हमारे देश में राजनीति में आना और एक सफल भूमिका निभाना मुश्किल होता है। हमारी सामाजिक व्यवस्था की वजह से राजनीतिक परिवारों से हों, तो भी राजनीति में आना और टिके रहना मुश्किल होता है। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी एक ऐसी ही नाम है। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के घोषणा किए गए उम्मीदवारों की सूची में बांसुरी स्वराज का नाम भी था। भारत की राजनीती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सुषमा स्वराज ने ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी बात को बेझिझक और निडर होकर रखा है।
इन दिनों उनकी बेटी बांसुरी स्वराज भी चर्चा में है क्योंकि अब उन्होंने राजनीती में अपने कदम रख दिए हैं। 2023 में, बांसुरी स्वराज को दिल्ली में भाजपा के कानूनी सेल के सह-संयोजक के रूप में नियुक्त किया गया था। एक साल बाद, बांसुरी लोकसभा में अपनी जगह बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। बांसुरी केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी की जगह नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी।
बांसुरी का शुरुआती जीवन और शिक्षा
बांसुरी के पिता का नाम स्वराज कौशल है जो पेशे से वकील हैं। स्वराज कौशल मिजोरम के पूर्व राज्यपाल भी रह चुके हैं। बांसुरी स्वराज का जन्म जनवरी 1984 में दिल्ली में हुआ। बांसुरी ने वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने लॉ में बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की और उन्हें लंदन के ऑनरेबल इन इनर टेम्पल से बार में बुलाया गया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर ऑफ स्टडीज की डिग्री भी ली की है।
वकालत में अनुभव
भारत की W20 (वुमन 20, लैंगिक समानता पर केंद्रित अफिशल G20 एन्गैज्मन्ट ग्रुप सहभागिता समूह) वेबसाइट के अनुसार, बांसुरी को साल 2007 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में नामांकित किया गया था। उन्होंने रियल एस्टेट, कॉन्ट्रैक्ट और टैक्स आदि से जुड़े कई आपराधिक मामलों में अपना योगदान दिया है। 40 वर्षीय बांसुरी का कानूनी करियर लंबा रहा है। वह सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और उन्हें कानूनी पेशे में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। बांसुरी हरियाणा की अतिरिक्त महाधिवक्ता थीं और 2007 से निजी प्रैक्टिस कर रही हैं। इसके आलावा उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में कानून का अभ्यास किया है।
बांसुरी के दिल्ली सीट की अहमियत
बांसुरी स्वराज काफी समय से बीजेपी से जुड़ी हुई है। वह पहले से ही कानूनी मामलों में पार्टी की मदद करती रही हैं। दिल्ली बीजेपी की चुनाव समिति ने जो सूची केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी थी, उसमें बांसुरी का नाम सबसे ऊपर था। केन्द्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईसी) ने भी यह नाम बरकरार रखा। बांसुरी के नामांकन के साथ, भाजपा ने राजधानी में चुनाव के लिए माहौल तैयार कर दिया है। यदि वह आम आदमी पार्टी (आप) के सोमनाथ भारती, जो खुद इस सीट से एक मजबूत दावेदार हैं, को हराने में सफल हो जाती हैं, तो वह खुद को मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में स्थापित कर लेंगी।
बांसुरी रही हैं मुखर
पिछले साल बांसुरी दिल्ली के आप सरकार के खिलाफ काफी विवादों में रही थी। जब केजरीवाल ने ब्यान दिया थी कि उनके उपर भाजपा में शामिल होने का दवाब डाला जा रहा है, तो उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की जमकर अलोचना करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी में केजरीवाल की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनका राजनीतिक क्षेत्र में ये पहला कदम है। बांसुरी को उस समय विवादों का सामना करना पड़ा था, जब वह आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की लीगल टीम की हिस्सा थी। उस समय भाजपा ने ये कहकर उनका बचाव किया था कि वह एक स्वंतत्र वकील के रूप में काम कर रही हैं और उन्हें अपने पेशेवर दायित्त्वों को पूरा करने का पूरा अधिकार है।
सुषमा स्वराज को मानती हैं प्रेरणा
बांसुरी राजनीति के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। वह आए दिन ट्विटर पर अपनी पोस्ट साझा करती रहती हैं। बीजेपी से टिकट मिलने के बाद उन्होंने ट्विटर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य लोगों को यह अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया था।
एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अबकी बार 400 पार के संकल्प के साथ, प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधान सेवक के रूप में फिर से चुनने का प्रयास करेंगे। उन्होंने जब 2023 में औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया, तब ये कहा था कि मेरी माँ सुषमा स्वराज मेरे लिए प्रेरणा और मेरी मार्गदर्शक है।
वह कहती हैं कि मेरा परिचय यह है कि मैंने अपना राजनीतिक जीवन एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया था। बांसुरी स्वराज एक सफल वकील रही हैं। अब वह भाजपा में बतौर महिला उम्मीदवार के रूप में एक नई भूमिका निभाने जा रही है। उनका भाजपा में शामिल होना भारतीय राजनीति में उनके भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत माना जा सकता है। आने वाले समय में पता चलेगा कि वह राजनीति में अपना क्या स्थान बनाती है और राजनीति में अपनी कैसी भूमिका निभाती है।