केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थी इन दिनों होस्टलों की फीस में बढ़ोतरी को लेकर परेशान हैं। हालांकि इस साल के लिए फीस की बढ़ोतरी से संबंधित विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ दिनों पहले नोटीफिकेशन निकाला था। लेकिन विद्यार्थियों के दबाव के बाद वह आदेश वापस ले लिया गया। लेकिन विद्यार्थियों का कहना है कि कोविड महामारी से पहले होस्टलों के लिए जो फीस वृद्धि रखी गई थी, उसे दोबारा लागू किया जाए। विद्यार्थियों के अनुसार कोरोना महामारी के बाद जामिया कैंपस दोबारा खुला तो होस्टलों की फीस बढ़ाई गई। साल 2019 में जो फीस 29 हज़ार के आस-पास थी, उसे बढ़ाकर साल 2022 में लगभग 41 हज़ार तक कर दिया गया।
अब इस नए शैक्षणिक सत्र के लिए भी लगभग 2.5 हज़ार की बढ़ोतरी होनी थी। लेकिन विद्यार्थियों के दबाव के बाद क्या आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा वापस ले लिया गया? साथ ही इस नए शैक्षणिक सत्र के लिए हॉस्टलों में दाखिले रिन्यू कराने की आखिरी तारीख 25 जुलाई रखी गई थी। विद्यार्थियों ने इस तारीख़ को आगे बढ़ाने की भी मांग की, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल में दाखिले रिन्यू कराने को लेकर नया नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि दाखिले रिन्यू करने की आखिरी तारीख 6 अगस्त होगी। विद्यार्थियों का कहना है कि बहुत से अन्य छात्र अभी अपने घरों पर हैं और इसी दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टलों के दाखिले रिन्यू करने और फीस वृद्धि को बढ़ाने से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। हालांकि हॉस्टलों की फीस बढ़ाने को लेकर विद्यार्थियों नाराज़ हैं।
हाल ही में कुछ माह पहले भी मेस के खाने को लेकर हॉस्टल के विद्यार्थियों की ओर से विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रोक्टर ने खुद आकर विद्यार्थियों से बात की थी और आश्वासन भी दिया गया था लेकिन स्थिति अब भी वैसी ही है।
एकाएक फीस बढ़ोतरी विद्यार्थियों के लिए है मुश्किल
हॉस्टलों की फीस और सुविधाओं से संबंधित कई सवाल विद्यार्थी आए दिन खड़े करते हैं। यह सब कुछ जानने के लिए हमने कई विद्यार्थियों से बात की और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। इस विषय पर छात्रा सखी ने बताया, “जो छात्र पहले से हॉस्टल में रह रहे हैं, उन्हें हर नए शैक्षणिक सत्र के लिए हॉस्टल के रिन्यू करने पड़ते हैं, जिसको लेकर 2024-25 का नोटिफिकेशन आता है। इसमें यह कहा जाता है कि इस सत्र के लिए हमें लगभग 2.5 हज़ार रुपए ज़्यादा देने होंगे, जिसका छात्रों ने विरोध किया और प्रशासन से वार्तालाप करने का प्रयास भी किया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आदेश वापस ले लिया गया। लेकिन हम चाहते हैं कि इस आदेश के अलावा हमारे हॉस्टलों की फीस वृद्धि जो महामारी से पहले साल 2019 में हुआ करती थी वही दोबारा लागू की जाए, जिसमें हमें करीब 29 हज़ार रुपए प्रति वर्ष देने होते थे जोकि अब लगभग 41 हज़ार तक पहुंच गए हैं।”
बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान है। यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी विभिन्न अल्पसंख्यक और पिछड़े समुदायों से आते हैं। अमूमन उनके परिवार आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते कि वे इस प्रकार की फीस जमा कर पाएं। इस विषय पर एक अन्य छात्र साद, जोकि 2 वर्षों से हॉस्टल में रह रहे हैं, बताते हैं, “जिस प्रकार से हॉस्टल की फीस ली जाती है, सुविधाएं उसके बिल्कुल विपरीत हैं। मेस का खाना कई बार तो खाने योग्य तक नहीं होता। यहां तक कि मेस के खाने की गुणवत्ता को लेकर कई बार हमें लंबे आंदोलन करने पड़ जाते हैं। हाल ही में कुछ माह पहले भी मेस के खाने को लेकर हॉस्टल के विद्यार्थियों की ओर से विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रोक्टर ने खुद आकर विद्यार्थियों से बात की थी और आश्वासन भी दिया गया था लेकिन स्थिति अब भी वैसी ही है।”
