कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ ताक-झांक (वॉयरिज़म) और पीछा करने के एक मामले को खारिज कर दिया, जिस पर 2016 में पुलिस ने अपने आवास से एक महिला की गुप्त रूप से तस्वीरें खींचने का आरोप लगाया था। इस मामले में, आरोप यह था कि प्रतिवादी पुरुष ने अपने आवास से शिकायतकर्ता महिला की तस्वीरें उस समय ली थीं, जब वह अपने घर के सामने सड़क पर खड़ी थी। इस मामले के निर्णय में न्यायमूर्ति बिभास रंजन डे ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 सी के तहत किसी निजी काम में लिप्त महिला को देखना और उसकी तस्वीर खींचना ताक-झांक (वॉयरिज़म) करना है, वहीं पीछा करने (स्टॉकिंग) के अपराध के लिए भी विशिष्ट तत्वों को स्थापित करने की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में नहीं है।
वॉयरिज़म अपराध के बारे में जागरूकता की कमी
देशभर में महिलाओं के खिलाफ कुछ ऐसे अपराध होते हैं, जो अमूमन दर्ज नहीं किए जाते। बहुत से लोगों को उस अपराध के बारे में पता भी नहीं होता। ऐसा ही एक अपराध है ताक-झांक करना या ‘वॉयरिज़म’। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत में वॉयरिज़म के केवल 1,513 मामले दर्ज किए गए। सबसे अधिक मामलों वाला राज्य महाराष्ट्र (210) था, उसके बाद आंध्र प्रदेश (159) और ओडिशा (148) थे। मुंबई में 73 के साथ सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, इसके बाद दिल्ली में 22, हैदराबाद में 18, चेन्नई और कोलकाता 17-17 के साथ पांचवें स्थान पर रहे।
ये आकंडे बताते हैं कई मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में वॉयरिज्म के केस शून्य पर है। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कम आंकड़ों के कारण अपराध कम है। हो सकता है कि उन राज्यों की महिलाओं को यह न पता हो कि यह एक अपराध है और इसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई जा सकती है। या ऐसा भी हो सकता है कि महिलाओं ने अपने पीछा करने वालों पर ध्यान न दिया हो या इन राज्य में महिलाओं में ऐसे अपराध के प्रति जागरूकता आज भी न हो। रिपोर्टिंग की उच्चतम दर वाले मेट्रो शहर जागरूकता और शिक्षा के उच्चतम स्तर वाले भी हैं। आज भी मेट्रो शहर में भी महिलाएं इस अपराध और संभावित उपायों के बारे में कम जानती हैं।
आखिर क्या है वॉयरिज़म?
वॉयरिज़म शब्द की उत्पत्ति शब्द ‘वॉयूर’ से हुई है, जो एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका अर्थ है ‘वह जो देखता है।’ इसका मतलब किसी व्यक्ति का किसी अन्य व्यक्ति को छिपकर देखने से है। यह एक ऐसा काम है जो किसी और के निजी स्थान और गोपनीयता का हनन करता है। किसी को ऐसी स्थिति में रखना, जहां आप यह निर्धारित कर सकें कि उसके शरीर या व्यक्तिगत गतिविधियों को देखना है या नहीं। यह सर्वाइवर के शारीरिक स्वास्थ्य से भी ज्यादा उनके भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अमानवीय, खतरनाक और हानिकारक है। यह या तो अनधिकृत निगरानी से हो सकता है, जैसे सर्वाइवर के निजी स्थानों में कैमरा लगा दिया जाए, या फिर सर्वाइवर की रजामंदी और पसंद के विरुद्ध रिकॉर्डिंग या छवियों के प्रसार के माध्यम से माध्यम से भी हो सकता है।
जैसे नग्न या अर्ध-नग्न तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करना। आम तौर पर होने वाली ताक-झांक की गतिविधियों में खिड़कियों या कीहोल के माध्यम से जासूसी करना, छिपे हुए कैमरों के महिला को कपड़े बदलते हुए देखना या निजी कामों के दौरान देखना, वॉशरूम, पूल और बेडरूम आदि में कैमरे लगाना शामिल है, जहां लोगों को आसानी से फिल्माया जा सकता है। आज, अधिकांश ताक-झांक करने वाले अपराधी हाई-टेक गैजेट्स और मोबाइल उपकरणों से लैस हैं। जिन लोगों की तस्वीरें खींची जाती हैं या कैद की जाती हैं, उनकी निजी तस्वीरें और क्लिप इंटरनेट पर जारी होने का खतरा हमेशा मंडराया होता है।
आईपीसी 354सी के तहत वॉयरिज़म का प्रावधान
साल 2013 तक भारत में वॉयरिज़म अपराध नहीं था। न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय दंड संहिता में वॉयरिज़म के लिए एक नया खंड 354C पेश किया गया था। 2012 की दिल्ली गैंग रेप घटना के बाद, आयोग इस बात पर सहमत हुआ कि सभी प्रकार के यौन अपराधों के लिए सख्त दंड होना चाहिए और निर्णय लिया कि वॉयरिज़म में अधिकतम सात साल की जेल की सजा होनी चाहिए। कोई भी पुरुष जो ऐसी परिस्थितियों में किसी महिला को निजी काम करते हुए देखता है, या उसकी तस्वीर खींच लेता है, जहां आमतौर पर उसे अपराधी द्वारा या अपराधी के आदेश पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं देखे जाने की उम्मीद होती है या ऐसा प्रचारित करता है उसे आईपीसी 1860 के तहत, वॉयरिज़म कहते हैं। छवि को पहली बार दोषी ठहराए जाने पर किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जो एक वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
