भारत एक लोकतांत्रिक देश है। इसके संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य देश भर में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव सुनिश्चित करना है। देश में केंद्र स्तर पर एक निर्वाचन आयोग होता है। इसके अलावा राज्य स्तर पर भी प्रत्येक राज्य में राज्य चुनाव आयोग का उपबंध है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग का कार्य देश भर में होने वाले लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के चुनाव को संपन्न कराना है, जबकि राज्य निर्वाचन आयोग पर गांव और शहरी निकायों में पंचायत स्तर के चुनाव को संपन्न कराने की ज़िम्मेदारी है।
ऐतिहासिक और संवैधानिक पहलू
भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारत के चुनाव आयोग के बारे में उल्लेख है। चुनाव आयोग का गठन 25 जनवरी 1950 को भारत में स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराने के उद्देश्य से किया गया था। इसी वज़ह से 2011 से प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपने गठन के समय चुनाव आयोग में एक सदस्य होता था जो मुख्य चुनाव आयुक्त होता था, लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को पहली बार दो अन्य चुनाव आयुक्तों को नियुक्त किया गया।
हालांकि इनका कार्यकाल बहुत कम रहा, जो 1 जनवरी 1990 को समाप्त हो गया। इसके बाद 1 अक्टूबर 1993 को एक बार फिर से 1+2, यानी एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई। यही बहुसदस्यीय व्यवस्था अब तक चली आ रही है। कोई भी फ़ैसला लेना हो तो बहुमत से लिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव आयुक्तों की संख्या में बदलाव कर सकता है।
चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य
भारत के चुनाव आयोग की प्रमुख ज़िम्मेदारी देश के संसद यानी लोकसभा राज्यसभा और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति और राज्य की विधानसभा के चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से संपन्न कराने की है। इसके लिए चुनाव आयोग निम्नलिखित काम करता है-
- आयोग निश्चित समय अंतराल पर चुनावी क्षेत्रों का परिसीमन कर सीटों को निर्धारित करता है। पिछली बार परिसीमन 2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हुआ था अगला परिसीमन 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद किया जाएगा। वर्तमान में लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 543 है। राज्यों की जनसंख्या के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है।
- भारत में मतदान करने की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर नए मतदाताओं का पंजीकरण और अपात्र मतदाताओं का नाम सूची से हटकर मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है। इस प्रकार मतदाता सूची तैयार करना, नये नामांकन करना और आवश्यकतानुसार इसमें संशोधन करना इसकी एक प्रमुख ज़िम्मेदारी है।
- चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रमों की तारीखें ज़ारी करता है और नामांकन पत्रों की जांच भी करता है। निष्पक्ष चुनाव के लिए समय पर आदर्श आचार संहिता भी लागू करवाता है।
- विभिन्न राजनीतिक दलों को उनकी योग्यता के अनुसार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के रूप में मान्यता देता है, उन्हें चुनाव चिन्ह प्रदान करता है। इसके अलावा आयोग निर्दलीय प्रत्याशियों को भी चुनाव चिन्ह प्रदान करता है।
- दलबदल को छोड़कर सांसद और राज्य विधानसभा सदस्यों की योग्यता-अयोग्यता का निर्धारण करने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल को परामर्श देता है।
- चुनाव आयोग के निरीक्षण में मतगणना और परिणाम तैयार होता है, जिसका लाइव प्रसारण और सार्वजनिक घोषणा की जाती है।
- निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता, असमर्थता मृत्यु या किसी अन्य वजह से उसका पद रिक्त होने पर उपचुनाव करवाना भी चुनाव आयोग का ही काम है जिससे व्यवस्था से सुचारु रूप से चलती रहे।
कौन हैं वर्तमान मुख्य और अन्य चुनाव आयुक्त
भारत के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं। इन्होंने सुशील चंद्रा का स्थान लिया था। इन्होंने 15 मई 2022 को अपना कार्य भारत संभाला। इसके पहले से राजीव कुमार 1 सितंबर 2020 से भारत के चुनाव आयुक्त थे। यह 1984 बैच के बिहार-झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, जो 2020 में सेवानिवृत हुए थे। इसके बाद इन्होंने सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, नाबार्ड जैसी संस्थाओं में भी महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया। इनके अलावा ज्ञानेश कुमार और डॉक्टर सुखवीर सिंह संधू अन्य चुनाव आयुक्त हैं। ज्ञानेश कुमार 1988 बैच से केरल के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रह चुके हैं, जबकि डॉक्टर सुखवीर सिंह संधू 1988 बैच से ही उत्तराखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के पद पर काम कर चुके हैं। ग़ौरतलब है कि भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे, जिनका कार्यकाल 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक था।
देश की एकमात्र महिला मुख्य चुनाव आयुक्त
भारत की पहली अब तक की एकमात्र महिला मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. रमादेवी हैं। हालांकि 26 नवंबर 1990 से 11 दिसंबर 1990 तक इनका कार्यकाल बहुत कम रहा, लेकिन इन्होंने भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर काम करने का गौरव हासिल किया है। रमा देवी ने इसके पहले कर्नाटक के राज्यपाल के तौर पर भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन्होंने भारत के 9वें मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर काम किया था। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक भारत के 25 मुख्य चुनाव आयुक्तों में से मात्र एक महिला रही हैं। जिस तरह देश की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व ज़रूरी है, इसी तरह चुनाव आयोग में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की आवश्यकता है, तभी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में क़दम बढ़ाया जा सकेगा।
ऊपर दिए गए भूमिकाओं के अलावा, चुनाव आयोग समय-समय पर चुनाव व्यवस्था में सुधार के लिए नए-नए उपक्रम करता है। ग़ौरतलब है कि 2019 में लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 67.40 था। इस बार चुनाव आयोग ने 266 लोकसभा क्षेत्रों में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसके तहत उन निर्वाचन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया, जहां पर वोट प्रतिशत काफ़ी कम रहा है। इसमें से अधिकतर क्षेत्र उत्तर प्रदेश और बिहार से संबंधित थे। इस प्रकार मतदान के लिए जागरूक करना भी आयोग का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य है, जिससे चुनाव की सार्थकता सिद्ध हो सके। देश के संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण हेतु चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता अत्यंत आवश्यक है। जिससे देश की चुनी हुई सरकार सही मायने में जनता की और जनता के लिए हो। जिसमें सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके, तभी सही मायने में समावेशी विकास संभव होगा।