जिस प्रकार से हॉस्टल की फीस ली जाती है, सुविधाएं उसके बिल्कुल विपरीत हैं। मेस का खाना कई बार तो खाने योग्य तक नहीं होता। यहां तक कि मेस के खाने की गुणवत्ता को लेकर कई बार हमें लंबे आंदोलन करने पड़ जाते हैं।
सुविधाएं नहीं हैं पर फीस में लगातार बढ़ोतरी
हॉस्टल फीस को लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर छानबीन करने पर पता चलता है कि औसतन एक छात्र को हॉस्टल में दाखिले के लिए 15,350 रूपए सहित 26 हजार मेस फीस देनी होगी यानी प्रति वर्ष 41,350 रूपए देने होंगे। विद्यार्थियों के अनुसार यही फीस महामारी से पहले यानी साल 2019 में 29,300 थी। जब हमने यह जानना चाहा कि हॉस्टल फीस वृद्धि में बढ़ोतरी के क्या कारण विश्वविद्यालय की ओर से बताए जाते हैं, तो एक छात्र सौरभ बताते हैं, “विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि बढ़ाने के पीछे मुख्य रूप से मेंटेनेंस और रखरखाव को कारण बताता है जबकि हॉस्टलों की स्थिति इसके विपरित है। मेस के खाने के साथ-साथ पीने के पानी की सुविधा और वाई-फाई की सेवाएं भी प्रभावित हैं। लेकिन विद्यार्थियों को रहना है तो वे बस मजबूरी के साथ इन समस्याओं में भी रह रहे हैं।”
समस्याओं को लेकर आखिर प्रशासन क्यों सचेत नहीं
हॉस्टल में रह रही एक अन्य छात्रा निधा बताती हैं, “गर्ल्स हॉस्टल में भी सुविधाओं की बहुत हद तक कमी है। मेस के खाने में कई बार कीड़े-मकोड़े निकल चुके हैं। कई दफा लिफ्ट बंद पड़ जाती हैं और छात्राएं 10-10, 15-15 मिनटों तक लिफ्ट में फंसी रह जाती हैं।” गर्ल्स हॉस्टल में सुरक्षा व्यवस्था के बारे में वह बताती हैं, “सुरक्षाकर्मियों का रवैया कई दफा ठीक नहीं होता। वे कई बार अशिष्ट व्यवहार करते हैं। जामिया में हॉस्टल में दाखिले के लिए जिस प्रकार इंटरव्यू, एफीडेविट और अन्य कागज़ी कारवाई की जाती है और उसी के साथ रख-रखाव और सुविधाओं के नाम पर अच्छी-खासी फीस वृद्धि वसूल की जाती है, वे विद्यार्थियों पर एक आर्थिक बोझ है।” निधा ने जेएनयू का हवाला देते हुए कहा कि जेएनयू भी तो केंद्रीय विश्वविद्यालय है। वहां भी हमारे जैसे विद्यार्थी पढ़ते हैं। लेकिन वहां पर विद्यार्थियों को हॉस्टल मिलने में कोई समस्या नहीं होती और ना इतनी फीस वसूल की जाती है।
जो छात्र पहले से हॉस्टल में रह रहे हैं, उन्हें हर नए शैक्षणिक सत्र के लिए हॉस्टल के रिन्यू करने पड़ते हैं, जिसको लेकर 2024-25 का नोटिफिकेशन आता है। इसमें यह कहा जाता है कि इस सत्र के लिए हमें लगभग 2.5 हज़ार रुपए ज़्यादा देने होंगे, जिसका छात्रों ने विरोध किया और प्रशासन से वार्तालाप करने का प्रयास भी किया गया।
क्या कह रहे हैं विश्वविद्यालय प्रशासन
फीस वृद्धि को साल 2019 की शुल्क संरचना के अनुसार किए जाने को लेकर विद्यार्थियों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को एक मेमोरेंडम भी दिया गया है, जिसपर विश्वविद्यालय की ओर अभी कोई जवाब नहीं आया है। साथ ही यह कहा गया है कि जल्द इस पर बातचीत की जाएगी। जामिया जनसंपर्क कार्यालय से संपर्क करने पर वहां मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि जनसंपर्क अधिकारी डॉ अहमद अज़ीम इस मामले में बात करने के अधिकृत हैं पर वे अभी दिल्ली से बाहर हैं। फेमिनिज़म इन इंडिया ने जनसंपर्क अधिकारी का वैकल्पिक नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की पर फोन का कोई जवाब नहीं दिया गया।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में होस्टल फीस वृद्धि का मुद्दा विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है। फीस में लगातार बढ़ोतरी और सुविधाओं की कमी ने विद्यार्थियों को विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया है। विद्यार्थियों की मांग है कि महामारी से पहले की फीस संरचना को फिर से लागू किया जाए और सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन विद्यार्थियों को अभी भी अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिला है। इस स्थिति में विद्यार्थियों और प्रशासन के बीच संवाद और समाधान की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों की समस्याओं का हल निकल सके और वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।