातार इस उत्पाद का गलत तरीके से विज्ञापन करके इसे बेचती रही, जब तक इसे एक टॉयलेट क्लीनर नहीं करार दिया गया।
कंपनियां बेवकूफ बनाने में इतनी माहिर होती हैं कि वजाइना वॉश जैसे उत्पाद को भी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बेचने से नहीं शर्माती।
‘वजाइनल वॉश’ बिक्री का एक बढ़िया विकल्प
एक ग्राहक के तौर पर हमें यह समझना ज़रूरी है कि वजाइना वॉश बनाने वाली कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री किसी भी तरह बढ़ाना चाहती हैं। इन उत्पादों में बहुत सी ऐसी सामग्री और रासायनिक पदार्थ मिले रहते हैं जो इस्तेमाल करते वक़्त तो हमें संतुष्ट कर देते हैं लेकिन भविष्य की परेशानियों को बढ़ावा भी देते हैं।
साथ ही उनके विज्ञापनों को भी ध्यान से देखें तो वे भ्रमित कर देने वाले होते हैं। इनमें महिलाओं की गुप्त परेशानियों को बढ़ा-चढ़ा कर सामाजिक बाधाओं से जोड़ दिया जाता है। इस तरीके से ये पूंजीवादी कंपनियां दर्शकों पर एक तरह से भावनात्मक अत्याचार करती हैं। इससे उन्हें तो फायदा पहुँचता है पर लोगों को शारीरिक और आर्थिक रोग ज़रूर हो जाता है।
ये कंपनियां बेवकूफ बनाने में इतनी माहिर होती हैं कि वजाइना वॉश जैसे उत्पाद को भी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बेचने से नहीं शर्माती। ये प्रसाधन आपके वजाइना को पहले से सुन्दर और गोरा करने का गलत दावा करते हैं जिससे इनकी बिक्री अधिक हो। साथ ही वजाइना को ‘गंध रहित’ करके ‘सुगन्धित’ रखने का लालच भी दिया जाता है। यह शरीर के लिए सबसे ज़्यादा हानिकारक है क्योंकि उनकी आर्टिफिशल खुशबू हमारी प्राकृतिक द्रवों से बनी गंध को खत्म करने का काम करती है। इसी के साथ जब इलाज के समय डॉक्टरों द्वारा हमें ऐसे वॉश खरीदने को कहा जाता है, तो अधिकतर बार वह चिकित्सक खर्च में इज़ाफ़े का एक तरीका होता है।
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युवा महिलाओं के वजाइना का पीएच लेवल 3.5 से 4.7 के बीच होता है और वह स्वयं ही उसे बनाये रखता है।
क्या है वजाइना साफ करने का सही तरीका ?
मुझे आज भी याद है जब मेरे स्कूल में शहर की विख्यात स्त्री रोग विशषज्ञ ने आकर अपना अमूल्य ज्ञान हम सभी बच्चियों से साझा किया था। एक लड़की ने सेमिनार खत्म होने के बाद उनसे यही सवाल पूछा था। उन्होंने जवाब में जानकारी देते हुए बताया था कि हमारा वजाइना शरीर का एक बहुत ही अनोखा अंग है। यह अपनी साफ-सफाई खुद ही करने में सक्षम है। इसमें अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं जो अपना काम बखूबी करते हैं। साथ ही जो तरल पदार्थ इससे उत्पन्न होते हैं वे भी इस अंग को दूसरे कीटाणु और बीमारियों से बचाते हैं। युवा महिलाओं के वजाइना का पीएच लेवल 3.5 से 4.7 के बीच होता है और वह स्वयं ही उसे बनाये रखता है।
इसलिए वजाइना को किसी वॉश, जेल या स्प्रे की ज़रूरत नहीं है। हम जिस तरह से नहाते वक़्त अपने पूरे शरीर को साफ करते हैं, उसी तरह हमें वजाइना को भी साफ-सुथरा रखना होता है। प्राकृतिक या आर्गेनिक साबुन और पानी, बस यही काफी है। हाँ अगर ऐसा लगे कि आपको वजाइना से सम्बंधित इन्फेक्शन या दूसरी परेशानी हो रही है तो अपने डॉक्टर को जल्द से जल्द बताएं। रही बात वजाइना के सुन्दर होने की तो जब आप हमेशा उसे स्वच्छ रखेंगे, उसपर रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कर अत्याचार नहीं करेंगे और साथ ही पौष्टिक भोजन कर स्वस्थ रहेंगे तो यह अंग अपने आप ही साफ, सुन्दर, स्वस्थ और संक्रमण रहित रहेगा।
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तस्वीर साभार : apple.com
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