इसमें जुर्माना भी लगाया जा सकता है और दूसरी बार या बाद में दोषी ठहराए जाने पर दंडित किया जा सकता है, जिसमें किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जो तीन साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह किसी व्यक्ति को ऐसी स्थिति में डालने का काम है जहां एक व्यक्ति दूसरे की गरिमा पर नियंत्रण कर लेते हैं। यह किसी व्यक्ति के शरीर की तुलना में उसकी मानसिक स्थिति को अधिक नुकसान पहुंचाता है। यह अनधिकृत निगरानी के रूप में हो सकता है, जैसे किसी ऐसे स्थान पर कैमरा स्थापित करना जहां कोई गोपनीयता की उम्मीद करता है, या बिना पीड़ित की अनुमति के रिकॉर्डिंग या तस्वीरों का अनधिकृत प्रसार, जैसे नग्न या अर्ध-नग्न तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करना।
आईटी अधिनियम, 2000 के तहत ताक-झांक
आईटी एक्ट 2000 के तहत धारा 67 के अंतर्गत निजता के उल्लंघन की सजा इस प्रकार बताई गई है – गोपनीयता के उल्लंघन के लिए सजा। -जो कोई जानबूझकर किसी व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करने वाली परिस्थितियों में उसकी सहमति के बिना उसके निजी क्षेत्र की छवि को कैप्चर, प्रकाशित या प्रसारित करता है, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना दो लाख रुपये से अधिक नहीं होगा, या दोनों के साथ।
वॉयरिज़म के लिए निम्न तत्वों का होना आवश्यक है
- अपराधी का जेंडर: किसी महिला का पीछा किसी पुरुष द्वारा किया जाना चाहिए। यह अपराध लिंग-विशिष्ट है।
- अवांछित संपर्क: पुरुष को किसी महिला से उसकी इच्छा के विरुद्ध संपर्क करने का प्रयास। इसमें संचार का कोई भी रूप शामिल है, चाहे वह व्यक्तिगत हो या इलेक्ट्रॉनिक, जहां महिला ने उस पुरुष के प्रति उदासीनता दिखाई है और पुरुष संपर्क जारी रखता है।
- दोहराव: लगातार पीछा करना और अवांछित ध्यान या संपर्क का एक पैटर्न शामिल होना चाहिए। यह एक बार की घटना नहीं है बल्कि व्यवहार का एक सतत पैटर्न है।
- रुचि का अभाव: इस अपराध के साबित होने के लिए महिला की ओर से उस पुरुष के प्रति अरुचि का स्पष्ट संकेत होना चाहिए। महिला की ओर से यह प्रदर्शित करना महत्वपूर्ण है कि पीछा करने के दौरान महिला की सहमति नहीं थी या रुचि नहीं थी, और पुरुष उसकी आपत्ति के बावजूद ऐसा करते रहता है।
वॉयरिज़म का सामना कर रही महिलाएं क्या कर सकती हैं
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 154 में प्रावधान है कि यदि किसी महिला को लगता है कि वह वॉयरिज़म की शिकार हुई है, तो वह पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कर सकती है। महिला के पास अपनी शिकायत व्यक्त करने के लिए दो विकल्प हैं- मौखिक या लिखित रूप से। पहले प्रावधान के अनुसार, वॉयरिज़म का सामना कर रही महिला किसी महिला पुलिस अधिकारी या महिला अधिकारी को इस अपराध की जानकारी दे सकती है और उस महिला पुलिस अधिकारी या महिला अधिकारी को इस शिकायत को दर्ज करना अनिवार्य है। दूसरे प्रावधान के अनुसार, अपराध की जानकारी महिला के निवास पर या दूसरे या उस महिला के लिए जो भी जगह सुविधाजनक होगी उस स्थान पर निर्दिष्ट इंटरप्रेटर या सोशल एजुकेटर की उपस्थिति में उस सुविधाजनक स्थान पर दर्ज की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, यह निर्धारित किया गया है कि ऐसी जानकारी की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी, और पुलिस अधिकारी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा महिला का बयान दर्ज करवाएगा। भारत में ‘ताक-झांक’ यानी वॉयरिज़म एक यौन अपराध के रूप में उभर रहा है। प्रौद्योगिकी का विस्तार ऐसे अपराधों के लिए संभावित बुनियाद तैयार कर रहा है जो तेजी से घटित हो रही हैं। लोगों की सुरक्षा, उनके द्वारा अपनी गोपनीयता बनाए रखने और अपनी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा करने की क्षमता पर भी निर्भर करती है। वॉयरिज़म से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए यदि कोई महिला इस प्रकार के अपराध का सामना करती हैं, या उन्हें लगता है कि ऐसा हो रहा है तो भी उसे चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि उसकी जांच कर शिकायत दर्ज करनी चाहिए ताकि समय पर कोई एक्शन लिया जा सके।