समाजख़बर तस्वीरों में : कृषि कानूनों के ख़िलाफ किसानों का भारत बंद

तस्वीरों में : कृषि कानूनों के ख़िलाफ किसानों का भारत बंद

कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों ने बीते 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वावन किया था। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसानों को समर्थन मिला।

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ देशभर के किसानों ने बीते मंगलवार को भारत बंद का आह्वावन किया था। सिंधु बॉर्डर पर बीते 13 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हज़ारों किसानों और अन्य संगठनों ने ये देशव्यापी बंद बुलाया। इस बंद को देशभर के कई किसान और मज़दूर संगठनों ने अपना समर्थन दिया। साथ ही साथ कांग्रेस, डीएमके, वाम दलों समेत 20 से अधिक पार्टियों ने भी किसानों द्वारा बुलाए गए इस बंद को अपना समर्थन दिया। इस बंद को बुलाने से पहले केंद्र सरकार और करीब 30 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 6 राउंड बैठकें हुई लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला। एक तरफ जहां किसान संगठनों की मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस लें, वहीं सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह ये कानून वापस लेगी या नहीं। केंद्र सरकार अब तक मौजूदा कानूनों में कुछ संशोधनों के लिए ही राज़ी हुई है। भारत बंद के दौरान किसान संगठनों ने चक्का जाम भी किया। इस दौरान मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने कई प्रमुख रास्ते जाम किए। वहीं, कई शहरों में आम नागरिक, छात्र और कार्यकर्ताओं ने भी किसानों द्वारा बुलाए गए इस बंद को अपना समर्थन दिया। किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में देश के कई राज्यों के बाज़ार, दुकानें और मंडिया बंद रही। वहीं, प्रदर्शन में शामिल कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया।

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भारत बंद के समर्थन में कुरुक्षेत्र में वीरान पड़े बाज़ार।

कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ बुलाए गए बंद के समर्थन में झारखंड में सड़क पर उतरे लोग।

हरियाणा में कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ भारत बंद के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एंबुलेंस के लिए बनाया रास्ता।

बड़ी संख्या में महिला किसानों ने भी इस बंद में हिस्सा लिया।

भारत बंद के दौरान सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन करते किसान। ये किसान पिछले हफ्ते से यहां इन कानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं।

जम्मू में किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरे लोग।

ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने भी अपना समर्थन भारत बंद को दिया। साथ ही कहा कि ये कानून न तो किसानों न ही वकीलों के पक्ष में हैं।

किसानों के इस प्रदर्शन को न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों बल्कि विदेश में रहने वाले लोगों का भी समर्थन मिल रहा है। साथ ही साथ किसानों के समर्थन में कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं ने अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने अपना पद्मश्री, अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण और नेता सुखदेव सिंह ने भी अपना पद्म विभूषण लौटाने का एलान किया है। इसके साथ ही पर्यावरणविद् बाबा सेवा सिंह ने भी अपना पुरस्कार लौटाने की बात कही है। साथ ही द वायर के मुताबिक खिलाड़ी विजेंदर सिंह, पहलवान करतार सिंह, हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर, सज्जन सिंह चीमा ने भी किसानों के समर्थन में अपना पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है।

किसानों का कहना है कि उनकी मांग सीधी है कि ये तीनों ही कानून; कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, किसानों (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून और आवश्यक वस्तु (संशोधन कानून किसानों के नहीं कॉरपोरेट्स के हित में बनाए गए हैं, सरकार को इन तीनों कानून को वापस लेना चाहिए। सरकार ने इन तीनों कानूनों में संशोधन के सुझाव दिए हैं जिसे किसान संगठनों ने सिरे से खारिज कर दिया है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दों पर हुई अलग-अलग बैठकों के दौरान 39 बिंदु पेश किए हैं कि कैसे ये कानून किसानों के हित के ख़िलाफ़ हैं।

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तस्वीर साभार : NBC News

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