मथुरा की मौजूदा सांसद और लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा की ओर से प्रत्याशी हेमा मालिनी, खुद को श्री कृष्ण की गोपी बताते हुए कहती हैं “मैं मथुरा के लोगों की सेवा करूंगी जिसकी वजह से श्री कृष्ण जी भी मुझ पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे।” हेमा मालिनी राजनीति में आने से पहले सिनेमा में नाम कमा चुकी हैं। साल 1963 में तमिल फ़िल्म ‘इधु साथियम’ से अपने अभिनय की शुरुआत की थी। साल 1968 में बतौर मुख्य अभिनेत्री फ़िल्म ‘सपनों का सौदागर’ में काम किया। फिल्मों में लंबे करियर के बाद हेमा राजनीति से जुड़ीं। साल 1999 में सबसे पहले उन्होंने गुरदासपुर पंजाब में चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विनोद खन्ना के लिए चुनाव प्रचार किया था। वह अपने राजनीतिक जीवन को लेकर कहती हैं, “मैंने फिल्म जगत में बहुत नाम और प्रसिद्धि कमाई है। बहुत सारे प्रशंसक हैं। वे सभी मुझे हर सार्वजनिक समारोहों में बहुत प्रेम से बुलाते थे, तो मैंने सोचा कि मुझे भी कुछ लौटाना चाहिए। अपने इसी भाव से राजनीति चुनी।”
साल 2004 में हेमा मालिनी आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी थी। 75 वर्षीया हेमा ने साल 2004 से 2009 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में काम किया और 2010 में उन्हें पार्टी का महासचिव बना दिया गया। 2014 के आम चुनावों में, हेमा मालिनी ने मथुरा के उस समय के सांसद, जयंत चौधरी (आरएलडी) को हराकर संसद पहुंची। उन्होंने 2019 के आम चुनाव में जीत बरकरार रखी और 2024 के लोकसभा चुनाव में उसी सीट से दोबारा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मथुरा लोकसभा सीट पर आगामी 26 अप्रैल को वोटिंग होने वाली है।
बतौर सासंद रिपोर्ट कार्ड
मथुरा की सांसद के रूप में हेमा मालिनी ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र को “अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल” के रूप में देखना चाहती हैं। आगे वो कहती हैं “मथुरा के विकास और मथुरा वासियों की समृद्धि के लिए कार्य करूंगी”। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा ”मैं सभी लोगों को बताती हूं कि मैं थ्री इन वन हूं, एक फिल्म कलाकार, एक नर्तकी और एक राजनीतिज्ञ हूं। संसद में बतौर सांसद के तौर पर अगर हेमा मालिनी की उपस्थिति और काम की बात करें तो आंकड़ें प्रचार से इतर कुछ और बयां कर रहे हैं। संसद में भागीदारी दिखाने वाले उनके आंकड़े कम है। 17वीं लोकसभा सत्र में इन्होंने केवल केवल 50 फीसदी हिस्सा लिया जबकि राष्ट्रीय औसत 79 प्रतिशत दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं साल 2019 से लेकर 2024 के समय के बीच होने वाले कई संसद के सत्र में मालिनी की उपस्थिति ना के बराबर थी और एक बार पूरे मानसून सत्र में वे उपस्थित नहीं थी।
हेमा मालिनी ने केवल 20 चर्चाओं में हिस्सा लिया है जो राष्ट्रीय औसत का आधा भी नहीं है। उन्होंने 105 सवाल पूछे है जबकि राष्ट्रीय औसत 210 और राज्य का औसत 151 का है। पूछे गए सवालों में से केवल 58 पिछले पाँच सालों में स्वतंत्र रूप से उठाए गए है। द प्रिंट में छपी जानकारी के अनुसार हेमा मालिनी के द्वारा संसद में उठाए 90 फीसदी सवाल जैनरिक थे। कोई भी सवाल उनके संसदीय क्षेत्र में विकास परियोजनाओं से जुड़ा नहीं था। वह एमपीएलएडी फंड से आवंटित बजट का आधे का खर्च कर चुकी हैं, जबकि उनके द्वारा आंवटित काम का केवल 16.6 प्रतिशत ही पूरा हुआ है। हेमा मालिनी को बतौर सांसद विकास कार्यों के लिए आवंटित धनराशि 9 करोड़ से अधिक है जिसमें से उन्होंने साढ़े पाँच करोड़ से कुछ अधिक (5,88,96,182) ही खर्च की है।
हेमा मालिनी की राजनीति
