ग्राउंड ज़ीरो से दिल्ली में पानी की समस्या: जल संकट और महिलाओं का जीवन

दिल्ली में पानी की समस्या: जल संकट और महिलाओं का जीवन

यहां की सबसे बड़ी समस्या पानी ही है यह पानी जीवन और भविष्य दोनों को बहुत प्रभावित कर रहा है। यहां तक कि बच्चे पढ़ने के बाद नौकरी करने नहीं जा पाते हैं, क्योंकि पानी भरने के लिए कोई होगा नहीं। जब भी चुनाव होता है सरकार वादा करती है कि पाइप लाइन लगवा देगी। लेकिन हमें कोई उम्मीद नज़र नहीं आती है।

देश की राजधानी, दिल्ली, विभिन्न समस्याओं से जूझती आई है। पानी की कमी इनमें से एक प्रमुख समस्या है, जो हालिया समय में सभी को परेशान कर रही है। पानी की समस्या विशेषकर महिलाओं के जीवन को कठिन बना देती है। दिल्ली का चाणक्यपुरी, जो प्रधानमंत्री आवास से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, दिल्ली के सबसे सुरक्षित और संवेदनशील इलाकों में से एक है। यहां हर देश का दूतावास स्थित है और इस क्षेत्र में एक स्लम एरिया भी है, जिसे विवेकानंद कैम्प कहा जाता है। इस कैम्प में लगभग 500 प्रवासी परिवार रहते हैं। यहां प्रत्येक परिवार में औसतन दस सदस्य हैं। ये लोग छोटे-मोटे काम जैसे दिहाड़ी मजदूरी, घरेलू कामगार और सफाई कर्मी का काम करके अपना जीवन बसर कर रहे हैं।

गर्मियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली में पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है, और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित चाणक्यपुरी का विवेकानंद कैम्प है। 30 वर्षीय शरीफा खातून, जो बंगाल की मूल निवासी हैं, पिछले 15 सालों से यहां रह रही हैं। वह कहती हैं, “पानी की कमी के कारण चार दिन से काम पर नहीं जा पाई हूँ। घर में कोई और नहीं है जो पानी भर सके और टैंकर पूरे दिन में केवल एक बार आता है, उसका भी कोई निश्चित समय नहीं है।”

काम छोड़कर पानी के लिए आना पड़ता है क्योंकि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम पानी खरीदकर पी सकें। कई बार हमें पूरे दिन पानी के इंतजार में बैठना पड़ता है, और टैंकर देर शाम तक आता है, जिससे घर पर खाना नहीं बन पाता।

पानी की कमी का दीर्घकालिक प्रभाव

दिल्ली में पानी की समस्या नई नहीं है। यह समस्या कई सालों से चली आ रही है और इसका असर सबसे ज्यादा महिलाओं पर पड़ता है। 50 वर्षीय महोबा, जो बंगाल की मूल निवासी हैं और पिछले 20 वर्षों से चाणक्यपुरी में घरेलू कामगार के रूप में काम कर रही हैं, कहती हैं, “हर साल सरकार हमसे वादा करती है कि पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन कोई बदलाव नहीं होता। पाइपलाइन लगवाने की बात होती है, लेकिन वह केवल कागजों में ही रह जाती है।”

चाणक्यपुरी में पानी आने का इंतज़ार करती महिलाएं, तस्वीर साभार: ज्योति

महिलाओं पर पानी भरने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से होती है, जो उनके काम और स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। महोबा कहती हैं, “काम छोड़कर पानी के लिए आना पड़ता है क्योंकि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम पानी खरीदकर पी सकें। कई बार हमें पूरे दिन पानी के इंतजार में बैठना पड़ता है, और टैंकर देर शाम तक आता है, जिससे घर पर खाना नहीं बन पाता।”

कुसुमपुर पहाड़ी में जब भी पानी का टैंकर आता है, लोगों के बीच भागदौड़ मच जाती है। पानी भरने की होड़ में लड़ाई-झगड़े भी हो जाते हैं। पानी से भरे डिब्बे को ले जाना भी कठिन होता है क्योंकि सड़क की बनावट नीचे से ऊपर की तरफ है, जिससे महिलाओं को सांस फूलने की समस्या होती है

पानी की कमी और महिलाओं की जिम्मेदारी

दिल्ली के चाणक्यपुरी में रहने वाली 40 वर्षीय लक्ष्मी, जो उत्तर प्रदेश की निवासी हैं, कहती हैं, “मैं यहाँ 15 साल से रह रही हूं। पानी की समस्या हर मौसम में होती है। लेकिन गर्मी में समस्या और बढ़ जाती है। पानी की कमी के कारण सभी काम रुक जाते हैं। सुबह जल्दी उठकर खाना बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना और फिर पानी के इंतजार में बैठना मेरी दिनचर्या बन गई है। पानी भरने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से महिलाओं की होती है। मेरे पति कई बार काम से जल्दी आ जाते हैं, लेकिन पानी भरने का काम नहीं करते। शायद यह जिम्मेदारी भी महिलाओं की ही है।”

हर साल सरकार हमसे वादा करती है कि पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन कोई बदलाव नहीं होता। पाइपलाइन लगवाने की बात होती है, लेकिन वह केवल कागजों में ही रह जाती है।