हेमा मालिनी की राजनीति पर अगर नज़र डाले तो वह कई मायनों में अस्पष्ट नज़र आती है। कई मुद्दों पर बात करते हुए वह खुद क्या सोचती है उस बात को स्पष्ट तरीके से सामने रखती नहीं दिखती हैं। भाजपा सरकार और मोदी सरकार के द्वारा लिए गए फैसलों पर वे बहुत मुखर होकर स्पष्ट तरीके से बोलती तक नहीं दिखती है। साथ ही उनके कई बयान जनता विरोधी तक नज़र आए हैं। संसद में विपक्ष के सांसदों के निलबंन का समर्थन देते हुए उन्होंने कहा था, “इतने सारे सवाल पूछते हैं और अजीब व्यवहार करते हैं।” इतना ही नहीं महिला के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा पर एक मीडिया कार्यक्रम में बोलते हुए हेमा मालिनी यह भी बयान दे चुकी है, “महिलाओं को कही भी अकेले नहीं जाना चाहिए। औरतों को सतर्क रहना चाहिए।”
तीसरी बार पार्टी की ओर से टिकट मिलने के बाद मीडिया को संबोधन में मालिनी ने कहा कि वह अधूरे कार्य को पूरा करना चाहती है जो अबतक पेडिंग है। काम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा “खारा पानी यहां एक बड़ी समस्या है और अब गंगा का पानी यहां लाया जाएगा, लेकिन इस पहल में समय लगेगा। फ्लाईओवर, रेलवे कनेक्टिविटी, सूरदास स्थल का सौंदर्यीकरण, बृज तीर्थ विकास परिषद के साथ समन्वय में कुंडों की सफाई और कुछ महत्वपूर्ण कार्य भी हैं, जो मैंने शुरू किए हैं।” यमुना के पानी में प्रदूषण के लिए उन्होंने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। “यमुना की सफाई एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें मैं बहुत दिलचस्पी लेने जा रही हूं और इस बार इसे पूरा करवाऊंगी, हालांकि यह बहुत मुश्किल है। पहले कार्यकाल से ही मैं कोशिश कर रही हूं।”
सांसद हेमा मालिनी ने अप्रैल 2022 में मथुरा का दौरा किया। इसी समय उन्होंने “चौरासी कोस ब्रज यात्रा” की पहल में कई खामियां देखी। एक इंटरव्यू में बताया “मैंने ब्रज यात्रा के 43 गांवों और 32 पड़ावों का दौरा किया और उनमें से अधिकांश की हालत दयनीय पाई।” उन्होंने कहा ’84 कोस ब्रज यात्रा’ में पड़ने वाली पुरानी इमारतों के रख रखाव में भी हमने कमियां देखीं।” फिलहाल अभी भी वहां की स्थिति सोचनीय है। ज़मीनी स्तर पर काम करना बहुत ज़रूरी है। इस यात्रा के दौरान एक वृद्ध महिला आश्रम भी पड़ता है जिसकी हालत भी जर्जर है। उनके विकास के लिए वहां कोई पहल नहीं हुई न ही किसी घोषणापत्र में उनकी सुलभता का कोई ज़िक्र हुआ, हालांकि, बाहर के मेन रोड पर सफाई का काम ज़रूर हुआ है मगर वो पूरा नहीं है। बीते दस साल में मथुरा को खूबसूरत बनाने के लिए पैसा और योजनाएं बड़े स्तर पर लाई गई है हालांकि स्थिति में बहुत बदलाव नहीं दिख रहा है।
हेमा मालिनी चुनाव प्रचार में व्यस्त है खेतों में फसल काटने से फोटो ऐप करती भी नज़र आ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान खुद को कृष्ण की गोपी कहते हुए उनका कहना है कि अगर मुझे ब्रजवासियों की सेवा करने का मौका मिलता है जो मैं पूरी ईमानदारी से करूंगी। हेमा मालिनी की राजनीति पूरी तरह से धीमी और सुविधा के अनुसार प्रतिक्रिया देने वाली राजनीति लगती है। वह जिन पहलुओं और मुद्दों को चुनती है या फिर चुप रहना चुनती है उनसे उनकी राजनीति साफ दिखती है। जैसे फ़िलहाल हेमा मालिनी चुनाव के दौरान मथुरा के खेतों में नज़र आईं। इससे पहले वो सक्रिय तौर पर ज्यादा 2019 नजर आई थी। चुनाव के समय कुछ समय के लिए ग्राउंड पर उनको ज्यादा देखा जा सकता है। 20-50 गाड़ियों का जमावड़ा, 200-500 लोग। बीच की एक काली कार में खड़े हुए प्रत्याशी। फूलों की माला से भरा हुआ उनका गला और हाथ जोड़े हुए। ये दृश्य आपको केवल वोटिंग से पहले दिखेगा। इसके बाद आपकी नज़रें भी केवल कंप्यूटर और टीवी की स्क्रीन तक सीमित रह जाएंगी या फिर मिसिंग एमपी के पोस्टर पर दिखती है। दस साल लोकसभा सांसद के तौर पर उनकी कार्यप्रणाली इस तरह से ज्यादा देखी गई है।