कुसुमपुर पहाड़ी में पानी की कमी और महिलाओं की समस्याएं

दिल्ली के पास पानी का अपना कोई स्रोत नहीं है। दिल्ली एक लैडलॉक राज्य है यानी यह हर तरफ से जमीन से घिरा हुआ है। दिल्ली का अपना कोई सोर्स नहीं है। इस तरह दिल्ली पानी के लिए अपने पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है जिसमें हरियाणा सबसे प्रमुख है। इसे लेकर कुसुमपुर पहाड़ी में रहने वाली 38 वर्षीय उत्तरप्रदेश बेबी कहती हैं, “यहां की सबसे बड़ी समस्या पानी ही है यह पानी जीवन और भविष्य दोनों को बहुत प्रभावित कर रहा है। यहां तक कि बच्चे पढ़ने के बाद नौकरी करने नहीं जा पाते हैं, क्योंकि पानी भरने के लिए कोई होगा नहीं। जब भी चुनाव होता है सरकार वादा करती है कि पाइप लाइन लगवा देगी। लेकिन हमें कोई उम्मीद नज़र नहीं आती है।”

तस्वीर में कुसुम, तस्वीर साभार: ज्योति

कुसुमपुर पहाड़ी, जो अरावली के पहाड़ों पर बसा हुआ है, यहां लाखों लोग रहते हैं और पानी की समस्या यहां भी विकट है। वह कहती हैं, “कुसुमपुर पहाड़ी में जब भी पानी का टैंकर आता है, लोगों के बीच भागदौड़ मच जाती है। पानी भरने की होड़ में लड़ाई-झगड़े भी हो जाते हैं। पानी से भरे डिब्बे को ले जाना भी कठिन होता है क्योंकि सड़क की बनावट नीचे से ऊपर की तरफ है, जिससे महिलाओं को सांस फूलने की समस्या होती है और उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसीलिए महिलाएं यहां पर पानी ले जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करती हैं।”

पानी की कमी के कारण सभी काम रुक जाते हैं। सुबह जल्दी उठकर खाना बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना और फिर पानी के इंतजार में बैठना मेरी दिनचर्या बन गई है। पानी भरने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से महिलाओं की होती है। मेरे पति कई बार काम से जल्दी आ जाते हैं, लेकिन पानी भरने का काम नहीं करते। शायद यह जिम्मेदारी भी महिलाओं की ही है।

दिल्ली में पानी की संकट, जल स्रोतों की कमी

पानी के टैंकर की इंतजार करती महिला, तस्वीर साभार: ज्योति

दिल्ली में पानी की समस्या कई सालों से चली आ रही है और इसका सबसे बड़ा प्रभाव महिलाओं के दैनिक जीवन, स्वास्थ्य और नौकरी पर पड़ता है। महिलाओं का पूरा दिन पानी भरने में ही बीत जाता है, जिससे वे अपनी नौकरी और पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पातीं। कुसुमपुर पहाड़ी की 19 वर्षीय तपस्या कहती हैं, “मैं बारहवीं करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही हूं क्योंकि घर पर मेरे अलावा कोई और नहीं है जो पानी भर सके।” दिल्ली में पानी की समस्या मुख्य रूप से उन इलाकों में है जहां मध्यवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवार रहते हैं। ये लोग दिन भर मेहनत करके चार से पांच सौ रुपये कमाते हैं। अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। ऐसे में उनके लिए पानी खरीदकर पीना और दैनिक काम में उपयोग करना बेहद मुश्किल है।

महिलाओं का पूरा दिन पानी भरने में ही बीत जाता है, जिससे वे अपनी नौकरी और पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पातीं। कुसुमपुर पहाड़ी की 19 वर्षीय तपस्या कहती हैं, “मैं बारहवीं करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही हूं क्योंकि घर पर मेरे अलावा कोई और नहीं है जो पानी भर सके।”

दिल्ली में पानी का स्त्रोत और राजनीतिक विवाद

कुसुमपुर पहाड़ी, तस्वीर साभार: ज्योति

दिल्ली इकोनॉमिक सर्वे  2021-2022 के अनुसार, दिल्ली पानी की आपूर्ति के लिए चार स्रोतों पर निर्भर है। पहला गंगा नदी जिसके ज़रिये दिल्ली को 26.5 प्रतिशत पानी मिलता है। दूसरा है भाखड़ा स्टोरेज जिससे 23.1 प्रतिशत पानी मिलता है और तीसरा है यमुना जिसके जरिये दिल्ली को 40.8 प्रतिशत पानी मिलता है और चौथा है दिल्ली के भूजल स्रोत जिससे 9.6 प्रतिशत पानी मिलता है। दिल्ली में पानी की समस्या को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं। हालिया समय में दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने पांच दिन का अनशन किया और मांग की कि दिल्लीवासियों को उनके हक का पानी मिले। उन्होंने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली को 613 MGD पानी देने के बजाय केवल 513 MGD पानी दे रही है, जिससे 28 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। हरियाणा सरकार ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह पूरी मात्रा में पानी दे रही है।

दिल्ली की आम जनता पानी की कमी से जूझ रही है और उनका जीवन प्रभावित हो रहा है। महिलाएं घर-बार छोड़कर सड़कों पर पानी के इंतजार में बैठी रहती हैं। जब पानी का टैंकर आता है, तो लोग पीछे-पीछे दौड़ पड़ते हैं। दिल्ली में पानी की समस्या एक गंभीर मुद्दा है जो विशेषकर महिलाओं के जीवन को कठिन बना देता है। इसका समाधान केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से नहीं, बल्कि ठोस उपायों से ही संभव है। जल स्रोतों की पहचान और पानी के उचित प्रबंधन के साथ-साथ महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। दिल्ली की जल संकट का समाधान संभव है। लेकिन इसके लिए सरकार, समाज और नागरिकों के एकजुट होकर प्रयास की जरूरत है। जल संकट के समाधान के लिए हमें जल संरक्षण, जल रीसाइक्लिंग और जल वितरण के और उपयोग को सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा, महिलाओं को पानी भरने की जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए उचित जल वितरण प्रणाली का निर्माण और घर के सदस्यों का साथ जरूरी है।

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